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छोटे तालाब में बड़ा हादसा और नेताओं, मीडिया का पीपली लाइव ….

 

  (ब्रजेश राजपूत)

 

रोज की तरह उस दिन भी जल्दी ही उठ गया था, उठते ही अंधेरे में ही मोबाइल में वाटस अप पर आये मैसेज चैक भी कर लिये थे। कहीं से कोई वैसी खबर नहीं थी जिससे सिर के बाल खडे हो जायें। तैयार होकर सुबह की सैर पर जा ही रहा था कि मोबाइल की घंटी बजी हमोर अभिषेक का फोन था सर खटलापुरा में बडा हादसा हो गया है नाव डूबने से बहुत सारे लोग डूब गये हैं रीजनल चैनल चलाने भी लगे हैं ये खबर। बस इस एक फोन ने नींद दूर कर दी और अगले कुछ मिनिटों में खबर की पक्की जानकारी लेकर आफिस को बताया और थोडी देर बाद ही हम अपनी कैमरा टीम के साथ खटलापुरा पहुंच चुके थे जहां तूफान के बाद की शांति या कहें कि मुर्दनी सी छायी थी। सुबह साढे चार बजे का हादसा था जब पिपलानी के गणेश मंडल की विशाल प्रतिमा को दो नावों में विसर्जन के दौरान ले जाया गया तो संतुलन बिगडने से दो नाव डूब गयीं और उनमें सवार सत्ररह में से ग्यारह लोग डूब गये। छह लोगों को पास आयी नाव और एक बहादुर तैराक नितिन बाथम ने बचा लिया था। चूंकि हादसा तडके सुबह का था इसलिये हम टीवी वाले जब तक पहुंचते घटनास्थल पर गहमागहमी खत्म हो चुकी थी। तालाब में डूबे शव हमीदिया अस्पताल में पोस्टमार्टम के लिये भेजे जा चुके थे। घाट के किनारे पर पुलिस होमगार्ड के जवान और नगर निगम के कर्मचारी खडे हुये थे और इन सबके साथ थे ढेरों तमाशबीन जो हादसे की खबर मिलने पर बरसते पानी में भी चले आ रहे थे। सबसे पहले हमें मिले भोपाल के सर्वसुलभ जनप्रतिनिधि और मंत्री पीसी शर्मा जो विधायक आरिफ मसूद के साथ उनकी गाडी में बैठकर हमीदिया जा रहे थे जहां उनकी पार्टी के बडे नेता पहुंचने लगे थे। ऐसे में उनका वहां पहले पहुंचना जरूरी था। जल्दबाजी में पीसी शर्मा ने हमें अपने रूकते ठहरते अंदाज में बताया कि घटना बहुत दुखद है हम जांच के आदेश देने जा रहे हैं मरने वाले के परिजनों को राहत का ऐलान हो गया है। अब जाने दीजिये और मंत्री जी रवाना हो गये। उधर घाट के किनारे पर थोडी बहुत अफरातफरी थी मगर तालाब में नजारा अलग था। यहां पर एनडीआरएफ की चार मोटर बोट पानी में उतरी हुयीं थीं ओर उनमें से तीन पर हमारे मीडिया के साथी सवार थे जो दुर्घटना के बाद बचाव कार्य कैसे चल रहा है इसकी नान स्टाप कवरेज कर रहे थे उनमें से कुछ लाइव बुलेटिन पर जुडे हुये थे। मास्क पहन कर गोताखोर नीचे जा रहे थे ओर उपर आने पर हमारे साथियों को साउंड बाइट में नीचे का हाल बता रहे थे। उसी बोट मे पुलिस के एक बडे अधिकारी जो अपनी फिटनेस और मीडिया कवरेज के लिये जाने जाते हैं हम मीडिया वालां को बता रहे थे कि नीचे जो दो बोट डूबी हैं उनमें कुछ शव फंसे हो सकते है, उनको खोजने के प्रयास हम कर रहे हैं। मगर घाट पर खडे एक प्रशासनिक अधिकारी हमें बता चुके थे कि जितने लोग डूबे थे सबको निकाल लिया है सबकी शिनाख्त हो गयी है ओर बचे हुये लोग ऐसे किसी का नाम नहीं बता पा रहे जो नहीं मिल रहा हो फिर ये तालाब में क्या हो रहा है उस पर उन्होंने हंसकर कहा आप जानते हैं ये आप लोगों के लिये हो रहा है। हमारे सभी साथी नाव पर रिपोर्टिंग का अनुभव ले रहे थे हम भी एक नाव में चढे और बचाव कार्य कैसे और क्यों चल रहा है ये बताते हुये निकले क्योंकि टीवी रिपोर्टिंग में कौन सा इनपुट क्लिक हो जाये ये कोई नहीं जानता इसलिये कुछ साथी मोटरबोट में बैठकर ही लाइव कर रहे थे और निश्चित ही टीवी के लिये वो अलग नजारा था जब रिपोर्टर पानी के बीच हो ओर दो तीन नावों में बचाव कार्य चल रहा हो। ये अलग बात है कि हमारे स्टिल फोटोग्राफर इस नजारे को देखकर बहुत हैरान थे कि ये क्या हो रहा है क्यों हो रहा है सारी बाडी तो निकल गयीं फिर ये मशक्कत क्या कवरेज के लिये ही। मगर हम टीवी के साथी इससे बेपरवाह अपने काम में मशगूल थे। उधर पिपलानी के सौ क्वार्टर में भी गहमागहमी जोरों पर थी। ये वही इलाका था जहां के ये सारे लोग थे जो हादसे का शिकार हुये। इस बस्ती पर जैसे बिजली सी गिरी हो इसका अहसास यहां आते ही हो रहा था। छोटी सी संकरी संकरी गलियों के बीच जो बडा पार्क था वहीं पर बने चबूतरे पर गणेश प्रतिमा की स्थापना की गयी थी और एक रात पहले ही विसर्जन के लिये यहां रहने वाले परिवारों के युवक निकले थे जाना था उनको हथाईखेडा मगर जा पहुंचे खटलापुरा। इस बस्ती में अधिकतर भेल के मजदूरों के परिवार थे जो एक पीढी आकर पहले ही यहां बसे थे। बस्ती के मकान एक दूसरे से सटे ओर बेहद छोटे थे। हादसे में मारे गये विशाल के घर के पास ही उसके साथी रोहित का पानी में डूबा घर था। जहां लोग उसकी मां ओर बार बार गश खाकर बेहोश हो रहे पिता को मुश्किल से संभाल रहे थे। इस छोटी सी बस्ती में पुलिस नगर निगम के लोगों के बीच में नेताओं की चहलपहल चरम पर थी। भोपाल की सांसद अस्त व्यस्त से भगवा कपडों में घर घर जाकर परिवार की महिलाओं के गले लगकर उनका दुख बांट रहीं थी तो पीसी शर्मा यहां पहुंचे हुये थे ही और मंत्री जयवर्धन सिंह भी यहां आकर ऐसे मौकों पर क्या और कैसे लोगों का दुख बांटे सीखने की कोशिश करते दिखे। मगर गम के इन मौकों पर आंसू पोंछने में सिदधहस्त है शिवराज, जो यहां सबसे पहले आकर रूंधे गले ओर भरी आंखों से जो भी सामने दिख रहा था उसके सिर पर हाथ रखकर सांत्वना दे रहे थे। मगर यहां जिसकी कमी खल रही थी वो थी सीएम कमलनाथ जो वाल्मी के हाल में उसी वक्त मानवाधिकार दिवस पर जल का अधिकार गोष्ठी को संबोधित कर रहे थे ऐसे में मुझे बाबूलाल गौर साब याद आये जो 2004 में जब सी एम थे तब सुखी सेवनिया में हुयी रेल दुर्घटना में मारे गये भोपाल के बारह युवकों के घर उसी दिन शाम को जा पहुंचे थे जिसकी सुबह उन्होंने अपने जवान बेटे की अंत्येष्टि की थी।

 

लेखक ब्रजेश राजपूत,एबीपी न्यूज मप्र

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