“नो ब्रा डे आज: 24 घंटे के लिए महिलाओं को ब्रा न पहने की सलाह
— ब्रेस्ट कैंसर के प्रति जागरूक करने के लिए मनाया जाता है “नो ब्रा डे”
— भारत में हर आठ मिनिट में एक महला की मौत
— हर साल डेढ लाख महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर
— एक महिलाएं हर साल दम तोडती है इस बिमारी से
आज 13 अक्टूबर को दुनिया भर में ब्रेस्ट कैंसर के प्रति जागरूकता फैलाने के लिये “नो ब्रा डे” मनाया जा रहा है। लेकिन भारत में इसकी चर्चा कम ही है। महिलाएं इसके बारे में चर्चा करने में शर्म महसूस करती है। उनकी यह शर्म उनके लिए जानलेवा सबित हो रही है।
जाजकारी के अनुसार भारत में प्रत्येक आठ मिनिट में ब्रेस्ट कैंसर एक महिला की मौत होती है। हर साल भारत में लगभग 1.5 लाख नए मामले सामने आते हैं। एक दशक पहले तक यह आंकड़ा 54,000 था। प्रत्येक 4 मिनिट में एक महिला को जांच के दौरान ब्रेस्ट कैंसर होने का पता चलता है। सबसे चिंता की बात यह है कि इस समय भारत में 25 से 50 साल की उम्र की महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर हो रहा है। महिलाओं को होने वाले कैंसर के प्रकारों में ब्रेस्ट कैंसर 32.3 फसीदी है। ब्रेस्ट कैंसर अब महिलाओं को होने वाली बिमारियों में कॉमन हो गया है। बोस्टन के हार्वर्ड स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के अनुसार 2030 तक भारत को ब्रेस्ट कैंसर पर 20 अरब डॉलर खर्च करने की जरूरत है।
— जानकारी का अभाव
महिलाओं में अभी भी है जानकारी की कमी भारत में अभी भी महिलाओं को डॉक्टर दृारा अपने ब्रेस्ट की जांच करवाने पर शर्म आती है। इसलिये अधिक्तर महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर के गंभीर विषय को हल्के में लेती हैं। महिलाएं तब तक जागरुक नहीं होती जब तक कि उनके परिवार में इस बीमारी का कोई शिकार नहीं होता। मैमोग्राफी से करवा सकती हैं। इसका उपयोग रोग की पहचान करने और उसका पता लगाने के उपकरण के रूप में किया जाता है। मैमोग्राफी का लक्ष्य स्तन कैंसर का शुरूआती दौर में ही पता लगाना है। यह जांच खर्चीली नहीं है।
— ब्रेस्ट कैंसर के लक्ष्ण
स्तन में गांठ होना, निप्पल का लाल पड़ना या उसमें से डिस्चार्ज होना, ब्रेस्ट में सूजन आना, स्तन को दबाने में दर्द होना ब्रेस्ट कैंसर के लक्ष्ण बताए जाते है। अध्ययन में पता चला है कि स्तन कैंसर के जो मरीज सप्ताह में ढाई घंटे नियमित रूप से शारीरिक व्यायाम किया करते हैं, उनकी जान का खतरा काफी हद तक कम हो जाता है।
— नो ब्रा डे का उद्देश्य
इंटरनेश्नल नो ब्रा डे के फेसबुक पेज पर एक पोस्ट है, जिसमें कहा गया है कि ‘ब्रेस्ट अद्भुत होते हैं, महिलाएं अद्भुत प्राणी होती हैं और ब्रेस्ट उनके शरीर का एक अहम हिस्सा। ये अभियान इसलिए नहीं है कि ब्रा मत पहनो, बल्कि इसका उद्देश्य ब्रेस्ट कैंसर के प्रति जागरुकता पैदा करना है. एक दशक पहले, ब्रेस्ट कैंसर के मामले मुंह के कैंसर से भी ज्यादा थे, जिसमें भारत दुनिया भर में पहले स्थान पर था, और यह देश का सबसे तेजी से बढ़ने वाला घातक रोग बनता जा रहा है।