कुछ विश्वविद्यालय विधार्थियों को थमा रहे गलत डिग्री : यूजीसी
दिल्ली । देश में कई विश्वविद्यालय विधार्थियों को गलत डिग्री देकर कोर्ट मुकदमें और अन्य कानूनी परेशानियां पैदा कर रहे है। विश्वविद्यालय डिग्री प्रदान करने के मामले में यूजीसी के मापदंड और नियमों का पालन नहीं करते है। यह बात विश्वविद्यालय अनुदान आयोग यूजीसी ने अपने एक परिपत्र में कही है। यूजीसी ने विश्वविद्यालयों को इसके लिए निर्धारित नियमों का पालन करने के लिए कहा है।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने कहा कि गलत डिग्री से छात्रों के लिए विभिन्न समस्याएं उत्पपन होती है। यूजीसी राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) ने हाल ही में कर्नाटक कॉलेज को निर्देश दिया कि वह अपने 11 छात्रों को 1.12 लाख रुपये वापस करे, जिन्हें उनके द्वारा नामांकित डिग्री से अलग डिग्री दी गई थी। राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने सेंट अलॉयसियस इंस्टीट्यूट ऑफ कंप्यूटर साइंस, मैंगलोर को एमएसी में डिग्री प्राप्त करने वाले 11 छात्रों को कोर्ट मुकदमे का खर्च सहित चार सप्ताह के भीतर राशि वापस करने के लिए कहा था।विश्वविद्यालय अनुदान आयोग समय-समय पर यूजीसी अधिनियम की केवल धारा 22 के दायरे में डिग्री प्रदान करने के लिए विश्वविद्यालयों से अनुरोध करता रहा है। जारी परिपत्र में कहा गया है कि यूजीसी की समेकित सूची विश्वविद्यालय अनुदान आयोग अधिनियम, 1956 की धारा 22 (3) के प्रयोजन के लिए डिग्री (ओं) के नामांकित को यूजीसी की वेबसाइट पर उपलब्ध है। यह देखा गया है कि कुछ विश्वविद्यालय या संस्थान गलत डिग्री प्रदान कर रहे हैं और इस तरह के डिग्री से विद्यार्थियों को विभिन्न समस्याएं का समाना करना पड रहा है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने परिपत्र में स्पष्ट किया है कि यदि कोई विश्वविद्यालय यूजीसी द्वारा निर्दिष्ट एक डिग्री के अलावा अन्य कोई डिग्री कोर्स शुरू करना चाहता है या डिग्री देना चाहता है तो यूजीसी से छह महीने पहले यूजीसी से संपर्क कर प्रस्ताव दे और अनुमति के बाद ही डिग्री कोर्स शुरू करें।