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विराट कोहली ने कहा कि मानसिक अवसाद है तो खुलकर बोलें

 

— मानसिक दवाब बिमारी नहीं एक स्थिति है,उस बात करें

 

(सविता ठाकुर)

 

हाल ही में अखबार में एक खबर पढ़ी कि ऑस्ट्रेलिया के 21 वर्षीय क्रिकेट खिलाडी ने पोकोवस्की ने मानसिक दवाब महसूस करने के चलते पाकिस्तान के खिलाफ डेब्यू सीरीज से खुद को अलग कर लिया। पोकोवस्की ने कहा की वह कुछ दिन के लिए क्रिकेट से ब्रेक ले रहे हैं, भारतीय टीम के कप्तान विराट कोहली ने उनके इस कदम को सकारात्मक समर्थन दिया
और अपना अनुभव भी साझा किया कि कैसे एक 2014 उन्हें भी मानसिक परेशानी का सामना करना पडा और उन्हें भी कुछ दें ब्रेक लेना पड़ा… उसके बाद वे जब सामान्य हुए तो वापस मैदान में उतरे और नए नये कीर्तिमान रच रहे हैं..हलांकि उन्होंने उस समय अपनी स्थिति को सर्वजानिक करने की हिम्मत नहीं की थी। अब खिलाडी ऐसा कर रहे हैं तो यह अच्छा है।
बीतें कुछ दिनों में तीन खिलाड़ियों ने मानसिक स्थिति ठीक न होने पर क्रिकेट से ब्रेक ले लिया है। इसमें सभी खिलाड़ी ऑस्ट्रेलिया के हैं। ऑलराउंडर ग्लेन मैक्सवेल ,एके निक मैडिनसन और अब पोकोवस्की शामिल है.
मेरा इंटरेस्ट क्रिकेट में नहीं है, मेरा इंटरेस्ट मानसिक स्वास्थ्य के प्रति लोगो की जागरुकता में है. कहने को हम इक्कीसवी सदी में हैं लेकिन बात अगर मानसिक स्वास्थ्य की करें तो स्थिति बहुत बदली नहीं है. आज भी लोग
मानसिक स्वास्थ्य के प्रति सजग नहीं हैं. यहाँ तक कि यदि आप मानसिक तनाव या परेशानी में हैं तो अपनों के बीच भी उसे स्वीकार नहीं कर पाते. लोगो को यह लगता है कि इससे आप लोगो की नज़र में अपने आप को
कमज़ोर साबित करेंगे और लोग आप का मज़ाक बनायेंगे,इसलिए कितना भी मानसिक तनाव या दबाव क्यों न हो हम उसे दूसरो से शेयर नहीं करते, अकेले जूझते हुए सब कुछ सामान्य दिखाने का निरंतर प्रयास डिप्रेशन का कारण बन जाता है. हर इंसान अपनी जिंदगी में बहुत सी परिस्थितियों और चुनौतियों का सामना कर रहा है, न केवल बड़े बल्कि बच्चे और किशोर भी कई तरह के मानसिक दबाव से जूझ रहे हैं. अब बचपन भी दबाव और तनाव से मुक्त नहीं है.. एक छोटी बच्ची का विडिओ सोशल मीडिया में बहुत वायरल हो रहा है जिसमे वह अपने स्कूल की पढ़ाई लिखाई, उसका होम वर्क फिर ट्यूशन और उसका भी होम्वोर्क आदि के दबाव से तंग दिखाई दे रही है, बहुत गुस्सा और दर्द उसके चेहरे पर साफ़ पढ़ा
जा सकता है… हर युवा चाहे जितना ही निश्चिन्त दिखाई देता हो… अपने भविष्य के प्रति सदा चिंतित है..महिलाओ के अपने मुद्दे हैं… परिवार, प्रोफेशन, एजुकेशन, जॉब , बिज़नस, करियर रिलेशनशिप या और कुछ ..
तनाव के कारण बहुत हैं. यह तनाव हमारी परफॉरमेंस को भी प्रभावित करता है.. ऐसे में सबसे ज्यादा जरूरी है कि हम अपने तनाव को स्वीकार करें… स्वयं से झूठ न बोले की सब ठीक है. या सब ठीक हो जायेगा…
जब आप अपने मन को समझना शुरू करेंगे तो आप सकारत्मक समाधान भी खोज पाएंगे. जब तनाव हद से बढ़ने लगे तो एक ब्रेक ले लेना समझदारी है.. आप स्वयं को समय दें. उन परिस्थितियों और अपनी गलतियों का
विश्लेष्ण करें जिस वजह से तनाव जन्मा है.. उन्हें ठीक करने के लिए स्वयं की जीवन शैली , सवयम की मानसिकता और क्षमता का आकलन करने के लिए वक्त मिलेगा… मन पर हावी तनाव को दूर करने के लिए परिवार और मित्रो के साथ समय बिताएं …कुछ ऐसा करें जिससे दिल को सुकून मिले… कुछ नहीं करना भी कभी कभी खुद को खाली करने के लिए जरूरी होता है. हाँ तो हम बात कर रहे थे विराट कोहली की जिसने स्वयं अपने मानसिक तनाव के बारे में खुल कर बात की, यह उनका बहुत ही सराहनीय प्रयास है क्योंकि वे बहुत से युवाओ की प्रेरणा है.. जब कोई सेलेब्रिटी अपने जीवन के ऐसे अनुभवों को शेयर करता है जो आम आदमी आये दिन अनुभव करता है तो उसे अपनी समस्या अनोखी या बड़ी नहीं लगती.. उनके अन्दर यह विश्वास भी जागता है की हर समस्या का समाधान है. सब कुछ ठीक किया जा सकता है.. हर व्यक्ति चाहे वह विराट कोहली ही क्यों न हो मानसिक रूप से परेशां हो सकता है..
आजकल बहुत से टी वी चेनल्स पर सेलिब्रिटीज अपने वास्तविक जीवन के अनुभव शेयर करते नज़र आते हैं, जिनमे उनकी परिवार की कमज़ोर हालत, उनके संघर्ष और उनकी असफलताओ के किस्से भी खुल कर बयाँ किये जा रहे हैं… ये अच्छा है.. आम आदमी को ख़ास कर युवाओ को यह समझने का मौका मिलता है कि सफल व्यक्ति सफल पैदा नहीं होते… सफल होने के लिए सिर्फ कड़ी मेहनत और जूनून होना चाहिए.. साथ ही हर परिस्थिति का सामना करने के लिए शारीरिक ही नहीं मानसिक रूप से स्वस्थ होने की भी आवश्यकता है…अगर विराट की तरह अन्य सेलिब्रिटीज भी अपने जीवन में मानसिक तनाव और कठिनाइयों के दौर की सच्ची
कहानियाँ शेयर करने लगें तो शायद आम जनमानस में मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता पैदा हो और इसकी स्वीकार्यता बढ़ सकती है. संजय दत्त ने भी अपने जीवन के उतार चढाव साझा किये हैं और युवाओ को वे सन्देश भी दे रहे हैं। मानसिकस्वास्थ्य के सम्बन्ध में अभी बहुत कार्य किये जाने की आवश्यकता है, सरकारी और गैर सरकारी दोनो स्तरों पर ..।

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