Madhy Pradesh

कार वाली बहू ना लाएं संस्कार वाली बहू लाएं -जयंती किशोरी शर्मा

शाहगंज। कार वाली बहू घर में आते ही अपनी सरकार चलाएगी, इसलिए अगर आप चाहते हैं कि आपकी बहु आपकी सेवा करे, तो आप संस्कार वाली बहु लाएं। उक्त उद्गार राष्टीय कथा वाचक सुश्री जयंती किशोरी शर्मा ने नगर के नई बस्ती में चल रही सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद भागवत कथा के तृतीय दिवस गुरूवार को व्यक्त किए। सुश्री जयंती ने दहेज प्रथा पर व्यंग्य करते हुए कहा कि दहेज में भले कार न दें पर अपनी बहू को अच्छे संस्कार जरूर दें। जो बहु लाते हैं उनसे निवेदन है आप कार वाली बहू ना लाएं संस्कार वाली बहू लाएं।

मानव तन को पाने के लिए देवता भी लालायित रहते हैं—

श्रीमद भागवत कथा का रसापान कराते हुए सुश्री जयंती किशोरी ने कहा कि कर्म इस संसार में आने वाला हर जीव करता है, मगर भगवत्‌ आराधना और भक्ति केवल मानव तन से ही संभव है। उसके बाद भी कुछ लोग अपने कर्म और भक्ति के बाद स्वर्ग पाने की इच्छा मन में पालते हैं। उन्हें पता नहीं होता है कि जिसे वे स्वर्ग पाने का रास्ता समझते हैं, उस मानव तन को पाने के लिए देवता भी लालायित रहते हैं, क्योंकि मानव देह पाने के बाद ही भक्ति रस से मिलने वाले आनंद का अनुभव किया जा सकता है। ध्रुव चरित्र की कथा सुनाते हुए कहा कि सुश्री शर्मा ने कहा कि अवधपुरी में राजा उत्तानपद राज किया करते थे। उनकी बड़ी रानी का नाम सुनीति था और उनके कोई संतान नहीं थी। देवर्षि नारद रानी को बताते हैं कि यदि तुम दूसरी शादी कराओगी तो संतान प्राप्त होगी। रानी अपनी छोटी बहन सुरुचि की शादी राजा से करवा देती है और समय आने पर उससे एक संतान की उत्पत्ति होती है। उसी समय कुछ दिनों के बाद बड़ी रानी भी एक बालक को जन्म देती है। 5 वर्ष बाद जब राजा अपने बेटे का जन्म दिन मना रहे थे तो बालक ध्रुव भी बच्चों संग खेलता हुआ उनकी गोद में बैठ गया, जिस पर बड़ी रानी उसको लात मारकर उठा देती है और उसे कहती है कि यदि अपने पिता की गोद में बैठना है तो अगले जन्म तक इंतजार कर। बालक ध्रुव को यह बात चुभ जाती है और वह वन में जाकर कठिन तपस्या करने लगते हैं।

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