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इस सर्दियों में गेंहू नहीं बाजरें की रोटी खाए..बहुत लाभ होगा

स्वाद के साथ ही अब सेहत को लेकर जागरूकता बढ़ रही है .शहरी समाज अब गेंहू के आटा के साथ जौ,चना ,मक्का और बाजरा के आटें पर भी जोर देने लगा है .पर आटा बनाने और बेचने वाली कंपनियां इसमें जो घालमेल कर रही हैं उसे जरुर समझना चाहिए .बाजार का पैकेट वाला मल्टीग्रेन आटा आपको वह सब भी खिला दे रहा है जिसकी आपको कोई जरुरत नहीं है .दूसरे इसमें गेंहू का आटा और दूसरे आटा का अनुपात क्या हो यह भी ध्यान नहीं रखा जाता .गेंहू के आटा में दूसरे अन्न का आटा चौथाई हिस्से से ज्यादा न मिलाएं .दूसरे सोयाबीन जैसे हाई प्रोटीन से बचे इसका आटा सभी को रास आ जाए यह जरुरी नहीं .यूपी बिहार में लोग जौ और चने का आटा इस्तेमाल करते रहें है .पर पंजाब से जबसे सरसों का साग और मक्के की रोटी का प्रचलन बढ़ा है मक्का भी खूब इस्तेमाल किया जाता है .पंजाब के किसानो के लिए यह ठीक है पर अपने तरफ चावल का इस्तेमाल ज्यादा होता है जिससे मक्का का इस्तेमाल शुगर वालों के लिए ठीक नहीं .इस जाड़े में बाजरा के रोटी खाकर देखें .यह गेंहू की तुलना में ज्यादा सुपाच्य है .यह गर्मी भी देगा और मैग्नीशियम, कैल्शियम, मैग्नीज, ट्रिप्टोफेन, फास्फोरस, फाइबर आदि भी .मोटे अनाज में यह बेहतर होगा .राजस्थान में यह काफी लोकप्रिय है .इसका आटा सानने के लिए गुनगुने पानी का इस्तेमाल करें .यह हाथ से बनाई जाने वाली रोटी है पर बेल सके तो जरुर बेल कर बनायें .मिटटी के तवे पर बना कर देखें .रोटी के साथ देशी घी का इस्तेमाल करें और उड़द या चने की दाल के साथ स्वाद लें ।

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