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उस पर लगे थे पतलून चोरी के आरोप,वो मौत से दे गई बेगुनाही का सबूत

 

— छात्रा की आत्महात्या से नाराज विद्यार्थियों ने किया चक्काजाम
— मृतक छात्रा पर लगाए थे पतलून चोरी का आरोप

   (कमलेश पांडे)

मध्यप्रदेश। प्रदेश के  छात्रावासों रहने वालों विद्यार्थी किस तरह के माहौल में रहकर शिक्ष प्राप्त कर रहे है उन्हें अपनी जान से हाथ धोना पडता है। सरकारी छात्रावास में रहने वाली एक छात्रा ने इसलिए फांसी लगाकर अपनी जीवन लीली समाप्त कर ली क्यों कि उस पर उसकी तीन साथी छात्राओं ने पतलून चोरी का आरोप लगाकर प्रताडित किया। चोरी के आरोप से परेशान छात्रा ने फांसी लगाकर मौत को गले लगा लिया। सुसाइड नोट में लिखा कि उसने पेंट चोरी नहीं किया था इसलिए वो अपनी बेगुनाही का साबूत अपनी मौत से दे रही है।

मृतक ऋचा ने अपने सोसाइड नोट में अपने माता-पिता को संबोधित करते हुए उसने लिखा कि उसने कोई चोरी नहीं की फिर भी उसे साथी लड़कियां चोरी के लिए बदनाम कर रही हैं। इस बदनामी का जवाब देने के लिए वह अपनी मौत से अपने सचें होने की गवाही दे रही है।

छतरपुर महोबा रोड पर स्थित उत्कृष्ट कन्या छात्रावास की कक्षा 10वीं की छात्रा ऋचा अहिरवार नौगांव क्षेत्र के ग्राम चंदौरा की निवासी थी एवं अपनी बड़ी बहिन के साथ इसी हॉस्टल में रहती थी। दो दिन पहले हॉस्टल में ही 11वीं की छात्राओं ने एक विदाई पार्टी का आयोजन किया था इस दौरान हॉस्टल की एक छात्रा का पेंट चोरी हो गया। यह पतलून धोखे से बदल जाने के कारण ऋचा अहिरवार के पास आ गया था जिसके कारण छात्रावास की दो लड़कियों पुष्पा एवं लड्डू अहिरवार ने ऋचा पर चोरी का आरोप लगाया था। जबकि ऋचा अहिरवार कहती रही कि उसने पतलून चोरी नहीं की,गलती किसी ने उसके पास रख दी है। फिर भी  लडकियां उस पर चोरी का आरोप लगाती रही, चोरी के आरोप से परेशान छात्रा ऋचा अहिरवार छात्रावास के अपने कमरे में पंखें से दुपट्टा बांधकर फांसी लगा ली। छात्रा की आत्महत्या की सूचना पुलिस को दी । पुलिस ने मौके पर पहुंच की शव को पीएम के लिए भेजा और कमरे की तलाशी के दौरान मिले सुसाइड नोट को बरामद किया। पुलिस ने मर्ग कायम जांच शुरू की है।
छात्रा ऋचा अहिरवार द्वारा आत्महत्या से नाराज विद्यार्थियों ने गुरूवार को हाईवे पर चकाजाम कर दिया। चक्काजाम से सडक के दोनों तरफ वाहनों की लंबी कतार लग गई। चक्काजाम करने वाले विद्यार्थियों की मांग थी कि मृतक छात्रा ऋचा अहिरवार पर चोरी का झूठा आरोप लागाने वाली छात्राओं और लपरवाह छात्रावास अधीक्षिका सुशीला पाठक पर पुलिस प्रकरण दर्ज किया जाए।
– चार घंटे जाम,विद्यार्थियों ने लगाए कई आरोप

विद्यार्थियों ने छत्रसाल चौक, कांग्रेस कार्यालय के सामने एवं इसके बाद आकाशवाणी तिराहे पर तीन जगह सुबह 9 बजे से ही प्रदर्शनकारी छात्र-छात्राओं ने जाम लगा दिया। इन लोगों के साथ भीम आर्मी, अजाक्स संगठन के नेता, भाजपा के दिलीप अहिरवार, कांग्रेस के लोकेन्द्र वर्मा भी मौजूद थे। प्रदर्शनकारियों ने चार घंटे तक किसी की बात नहीं सुनी। दर्जनों छात्राएं खुद सड़क पर बैठीं और ऋचा अहिरवार की मौत के लिए माया, लड्डू एवं पुष्पा को जिम्मेदार ठहराने लगीं। प्रदर्शनकारियों ने छात्रावास अधीक्षिका सुशीला पाठक पर भी निशाना साधा और कहा कि उनके द्वारा भी ऋचा अहिरवार को प्रताडि़त किया गया था। छात्राओं का आरोप था कि सुशीला पाठक एक साथ चार हॉस्टल की अधीक्षिका हैं उनके पति के द्वारा भी लड़कियों को विरोध न करने की नसीहत देते हुए थप्पड़ मारा गया था। इन आरोपों के साथ छात्राओं ने सुशीला पाठक पर भी एफआईआर करने की मांग की।
-जयराज कुबेर और स्वप्रिल वानखेड़े ने संभाला मोर्चा
लगातार जाम की स्थिति निर्मित होने के बाद जब पूरा शहर चार घंटे के इस हंगामे से परेशान हो गया तो एएसपी जयराज कुबेर और राजनगर एसडीएम व आईएएस स्वप्रिल वानखेड़े को मोर्चा संभालना पड़ा। दोनों अधिकारियों ने विरोध कर रहीं छात्राओं से बात की और फिर छात्रावास अधीक्षिका सुशीला पाठक, छात्रावास का रसोईया बबलू रैकवार को सस्पेंड करने का आश्वासन दिया एवं तीन दिन के भीतर निष्पक्ष जांच कर एफआईआर करने का भरोसा दिया तब जाकर प्रदर्शनकारी रास्ता खोलने के लिए तैयार हुए।
-छात्रावासों में चल रहा गोरखधंधा, नहीं होती कार्यवाही
ऋचा अहिरवार की मौत के लिए भले ही उसके साथ पढऩे वाली छात्राएं जिम्मेदार हों लेकिन छतरपुर जिले के छात्रावासों में पसरा गोरखधंधा ऐसी कई लापरवाहियों के लिए जिम्मेदार है। दरअसल साठगांठ के चलते आदिमजाति कल्याण विभाग के द्वारा अपने चहेतों को छात्रावास का अधीक्षक बना दिया जाता है। एक-एक व्यक्ति को चार-चार हॉस्टल का अधीक्षक बनाकर बच्चों के खाने-पीने की सामग्री में जमकर भ्रष्टाचार हो रहा है। पिछले दिनों जिला पंचायत अध्यक्ष कलावती अनुरागी ने भी आधा दर्जन हॉस्टल का निरीक्षण कर कई हॉस्टल के अधीक्षकों को हटाने के लिए पत्र लिखा था लेकिन जिला संयोजक आरपी भद्रसेन ने उन्हें नहीं हटाया। इतना ही नहीं छात्र-छात्राएं भी कम से कम एक दर्जन बार कलेक्टर को छात्रावासों में मौजूद अनियमितताओं के खिलाफ ज्ञापन दे चुके हैं फिर भी कलेक्टर ने इस पर ध्यान नहीं दिया। बच्चियों के आपसी झगड़े को किसी जिम्मेदार अधीक्षिका के द्वारा समझा-बुझाकर खत्म करा दिया जाता तो न ही ऋचा अहिरवार को अपनी जान गंवानी पड़ती और न ही चार घंटे तक शहर को परेशान होना पड़ता।

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