मां नर्मदा की अपने भक्तों के नाम चिट्ठी
(दीपक भार्गव)
मध्यप्रदेश। प्रदेश की जीवनदायनी मां नर्मदा की आज शनिवार को जयंती है। नर्मदा किनारे नर्मदा उत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा है। जगह—जगह धार्मिक अनुष्ठान व सांस्कृतिक कार्यक्रम किए जा रहे हैं। ऐसे में मां नर्मदा की अपने भक्तों के नाम चिट्ठी सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रही है। चिट्ठी के जरिये मां नर्मदा को पर्यावरण प्रदूषण से बचाने की अपील की गई है। चिट्ठी में मां अपने प्रिय भक्तों से कहती हैं कि मेरी जयंती अर्थात मां नर्मदा जयंती के पावन अवसर पर इस बात का संकल्प जरूर लें, अब मेरे साथ किसी भी प्रकार का अन्याय और अत्याचार नहीं होने दोगे आखिर में तुम्हारी मां हूं…यहां बता दें कि यह चिट्ठी सीहोर जिले के शाहगंज निवासी शिक्षक अजय दुबे ने लिखी है।
क्या लिखा है चिट्ठी में—
माघ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी को तुम मेरी जयंती मन आओगे मेरे प्रति अपनी श्रद्धा का प्रकटी करण करोगे, दीपदान, वस्त्र दान करोगे बड़े-बड़े भंडारों का आयोजन करोगे और मुझसे अपने परिवार की मंगल कामना की आशा रखोगे पर भूल जाओगे कि मैं तुम्हारी मां हूं मेरा जीवन ही तुम्हारा जीवन है, यदि मेरा अस्तित्व रहेगा तो संपूर्ण मानव जाति का अस्तित्व रहेगा। परंतु चंद पैसों की खातिर मेरे सीने को छलनी किया जा रहा है। सारे जंगलों को बेतरतीब तरीके से काटा जा रहा है, मेरे आंचल की रेत को अत्याधुनिक मशीनों के द्वारा निकाला जा रहा है, जिससे मेरा अस्तित्व संकट में पढ़ता जा रहा है। यदि तुम मेरे सच्चे पुत्र हो मेरे प्रति तुम्हारी श्रद्धा है तो आज मेरी जयंती अर्थात मां नर्मदा जयंती के पावन अवसर पर इस बात का संकल्प जरूर लें, अब मेरे साथ किसी भी प्रकार का अन्याय और अत्याचार नहीं होने दोगे आखिर में तुम्हारी मां हूं मैं तड़प रही हूं मेरा जीवन संकट में है और मुझे मेरी चिंता नहीं है मुझे संपूर्ण मानव जाति की चिंता है मेरा अस्तित्व मिट जाएगा तो मैं अपने ईश्वर में विलीन हो जाऊंगी लेकिन मेरे अस्तित्व के साथ साथ तुम्हारा अस्तित्व नहीं बचेगा मुझे तुम्हारे अस्तित्व की ज्यादा चिंता है मुझे प्रकृति की ज्यादा चिंता है मैं आपसे हाथ जोड़कर प्रार्थना करती हूं ये मेरे पुत्रों मेरे जीवन की मेरे अस्तित्व की रक्षा करो रक्षा करो रक्षा करो।
हां पुत्रो एक बात और आपसे कहना चाहती हूँ कि मेरी इस पीड़ा मेरे इस दर्द को अधिक से अधिक शेयर कर मेरे हर घाट तक मेरी संतानों तक मेरे भक्तों तक पहुंचाने की कृपा करना।
आपकी अपनी मां सदा सर्वदा नर्मदा (अजय दुबे शिक्षक शाहगंज, सीहोर)