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अलबेला गायक : रोचक किस्सों को सुनते हुए ‘इराक’ में याद किया हरफनमौला किशोर कुमार को 

-क्रिश्चियन कॉलेज केंटीन के बकाया पांच रु बारह आना को किशोर दा ने गाया था गीत में 

 

    (कीर्ति राणा)
ख्यात गायक और हरफनमौला किशोर (आभास) कुमार क्रिश्चियन कॉलेज में भाई अनूप(कल्याण) कुमार के साथ दो साल पढ़े।जुलाई 46 से 48 के दौरान कॉलेज के पीछे ईमली के पेड़ के नीचे महफिल जमती, कभी कॉलेज के प्रोफेसरों की मिमिक्री तो कभी यूडलिंग करते, किसी को उसका नाम उल्टा कर के पुकारते। होस्टल के जिस चार नंबर रूम में रहते थे उसमें किताबों की जगह ढोलक,तबला, हारमोनियम जरूर रहता था। कैंटीन वाले काका की पांच रु बारह आने की बराया उधारी को चलती का नाम गाड़ी के लिए लिखे और गाए गीत में शामिल किया।
अदभुत गायक किशोरकुमार के कॉलेज जीवन के ऐसे कई अनसुने किस्से इसी कॉलेज में हिस्ट्री के संकायाध्यक्ष रहे डॉ स्वरूप वाजपेयी ने ‘इराक’ की बैठक में सुनाए।किशोर दा के एडमिशन फार्म, थर्ड डिवीजन में पास दसवीं की अंकसूची आदि दस्तावेज और ऐसे सारे किस्से उन्होंने इतने वर्षों में जुटाए हैं।यही वजह है कि किशोर दा के जन्मदिन से पहले देश का मीडिया उन्हें तलाशते हुए इंदौर पहुंच जाता है। डॉ वाजपेयी बताते हैं न मैंने पढ़ाया न ही उनका समकालीन हूं।बस सारी जानकारी जुटाना मेरी दिलचस्पी रही तो डॉ मधुसूदन बाबूराव होल्कर, जूनी इंदौर वाले बद्रीलाल जोशी जी, हॉकी खिलाड़ी एजाज एहमद के अब्बा, किशोर दा के खंडवा वाले मित्रों आदि को कुरेद करेद कर किस्से जुटाता रहा। किशोर दा के बहनोई एस मुखर्जी ने देवानंद की ‘जिद्दी’ फिल्म में किशोर दा से जो पहला गीत गवाया ‘मरने की दुआएं क्यों मांगू, जीने की तमन्ना…’ यह गीत उन्होंने इसी कॉलेज से मुंबई जाने के बाद गाया था। उन पर भी शुरुआती दौर में केएल सहगल की गायन शैली का प्रभाव रहा।कॉलेज में दो साल रहे लेकिन पढ़ाई से अधिक टेबल पर थाप देते हुए गाने पर ध्यान रहने के कारण एक बार तो प्रो जयदेव प्रसाद दुबे ने एक दिन क्लास में खड़ा करते हुए फटकार लगाई कि इससे गुजारा नहीं होगा तो बड़ी मासूमियत से जवाब दिया सर इससे ही गुजारा करुंगा।उनके पिता कल्याण कुमार गांगुली ने कॉलेज प्रिंसिपल एए स्कॉट के नाम दो पत्र लिख कर दोनों भाइयों को भेजा था एक में एडमिशन देने और दूसरे पत्र में बोर्डिंग में रूम देने का अनुरोध था।एक बार कॉलेज की पिकनिक पातालपानी गई, उन्हें पानी से डर लगता था, किसी छात्र ने शरारतन उन्हें नाव से धक्का दे दिया, डूबने लगे तब वार्डन रुबेन मोजेस ने कूद कर बचाया।थे बड़े शर्मीले स्वभाव के, कॉलेज फंक्शन में गाते हुए एक ही शर्त होती थी पर्दे के पीछे से गाउंगा और बाद में यही सीन ‘पड़ोसन’ फिल्म में देखने को मिला।पंद्रह अगस्त 47 को देश आजाद होना था, प्रिंसिपल स्कॉट ने 14 अगस्त की  आधी रात में तिरंगा फहराया था।देर रात तक कॉलेज के जॉनसन हॉल में गाना बजाना चला, किशोर दा ने भी गीत गाए।
मुंबई मिलने को बुलाया लेकिन मिले ही नहीं 
कुछ वर्षों पहले कॉलेज में आयोजित फंक्शन के लिए किशोर कुमार को अतिथि के बतौर बुलाने की सहमति बनी, फोन कर के मुलाकात का समय लिया। छात्रसंघ अध्यक्ष जार्ज बेनेडिक नायडू, रमेश टोंग्या, विजय देशपांडे, रघु भैया शिवनेकर (मालवा स्टूडियो) मुंबई उनके निवास पर पहुंच गए। सारे परिचय बताए लेकिन दरबान अब्दुल ने अंदर ही नहीं घुसने दिया। थकहार कर ख्वाजा अहमद अब्बास को निमंत्रित कर के लौटे।
चेक मिलने के संकेत बाद ही मंच पर आए 
पैसे को लेकर उनकी कंजूसी का किस्सा सुनाते हुए डॉ वाजपेयी बताने लगे कॉलेज के पूर्व छात्रों महेश जोशी, विक्रम वर्मा आदि ने  ‘आराधना’ फिल्म की सक्सेस पार्टी के रूप में किशोर कुमार नाईट आयोजित की थी।मंच पर कॉमेडी आर्टिस्ट कब तक लोगों को संभालता, किशोर कुमार मंच पर तब ही आए जब सेक्रेटरी ने ईशारा कर दिया कि चेक मिल गया है।

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