मल्टी लेवल मार्केटिंग ठगी को उजागर करती है अरूणा की किताब मराउडर्स आफ होप
-किताब में बताए गए हैं मार्केटिंग ठगी से बचने के उपाय
आप ने कई लोगों को कहते हुए सुना होगा कि यार मेरे साथ मार्केटिंग मत कर लेकिन मार्केटिंग करने वाला कहां सुनने वाला है उसका तो मात्र एक लक्ष्य है वो है अपना प्रोडक्ट सेल करना जिसके लिए वह व्यक्ति तरह तरह के प्रलोभन देकर आपको अपने जाल में फांसने के निरंतर प्रयास करेगा और जहां आपने थोडी भी रुचि दिखाई तो वो मार्केटिंग में सफल ही समझिए। ऐसे ही रातों रात पैसा शोहरत हासिल करने के लालच में आज लोग मल्टी लेवल मार्केटिंग घोटालों में फंस रहे हैं, इन्हीं मल्टी लेवल मार्केटिंग घोटालों से पर्दा उठाने और उनसे बचने के उपायों को किताब की शक्ल में प्रस्तुत किया है हैदराबाद निवासी लेखिका अरूणा रविकुमार ने। पुस्तक मराउडर्स आफ होप के बारे में चर्चा करते हुए अरूणा ने बताया कि आपको सपना दिखाकर आपको ही ठगते हैं ये ठग या मार्केटर्स। मार्केटर्स कैसे जाल बिझाते हैं और आपके सपनों को चकनाचूर कर आगे बढते हैं और ऐसे ही ठगे जाने वाले लोगों के जरिए बनती है मार्किटिंग चेन। लेखिका का कहना है कि भारत सरकार ने ऐसी फर्जी मार्केटिंग से लोगों को बचाने के लिए 1978 में पीसीएमसीएस एक्ट भी बनाया लेकिन उस एक्ट को अमली जामा पहनाने और एक्ट के विषय में जागरूकता की कमी के कारण अब भी लोग ठगी का शिकार हो रहे हैं।
अरूणा की किताब में नौ अध्याय हैं जिनमें बताया गया है कि कैसे लोग मार्केटर्स के झांसे में आकर विश्वासघात का शिकार होते हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि मार्केटर्स की एक पॉलिसी होती है जिसके तहत वे ठीक वैसा करते हैं कि मेंढक को खोलते पानी में नहीं डालते बल्कि पहले ठंडे पानी में डालते हैं और फिर धीरे धीरे आंग की लो बढाते हैं जिसमें मेंढक की जान चली जाती है। अरूणा की किताब के आखिरी के अध्यायों में पाटकोंं को सुझाव दिए गए हैं कि कैसे इस मल्टी लेवल मार्केटिंग के जाल से बचा जा सकता है।अरूणा का कहना है कि आज मार्केट में कई ऐसे प्रोडक्ट हैं जैसे टप्पर वेयर, एमवे, इबिज जिनकी मार्केटिंग के लिए चेन सिस्टम बनाया गया है और आगे के लेवल के कुछ गिनती के ही लोग इस मार्केटिंग का लाभ उठा पाते हैं और बाकि के लोगों की पूंजी डूब जाती है।
-लोगों की कमजोरी है ठगा जाना
अरूणा ने बताया कि मैं पेशे से पत्रकार हूं और मैंने एक टॉक शो किया था जिसका टॉपिक
कुछ ऐसा ही था, वहां डिबेट के बाद ठगी के शिकार कई लोग सामने आए जिनके साथ ठगी की घटनाएं हुई थीं। उनकी कहानियों को सुनने के बाद लगा कि मार्केटिंग के तरीकों से की जाने वाली ठगी पर लगाम लगाया जाना आवश्यक है। इसकेलिए ठगी से बचने के उपाय लोगों तक पहुंचाना जरुरी था, इसका सबसे कारगार तरीका यह था कि उपायों को एक किताब के माध्यम से बताया जाए। मैंने मराउडर्स आफ होप किताब लिखने की सोची। यह मेरी पहली किताब है जिसके जरिए मैं ऐसी घटिया मार्केटिंग से लोगों को बचाना चाहती हूं। मेरी सरकार से विनती है कि झूठी और जालसाजी वाली मार्केटिंग के खिलाफ लोगों में जागरूकता फैलाने के साथ ही पीसीएमसीएस एक्ट का लाभ लोगों को मिल सके इस दिशा में भी काम करे।