एक दिन हर दीवार गिरती है जैसे आज के दिन बर्लिन की दीवार गिरी…
एक दिन हर दीवार गिरती है..समय लगता है कोई न कोई तो पहल करता ही है..। जैसे कि सालों बाद 9 नवम्बर, 1989 को आज ही दिन बर्लिन की दीवार को गिरा दिया गया। यह दीवार एक देश को दो भाग में बांटती थी। लोगों ने 28 साल तक इस बांटवारे के जख्म को सहा और धीरे धीरे इस दीवार को गिराने की आवाज तेज होने लगी। 9 नवम्बर, 1989 का इतिहासिक दिन को बर्लिन की दीवार गिराई जाने लगी। इसके साथ ही खात्म हो गई बर्लिन शहर को पूर्वी और पश्चिमी टुकड़ों विभाजित करने वाली दीवार। यह शीत युद्ध का प्रमुख प्रतीक मानी जाती थी।
मौजूदा सरकारी दस्तावेजों के अनुसार बर्लिन की दीवार पश्चिमी बर्लिन और जर्मन लोकतांत्रिक गणराज्य के बीच बर्लिन शहर को पूर्वी और पश्चिमी टुकड़ों में विभाजित करते हुए 13 अगस्त 1961 को बनाना शुरू की गई थी। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद जब जर्मनी का विभाजन हो गया, तो सैंकड़ों कारीगर और व्यवसायी प्रतिदिन पूर्वी बर्लिन को छोड़कर पश्चिमी बर्लिन जाने लगे। बहुत से लोग राजनैतिक कारणों से भी समाजवादी पूर्वी जर्मनी को छोड़कर पूँजीवादी पश्चिमी जर्मनी जाने लगे । इससे पूर्वी जर्मनी को आर्थिक और राजनैतिक रूप से बहुत हानि होने लगी। बर्लिन दीवार का उद्देश्य इसी प्रवासन को रोकना था। इस दीवार बनाने का प्रस्ताव वाल्टर उल्ब्रिख़्त के प्रशासन ने रखा और सोवियत नेता निकिता ख्रुश्चेव ने प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी।
जो भी इधर उधर आया- गया उसने गोली खाई…
बर्लिन की दीवार बनने से प्रवास में तो कमी आईं लेकिन अपनी मर्जी से रहने के लिए जो भी इधर—उधर गाया उसे दीवार के पास पहुंचते ही गोली मार दी जाती थी। फिर लोग अपनी जान की परवाह किए बिना चोरी छुपे दीवार के उस तरफ से इस तरफ और इस तरफ से उस तरफ आते जाते रहे। पर यह बहुत जोखिम भरा था। लोग सुरंग बनाकर, गरम हवा के गुब्बारों से, दीवार के ऊपर गुजरती तारों पर खिसककर दीवार पार करने लगे थे। इस दीवार का बनना समाजवादी गुट के प्रचार तंत्र के लिए बहुत बुरा साबित हुआ। पश्चिम के लोगों के लिए यह समाजवादी अत्याचार का प्रतीक बन गई, खास तौर पर जब बहुत से लोगों को सीमा पार करते हुए गोली मार दी गई।
1980 के दशक में सोवियत आधिपत्य के पतन होने से पूर्वी जर्मनी में राजनैतिक उदारीकरण शुरू हुआ और सीमा नियमों को ढीला किया गया। इससे पूर्वी जर्मनी में बहुत से प्रदर्शन हुए और अंततः सरकार का पतन हुआ। 9 नवम्बर 1989 को घोषणा की गई कि सीमा पर आवागमन पर से रोक हटा दी गई है। पूर्वी और पश्चिमा बर्लिन दोनों ओर से लोगों के बड़े बड़े समूह बर्लिन की दीवार को पारकर एक-दूसरे से मिले। अगले कुछ सप्ताहों में उल्लास का माहौल रहा और लोग धीरे-धीरे दीवार के टुकड़े तोड़कर यादगार के लिए ले गए। बाद में इस दीवार को पूरी तरह से तोडकर साफ कर दी गई। इस तरह 3 अक्टूबर 1990 को जर्मनी फिर से एक देश हो गया ।