साल 2020 में नए पद से बढ़ सकता है कैलाश विजयवर्गीय का कद
( कीर्ति राणा )
मध्यप्रदेश। आने वाला नया साल कैलाश विजयवर्गीय का राजनीतिक कद बढ़ाने वाला हो सकता है, इसकी संभावना अधिक है। बहुत संभव है उन्हें नड्डा की जगह कार्यकारी अध्यक्ष, केंद्रीय मंत्री का दायित्व या कुछ महीनों बाद राज्यसभा में भेज दिया जाए। उनके राजनीतिक भविष्य के उत्कर्ष की कथा जनवरी के प्रथम सप्ताह में आरएसएस के सह कार्यवाह मोहन भागवत की अध्यक्षता में होने वाली बैठक में लिखी जाएगी।इस बैठक में संघ और भाजपा के राष्ट्रीय पदाधिकारी भी शामिल होंगे।
भारतीय जनता पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा की इसी सप्ताह हुई इंदौर यात्रा में नड्डा और विजयवर्गीय के बीच समझ कितनी गहरी है इसे आम कार्यकर्ताओं-नेताओं-विधायकों आदि ने इससे ही समझ लिया था कि नड्डा के वाहन में शिवराज सिंह और राकेश सिंह के अलावा स्थानीय नेताओं में विधायक आकाश विजयवर्गीय ही उनके साथ कार में सवार थे।
भाजपा में अब राष्ट्रीय स्तर पर कार्यकारी अध्यक्ष वाली व्यवस्था को स्थायी किया जा रहा है।जेपी नड्डा द्वारा राष्ट्रीय अध्यक्ष का दायित्व संभालने के बाद रिक्त होने वाले कार्यकारी अध्यक्ष के लिए कैलाश विजयवर्गीय और भूपेंद्र यादव इन दोनों में से ही किसी को यह दायित्व मिल सकता है। गृह मंत्री अमित शाह की पसंद पर मुहर लगाने का काम नड्डा को करना है।विजयवर्गीय और यादव दोनों की कार्यशैली शाह को पसंद है।पार्टी अध्यक्ष रहते शाह ने ही कैलाश विजयवर्गीय को पश्चिम बंगाल का और भूपेंद्र यादव को महाराष्ट्र और उड़ीसा का प्रभार दिया था।दोनों के प्रभार वाले इन प्रदेशों में हाल ही के राजनीतिक घटनाक्रम में पार्टी नेतृत्व की नजर में विजयवर्गीय का कद ऊंचा हुआ है । हरियाणा के प्रभारी रहते वहां भाजपा को सत्ता में लाने जैसी उपलब्धि के बाद पश्चिम बंगाल में जहां कभी भाजपा को एक लोकसभा सीट नहीं मिल सकी थी विजयवर्गीय को कमान सौंपने के बाद भाजपा के प्रभाव में हो रही वृद्धि का अंदाज इसी से लगाया जा सकता है कि बंगाल में गत वर्ष लोकसभा की 18 सीटें मिली हैं और टीएमसी में तोड़फोड़ का असर ऐसा है कि ममता बनर्जी के अति विश्वस्त-सलाहकार तक कमल गुणगान करने लगे हैं।दूसरे राष्ट्रीय महासचिव भूपेंद्र यादव भी आज की राजनीति और उठापटक के माहिर खिलाड़ी तो हैं लेकिन महाराष्ट्र में सरकार न बन पाने और उड़ीसा में भी चमत्कारी परिणाम नहीं आने जैसे कारण असर डाल सकते हैं।
पश्चिम बंगाल में ममता को सत्ता से बेदखल करना भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न है ऐसे में टीएमसी की कथित मनमानी से निपटने के लिए विजयवर्गीय के कद को संवैधानिक दृष्टि से मजबूत बनाना भाजपा के लिए जरूरी होता जा रहा है।हालांकि विजयवर्गीय संसद के किसी सदन में नहीं हैं लेकिन अगले महीने किए जाने वाले केंद्रीय मंत्रिमंडल के पुनर्गठन में उन्हें मंत्री पद दिए जाने की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता ।प. बंगाल में अप्रैल-मई 2021 में विधानसभा चुनाव होने हैं।।बंगाल की शेरनी कही जाने वाली ममता से मुकाबले के लिए टायगर का और अधिक प्रभावी होना जरूरी लगने लगा है।यदि उन्हें मंत्री पद नहीं दिया जाता है तो अप्रैल 2020 में रिक्त हो रही राज्यसभा की सीटों में से उन्हें भी उच्च सदन में भेजा जा सकता है।
-मालवा-निमाड़ में मजबूती भी जरूरी
अगले छह महीनों में मप्र में पंचायत और निकाय चुनाव का सिलसिला भी शुरु हो जाएगा।मालवा-निमाड़ क्षेत्र में जिस तरह विधानसभा चुनाव में भाजपा का सूपड़ा साफ हुआ है उसे देखते हुए उसका मजबूती से उभरना जरूरी है। हालांकि विधानसभा चुनाव में भी इस क्षेत्र की जिम्मेदारी विजयवर्गीय पर ही थी लेकिन खुद उनके पुत्र आकाश इंदौर के विधानसभा क्षेत्र 3 से चुनाव लड़ रहे थे ऐसे सारे कारणों से वे पूरे क्षेत्र में समय नहीं दे सके थे। अब उनके कद में पद से वृद्धि होती है तो इससे मालवा-निमाड़ क्षेत्र में भी कार्यकर्ताओं में उत्साह बढ़ेगा।पार्टी में महासचिव का दायित्व दिए जाने के बाद से उनके रिपोर्ट कार्ड को लेकर संघ प्रमुख भागवत के साथ ही सरकार्यवाह भय्याजी जोशी न सिर्फ संतुष्ट हैं बल्कि एकाधिक बार पश्चिम बंगाल के हालात को लेकर प्रत्यक्ष चर्चा भी कर चुके हैं।