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झांसी-खजुराहो फोरलेन सड़क का निर्माण में रोडा बनें अतिक्रमणकारी

— अब तक सिर्फ 55 फसीदी ही हुआ कार्य
— अगस्त 2020 तक है फोरलेन सड़क का निर्माण की समय सीमा
— जिला प्रसाशन नही हटा पा रहा है अतिक्रमणकारियों को

 

 (कमलेश पांडे, छतरपुर)

मध्यप्रदेश। प्रदेश के झांसी से खजुराहो को जोडऩे वाले बहुप्रतीक्षित फोरलेन मार्ग निर्माण का प्रोजेक्ट बंद हो सकता है। सड़क का निर्माण कर रहे केन्द्र सरकार के एनएचएआई विभाग को छतरपुर जिला प्रशासन का अपेक्षित सहयोग न मिलने के कारण इस प्रोजेक्ट पर ग्रहण लग सकता है। 13 फरवरी 2018 को शुरू हुए 85 किमी के इस फोरलेन प्रोजेक्ट को अगस्त 2020 में पूरा किया जाना है लेकिन प्रशासन के द्वारा जमीन अधिग्रहण के बाद भी अतिक्रमणकारियों को जमीन से बेदखल करने में लापरवाही बरती जा रही है जिसके चलते अब तक इस प्रोजेक्ट का सिर्फ 55 फीसदी काम ही पूरा हो सका है जबकि अब तक 70 फीसदी काम हो जाना चाहिए था। प्रोजेक्ट को पूरा करने में आ रही दिक्कतों के चलते एनएचएआई विभाग इस प्रोजेक्ट को मप्र पीडब्ल्यूडी के हवाले कर इसे छोड़ सकता है। एनएचएआई ने इसी तरह की दिक्कतों के चलते तमिलनाडु के तीन बड़े प्रोजेक्ट इसी साल छोड़ दिए थे।
-300 करोड़ का जमीन अधिग्रहण, कुल 13 सौ करोड़ में हो रहा निर्माण

झांसी से खजुराहो तक फोरलेन निर्माण का यह काम एनएचएआई विभाग की देखरेख में पीएनसी कंपनी के द्वारा किया जा रहा है। एनएचएआई ने इस सड़क के निर्माण पर लगभग 300 करोड़ रूपए का खर्च किसानों की भूमि अधिग्रहीत करने में किया है जबकि कुल 1310 करोड़ रूपए में इस फोरलेन का निर्माण किया जाना है। जिस हिसाब से फोरलेन निर्माण का काम चल रहा है उससे यह संभव नहीं लगता कि प्रोजेक्ट अपनी निर्धारित तारीख अगस्त 2020 में पूरा हो जाएगा।

-छतरपुर बाईपास का निर्माण भी अधर में लटका

इसी प्रोजेक्ट के अंतर्गत छतरपुर का बाईपास भी शामिल है। नौगांव के पूर्व चौबारा ग्राम से शुरू हुआ यह बाईपास छतरपुर के आगे पन्ना रोड पर ग्राम चन्द्रपुरा के समीप खुलेगा। 35 किमी के इस बाईपास में से 25 किमी की सड़क का निर्माण पूरा हो चुका है लेकिन छतरपुर से सटे ग्राम सरानी और चन्द्रपुरा में मुआवजा राशि के विवाद के चलते लोग अपनी जमीन पर काम नहीं होने दे रहे हैं जिसके कारण यह बाईपास भी अधर में लटक गया है।
-कलेक्टर और कमिश्नर पर है जिम्मेदारी
इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत केन्द्र सरकार के एनएचएआई विभाग को जमीन दिलाने की जिम्मेदारी मप्र सरकार और उसके प्रशासन की होती है लेकिन छतरपुर जिला प्रशासन मुख्य सचिव मप्र सरकार के बार-बार चेताने के बाद भी एनएचएआई विभाग को अधिग्रहीत जमीन पर कब्जा नहीं दिला पा रहा है। ग्राम सरानी और चन्द्रपुरा के समीप कई लोग अधिक मुआवजा पाने के लिए पीएनसी कंपनी को काम नहीं करने दे रहे जिसके कारण पीएनसी ने कई स्थानों पर काम बंद कर दिया है। कलेक्टर मोहित बुंदस की लचर कार्यप्रणाली के चलते छतरपुर और खजुराहो के विकास के लिए संजीवनी का काम करने वाला यह प्रोजेक्ट अधर में लटकता नजर आ रहा है।
-इनका कहना-
लक्ष्य के अनुरूप हमारा काम अब तक पूरा नहीं हुआ है। कुछ स्थानों पर समस्याएं आ रही हैं जल्द ही इन समस्याओं का निराकरण कर फोरलेन के निर्माण को समय पर पूरा करने का प्रयास किया जाएगा।
(जे बालाचन्द्रन, प्रोजेक्ट डायरेक्टर एनएचएआई)
मामला मेरे संज्ञान में है। अयोध्या पर फैसले को लेकर फिलहाल प्रशासन कानून व्यवस्था को बेहतर बनाने में जुटा हुआ है इस मसले के बाद हम इस प्रोजेक्ट पर गंभीरता से ध्यान देकर समस्याओं का निराकरण करेंगे।
(आनंद शर्मा, कमिश्नर, सागर)

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