जबलपुर में ओशो महोत्सव का हुआ शुभारम्भ
मध्यप्रदेश। संस्कारधानी जबलपुर में राज्य शासन द्वारा आयोजित तीन दिवसीय ओशो महोत्सव का शुभारम्भ बुधवार को दीप प्रज्वलित कर किया गया । समारोह के मुख्य अतिथि संभागायुक्त रविन्द्र कुमार मिश्रा रहे व समारोह की अध्यक्षता महापौर डॉ स्वाति गोडबोले ने की। महापौर डॉ स्वाति गोडबोले ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में विचार व्यक्त करते हुए ओशो महोत्सव के आयोजन को जबलपुर वासियों के लिए गौरव बताया । महोत्सव में आये ओशो भक्तों का शहरवासियों की ओर से स्वागत करते हुए महापौर ने कहा कि माँ नर्मदा के गोद में बसे जबलपुर को आचार्य रजनीश ने अपनी कर्मस्थली बनाया, यहाँ शिक्षा ग्रहण की और ज्ञान प्राप्त करने के बाद समूचे विश्व को अपने विचारों से आलोकित किया तथा इस शहर को विशिष्ट पहचान दिलाई । ओशो महोत्सव के शुभारंभ समारोह के प्रारम्भ में कलेक्टर भरत यादव ने पहली बार शासकीय स्तर पर आयोजित किये जा रहे इस महोत्सव में देश-विदेश से आये ओशो भक्तों का स्वागत किया । उन्होंने कहा की ओशो महोत्सव से आचार्य रजनीश की कर्मभूमि रहे जबलपुर को अन्तराष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान मिलेगी और इससे पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा । समारोह के मुख्य अतिथि संभागायुक्त रविन्द्र कुमार मिश्रा ने आचार्य रजनीश की कर्मभूमि पर ओशो महोत्सव के आयोजन पर प्रसन्नता व्यक्त की । उन्होंने कहा कि ओशो ने अपने विचारों की क्रान्ति से समूचे विश्व को आलोकित किया है । संभागायुक्त ने देश में स्थित सभी ओशो ध्यान केन्द्रों को प्रकाश पुंज बताया । उन्होंने कहा कि ध्यान से प्रयोग की शैली विश्व मे आचार्य रजनीश ने ही विकसित की । श्री मिश्रा ने महोत्सव में आये ओशो भक्तों का स्वागत करते हुए कहा कि महोत्सव जबलपुर को नई पहचान देगा और इससे पर्यटन की गतिविधियां भी बढ़ेंगी ।
जानिए ओशो से जुड़ी खास बातें-
ओशो, जिन्हें भगवान श्री रजनीश, ओशो रजनीश या केवल रजनीश के नाम से जाना जाता है, एक भारतीय विचारक, धर्मगुरु और रजनीश आंदोलन के प्रणेता थे। अपने संपूर्ण जीवनकाल में आचार्य रजनीश को एक विवादास्पद रहस्यदर्शी, गुरु और आध्यात्मिक शिक्षक के रूप में देखा गया।
जन्म: 11 दिसंबर 1931, कुचवाड़ा रायसेन
मृत्यु: 19 जनवरी 1990, पुणे
पूर्ण नाम: चन्द्र मोहन जैन
व्यवसाय: गुरु, दार्शनिक
शिक्षा: डॉ. हरीसिंह गौर केन्द्रीय विश्वविद्यालय (1957)