भाजपा संगठन चुनाव में उम्र का बंधन असंतोष के साथ ही निगम चुनाव में फजीहत भी कराएगा
-नगर-ग्रामीण अध्यक्ष की उम्र का दायरा 55 वर्ष किए जाने के आसार
( कीर्ति राणा)
मध्यप्रदेश। भाजपा संगठन चुनाव में उम्र का बंधन पार्टी में असंतोष का कारण बन चुका है।वर्तमान नगर अध्यक्षों से लेकर संभागीय संगठन मंत्री भी पार्टी निर्देश का हवाला देकर पल्ला तो झाड़ रहे हैं लेकिन प्रदेश अध्यक्ष और संगठन मंत्री को हकीकत बताने की हिम्मत भी नहीं जुटा पा रहे हैं।मंडल अध्यक्ष के लिए 40 और नगर-ग्रामीण अध्यक्ष के लिए 50 वर्ष का दायरा निर्धारित किए जाने का असर यह हुआ है कि कल तक इस उम्र के जो कार्यकर्ता शहर और जिले के वरिष्ठ नेताओं की नजदीकी के लिए लालायित रहते थे अब ऐसे सारे वरिष्ठों को अपने समर्थक का नाम अध्यक्ष वाली पेनल में शामिल कराने के लिए इन के पैर पखारना पड़ रहे हैं।शुक्रवार को भोपाल में प्रदेश संगठन मंत्री सुहास भगत ने सभी जिला और नगर चुनाव अधिकारियों की आपात्त बैठक बुलाई है, संभवत: इसमें अध्यक्ष के लिए उम्र का दायरा 50 से बढ़ा कर 55 करने का निर्णय लिया जा सकता है। ऐसा निर्णय हो भी गया तो असंतोष और गहरा जाएगा।
प्रदेश के शहरों-जिलों में दिन भर यह चर्चा चलती रही कि नगर और जिला अध्यक्ष के लिए निर्धारित उम्र 50 साल को बढ़ा कर 55 कर दिया गया है।इस संबंध में भाजपा संगठन के प्रदेश चुनाव प्रभारी हेमंत खंडेलवाल से चर्चा की तो उनका कहना था कोई बदलाव नहीं किया है। मंडल अध्यक्ष के लिए 40 और नगर-जिला अध्यक्ष के लिए 50 वर्ष का ही दायरा है।नगर चुनाव सह प्रभारी कल्याण देवांग का कहना था चर्चा हम तक भी आई है लेकिन अधिकृत जानकारी नहीं है, ऐसा कोई निर्णय नहीं हुआ है।पार्टी निर्देश के तहत ही चुनाव प्रक्रिया का पालन कराएंगे।
-उम्र 55 कर भी दी तो इसलिए बढ़ेगा असंतोष
भाजपा नगर-जिला ग्रामीण अध्यक्ष का चुनाव भी 30 नवंबर को होना है।इस चुनाव से पहले शुक्रवार को भोपाल में हो रही बैठक में यदि 55वर्ष करने का निर्णय लिया जाता है तो भी असंतोष कम नहीं होगा। अभी दायरा 50 रखे जाने से इस आयु के दावेदारों ने मंडल अध्यक्षों से आपसी रिश्तों के प्रभाव-दबाव से अपने नाम पेनल में जुड़वा लिए थे।अब इन्हें नए सिरे से जमावट की कवायद करना पड़ सकती है क्योंकि दायरा 55 वर्ष करने पर इस उम्र वाले वरिष्ठ नेता घोषणा के तत्काल बाद सक्रिय हो सकते हैं।संगठन चुनाव में उम्र के बंधन का विरोध करने वाले नेता अनुशासन के भय से सार्वजनिक रूप से कहने से भले ही बचते रहे किंतु शहर-जिले के अपने समर्थकों में अपनी पीड़ा व्यक्त करने के साथ ही कोर समिति सदस्यों, चुनाव अधिकारियों से लेकर संभागीय संगठन मंत्रियों तक भी अपना गुस्सा जाहिर करते रहे हैं। बहुत संभव है कि शुक्रवार को प्रदेश संगठन के समक्ष ये सब भी कार्यकर्ताओं के गुस्से की जानकारी देने की हिम्मत दिखाएं।
-नगर निगम चुनाव पर इसलिए पड़ेगा असर
मप्र में पार्टी को अगले कुछ महीनों मे नहर निगम चुनाव का सामना करना है। मप्र में कमलनाथ सरकार को गिराने के दावे करने वाले नेताओं की दुर्दशा देखने के बाद महाराष्ट्र में सरकार हाथ से फिसलने के बाद से बड़े नेता भले ही सदमे में हों लेकिन भाजपा का आम कार्यकर्ता संगठन-अनुशासन के नाम पर की जाने वाली मनमानी से नाखुश होने के कारण महाराष्ट्र के इस घटनाक्रम से खुश है तो इसलिए कि प्रदेश-देश के नेताओं को नसीहत मिली है। उम्र का यह बंधन निगम चुनाव में इसलिए आड़े आएगा कि तमाम वरिष्ठ नेता चुनावी गतिविधियों में मुंह दिखाई की रस्म अदा कर सकते हैं।वे इसे कैसे पचाएंगे कि कल के कार्यकर्ता जो अब मंडल-नगर-ग्रामीण अध्यक्ष हैं उनके आदेशों के मुताबिक काम करें।उम्र के इस बंधन से वे अपने आप को आडवानी-जोशी वाले मार्गदर्शक मंडल की श्रेणी का मानने लगे हैं।कार्यकर्ताओं को यह भी हैरानी है कि उम्र के इस बंधन का जितनी सख्ती से उत्तर प्रदेश, मप्र में पालन हो रहा है, उतना अन्य कई प्रदेशों में नही।
-क्या हम सरकारी सेवक हैं ?
उम्र के बंधन की लक्ष्मण रेखा के चलते चुनाव लड़ने से वंचित एक कार्यकर्ता का दर्द था ये संगठन है या सरकारी विभाग जहां उम्र का बंधन चलता है।परिवार की चिंता, व्यापार-धंधा छोड़ कर पार्टी के लिए काम हम करें और जब कुछ पद पाने की लालसा रखें तो उम्र का आईना दिखाया जाए।बारात में भी दो-चार बुजुर्ग ले जाए जाते हैं, हमारे संघर्ष-अनुभव की कोई कद्र नहीं।पार्टी बैठकों में तो हमारे वरिष्ठ साथी कहा जाता है और यहां हम बिचारे साबित हो गए।पार्टी में हावी हो रहे अधिनायकवाद से कहीं यहां भी कांग्रेस जैसी हालत ना हो जाए।