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एनी हाऊ तरीके से पैसा कमाने की दौड़ से बाहर निकले प्रबुद्ध वर्ग

 

-आचार्य विजय रत्नसुंदर सूरी ने प्रोफेशनल्स से सीधे संवाद में अपने मन की पीड़ा बताई और सवालों के जवाब भी दिए

 

                          ( कीर्ति राणा )

 

मध्यप्रदेश। इंदौर शहर के प्रतिष्ठित डॉक्टरों, वकीलों, शिक्षाविदों, व्यापारिक संगठनों के प्रतिनिधियों के लिए रविवार की सुबह के दो घंटे उनके अब तक के जीवन का बहुमूल्य समय साबित हुए। समाज के इन सभी प्रबुद्धजनों को आचार्य विजय रत्नसुंदर सूरी ने आमंत्रित किया था अपने मन की पीड़ा सुनाने और इन सब के मन के भाव जानने के लिए। दो घंटे की इस अवधि में आचार्य श्री की शैली प्रवचन देने की अपेक्षा सीधे संवाद करने की थी।यही कारण रहा कि उनकी कुनेन गोली जैसी कड़वी बातों को भी प्रोफेशनल्स खुशी खुशी स्वीकारते और तालियां बजाते रहे।अपनी बात कहने के बाद आचार्य इन सब को ‘बताओ ऐसा क्यों’ कह कर प्रश्न पूछने के लिए आमंत्रित करते और जब प्रबुद्धजनों में से कोई प्रश्न पूछता तो आचार्य श्री का प्रतिप्रश्न होता फिर पैसा आ गया ना? आप सब के जीवन में पैसा इतना कितना महत्वपूर्ण हो गया ? आप के जवाब सुन कर मुझे मसाला मिलता है, कहीं इंदौर और आप की बातों को भी कोट करुंगा।
पैसा कमाने के लिए इस एनी हाऊ ने क्यों हर तरह का काम्प्रोमाइज करने को मजबूर कर दिया।रामायण में लक्ष्मण रेखा है, खेल में नियम-संविधान है, बॉउंड्री है तो आप सब के प्रोफेशन से यह लक्ष्मण रेखा क्यों गायब हो गई? याद रखो मोर मनी, मैकेनिज्म, फायनेंस, इंडिपेंडेंट और मोर एग्रेसिवनेस के एक एक शब्द से मिल कर ‘माफिया’ बनता है तो इस माफिया से बाहर निकलो, परिवार को समय दो, अपने लोगों से मोबाइल से नहीं सीधे बात करो, कभी पत्र लिख कर हालचाल पूछने की आदत भी डाल लो।
🔹हाइवे पर गाड़ी के पीछे भागने वाले कुत्ता कांपिटिशन में गाड़ी से आगे निकल भी जाए तो गाड़ी का मालिक नहीं बन सकता। आप खुद कांपिटिशन में फंसे रहेंगे तो दूसरे से समाज के लिए कुछ करने की अपेक्षा कैसे कर सकते हैं।
🔹गरीब आदमी को एनी हाऊ की छूट दी जा सकती है लेकिन जिनकी जबर्दस्त प्रेक्टिस चल रही है उन्हें किस ने मजबूर कर दिया। आप जिस भी पेशे में हो तो आप की गुडविल क्या पैसा कमाने से ही है?
🔹मेरा विश्वास देश, राज्य, समाज, परिवार नहीं व्यक्ति परिवर्तन में है। व्यक्ति सुधरा तो सब कुछ बदल जाएगा।जब तक मन में धन की प्रतिष्ठा रहेगी बदलाव नहीं होगा।
🔹गांधी एक था लेकिन पूरी दुनिया को बदल दिया। आज गांधी कहा है। गांधी के नाम से रास्ते का नाम देने से नहीं उनके विचार पर चलने से समाज बदलेगा।
🔹एनी हाऊ इसलिए आया कि मन में आय वुड लाइक टू मोर मनी का भाव आया, इंस्टेंट मनी, एनी हाऊ मोर मनी चाहिए।यदि पैसा मिलने के बाद भी कम लगता रहे तो मेरे प्रवचन से भी कोई सोल्यूशन नहीं मिलने वाला।
🔹आजादी दिलाने के बाद गांधी जी से किसी ने पूछा अब सबसे बड़ी समस्या क्या है? वो बोले शिक्षा, संपत्ति बढ़ी लेकिन संस्कार और संवेदनशीलता नहीं है ।तो कहां ले जाएगी ऐसी शिक्षा, संपत्ति।
🔹वर्तमान एजुकेशन सिस्टम में टीचिंग बहुत है लेकिन टचिंग कितना? सब्जेक्ट दिल को छूता है क्या? एमबीए एजुकेशन तक टच करने वाले सब्जेक्ट है क्या, नहीं तो फिर ऐसी शिक्षा को टॉप प्रयॉरिटी क्यों दे रखी है।
🔹मैंने बच्चों से पूछा था कि स्कूल में आते और जाते घंटी बजती है कौनसी घंटी पसंद है तो पांच हजार बच्चे बोले छुट्टी की घंटी। टीचर बोले जब स्कूल बंद होता है तब खुशी होती है। पेरेंट्स से पूछा तो बोले जब स्कूल चालू रहता है तब आनंद रहता है। वह बेटे को पढ़ाना नहीं चाहते, चाहते हैं कि उतनी देर घर पर आराम मिल सके।
🔹यदि बेटे के लिए मां, शिष्य के लिए टीचर के पास समय नही तो मां और गुरु बनने का भी उन्हें अधिकार नही। सोनिया, राहुल, सुषमा सबसे मिला बताया कि वर्तमान शिक्षा गुमराह करती है क्योंकि इसमें कैरियर की बातें तो खूब हैं लेकिन एक भी लेसन कैरेक्टर का नहीं का है।
किसी वकीलों के संगठन ने शिक्षा की विसंगति पर पीआयएल लगाई क्या?
🔹दिल्ली में चार साल रहा, सेक्स एजुकेशन का प्रावधान आ चुका था। मैंने याचिका लगाई सोनिया से लेकर आडवानी तक से मिला। राज्यसभा में पिटीशन कमेटी में बहस हुई नतीजा निकला कि नो सेक्स एजुकेशन रिकवायर इन इंडिया। आप सब के परिवार को बचाने के लिए मैं लगा रहा। मेने शादी नहीं की, बच्चे भी नहीं लेकिन जिस समाज ने मुझे साधु स्वीकारा उसके प्रति मेरी भी जिम्मेदारी है। प्रकृति हमेशा देने के मूड में रहती है, उससे तो सीखें।
🔹आप लोग तो ऐसा कोई प्रयास करते ही नहीं जिसमें आपको पैसा नहीं मिलता हो।मुझे लगता है अपना घर जलने पर भी आप पानी नहीं डालोगे, क्यों कि पैसा नहीं मिलता।
🔹मेरी बात पर ताली मत बजाओ, इंप्लीमेंट करो ना। प्लीज, पैसे को थोड़ा दूर रखो।आप जिस भी पोजिशन में हैं तो देश के लिए भी कांट्रिब्यूशन करो।आप का शरीर भोजन से, गाड़ी पेट्रोल से, जीवन पैसे से चलता है।सरकार कैसे चलती है टैक्स से ना? तो सीए लोग टैक्स बचाने के रास्ते बताने का काम क्यों करते हैं?
🔹जिस देश में रहते हो, उसके प्रति वफादारी रखना। नौकरी छगनभाई की करो और वफादारी मगन भाई की निभाओ यह तो ठीक नहीं।पैसा यहां कमाओ, जमा विदेश में करो, वहां के गुण गाओ, यह गलत है।
🔹मुलुंड (मुंबई)में डॉक्टरों के बीच मैंने उनसे कहा था अंडर 35 का पेशेंट न बचे या न बचा न पाएं तो उनका बिल छोड़ दें।डॉक्टरों ने मुझ से कारण पूछा तो मैंने कहा उस परिवार की उम्मीद का चिराग ही बुझ गया तो क्या बचा उसके पास? ३५० डॉक्टरों ने प्रतीज्ञा ली की आप की बात का पालन करेंगे।
🔹अहमदाबाद में 950 सीए से चर्चा में उन्हें सुझाव दिया कि अपने पेशे में एक सामाजिक, रिलीजियस ट्रस्ट गठन का पैसा नहीं लोगे, इतना तो संकल्प ले सकते हो, उन लोगों ने यह बात मान ली।
🔹आप लोग जिस पेशे में हो तो आप की समाज के प्रति जबावदारी क्या।एनीहाऊ के रास्ते से आप सफल हो गए लेकिन फ्यूचर के लिए तो इस गलत रास्ते को छोड़ सकते हो।आप जैसे ताकतवर लोग भी यदि समाज में मदद का भाव नहीं रखेंगे तो साधु कहां जाएगा।
🔹कोई एडवोकेट हो तो मैं पूछना चाहता हूं क्या मॉरल, कल्चर, स्प्रिच्युअल पर अटैक करने वाली व्यवस्था पर पीआईएल लगाने का प्रयास क्यों नहीं किया? मुझे पीड़ा है कि आने वाले दिनों में मॉरल, कल्चर, स्प्रिच्युअल की बात करने वाले सब थक जाएंगे। किसी बंगले में आग लगने पर पानी लेकर नहीं जाना चलेगा लेकिन आपके अपार्टमेंट में आग लग गई तो जाना पड़ेगा पानी लेकर वरना आप का घर भी जलेगा।
🔹परिवार में मोबाइल के कारण सदभाव खत्म होता जा रहा है, इमोशनल अटैचमेंट मोबाइल/ मशीन से रहेगा या परिवार के सदस्यों से। ऑन लाइन व्यवस्था ने चेहरा देखना बंद कर दिया तो हमें दूसरे का दुख भी पता नहीं चलता।बच्चा फस्ट फ्लोर पर रहता है हिमालय पर तो नहीँ रहता, उससे भी मोबाइल से बात करना पड़ती है।
🔹मोर मैकेनिज्म यानी आवश्यकता से अधिक हर चीज जहर है-दूध में अधिकतम शकर भी जहर समान हो जाएगी।
इसी तरह मोर एक्टिविटी भी परिवार से कम्युनिकेशन तोड़ रही हैं। एक भिखारी तो सप्ताह में परिवार को एक दिन समय दे सकता है लेकिन आप नही देते।
🔹मैं अपने साधुओं से एक दिन मैं दो बार मिलता हूँ, आप के पास अपने परिवार के लिए समय नहीं। फेमिली के प्रति टाइम और प्रेम नहीं तो पैसा कमाने किसके लिए दौड़ते हो।
🔹मोर फायनेंस का आलम यह है कि संपत्ति के क्षेत्र में इनअफ शब्द लगता ही नहीं। कमाने की होड़ खत्म नहीं होती।संतोष कब आएगा जिनकी संपत्ति कमाने की भूख खत्म नहीं होती वो पागल कुत्ते के समान। संपत्ति को लेकर भाई से कोर्ट में लडें तो यह ऐसी सम्पन्नता किस काम की।
🔹मोर इंडिपेंडेंट भी नहीं हो।जरूरत से ज्यादा स्वतंत्रता नही, कंट्रोल भी चाहिए। बेटे को छोटी उम्र में छूरी नहीं दी तो फिर मोबाइल क्यों दे दिया।स्कूल में बेटा बदमाशी करे तो टीचर नहीं बोले आप ऐसा चाहते हो क्या ? पेरेंट्स भी नहीं चाहते कि बेटे को टीचर सही रास्ते पर लाए।पत्थर की प्रतिमा, लकड़ी का फर्नीचर तभी बनेगा जब उसे काटा, छीला जाएगा।
🔹मोर एग्रेसिवनेस से कमाए पैसे ने शक्ति, तो दी है लेकिन प्रेम और सहनशक्ति खत्म हो गई। लड़का आप की नहीं और आप मेरी नहीं सुनते। संडे के दिन बड़े उल्लास के साथ आए। एक साधु होने के नाते आप की मैं समाज में आप की जिम्मेदारी मानता हूं इसीलिए आप का नंबर क्लास में है । यही क्लास, मॉस को चलाता है।
🔹रिलीजन अपनी जगह पर है। कुरान के आगे पैगंबर, गीता के आगे कृष्ण का नाम हो सकता है। पवित्रता, नम्रता, उदारता के आगे सबका नाम हो सकता है। आप सब इस दिशा में प्रयास करें इसी उद्देश्य से आप सब से मुलाकात करने की इच्छा थी।

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