एक डॉक्टर ऐसा भी…जिसके लिए मरीजों की सेवा ही लक्ष्य
–सप्ताह में एक दिन मरीजों को निशुल्क देखेंगे डॉ महाजन
– मरीजों का दिल दुखे ऐसा पैसा मत कमाना पिता की यह सीख और रोल मॉडल शिक्षकों की एप्रोच से चालीस साल की शासकीय सेवा पूर्ण की
( कीर्ति राणा)
मध्यप्रदेश। चालीस साल की शासकीय सेवा पश्चात डॉ उल्हास महाजन (इंदौर) एक अगस्त से निजी चिकित्सा क्षेत्र में खुलकर सक्रिय हो जाएंगे।उनके पिता डॉ वीके महाजन भी सिविल सर्जन रहे, उन्हीं की सीख थी कि मेडिकल पेशे में ऐसा पैसा मत कमाना कि मरीज का दिल दुखे। पिता की इस सीख का ही असर रहा कि सरकारी अस्पतालों में आने वाले अत्यंत गरीब मरीजों के किराए, दवाई आदि के लिए अपनी जेब से भी पैसा देते रहे। पिता की ही तरह मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई के दौरान नामचीन चिकित्सक एसके मुखर्जी, आरएस मेहता, जीसी सिपाहा, एसी जैन से लेकर डॉ डी सिंह से भी बहुत कुछ सीखा। अब जब वे सेवामुक्त हो रहे हैं तो यह भी तय किया है कि सप्ताह में एक दिन मरीजों को निशुल्क देखेंगे और जरूरतमंद मरीजों की मदद भी करेंगे।
डॉ महाजन का अधिकांश सेवा काल पीसी सेठी अस्पताल, हुकमचंद अस्पताल, जिला अस्पताल, मल्हारगंज लाल अस्पताल में ही गुजर गया। कभी ट्रांसफर हुआ भी तो बिना भोपाल के चक्कर लगाए निरस्त भी हो गया।सेवा के दौरान की अपनी यादें साझा करते हुए कहने लगे इंदौर में जितने भी कलेक्टर आए मातहत अधिकारी उन्हें सुझाव दे देते थे कि मेडिकल संबंधी किसी भी मामले के लिए डॉ महाजन ही सही आदमी हैं। 2002 में मल्हारगंज अस्पताल में पदस्थ रहने के दौरान तत्कालीन कलेक्टर मो सुलेमान ने डॉक्टरों की कमी के चलते उनका ट्रांसफर पीसी सेठी अस्पताल कर दिया था। इसके विरोध में पंडित कृपाशंकर शुक्ला के नेतृत्व में उस क्षेत्र के सैकड़ों लोग सीएमओ (डॉ शरद पंडित) ऑफिस पहुंच गए, अंतत: दो दिन मल्हारगंज और चार दिन पीसी सेठी अस्पताल में सेवा देने की व्यवस्था की गई।
मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई के दौरान आदर्श रहे डॉ एसके मुखर्जी से मरीजों पर नाराज नहीं होना, किसी डॉक्टर की बुराई मरीज के सामने नहीं करना सीखा तो डॉ आरएस मेहता के क्लिनिकल और फिजिशियन नॉलेज ने, डॉ एसके जैन के न्यूरोलॉजिकल एप्रोच और मेडिकल प्रोफेशनल टच तो डॉ डी सिंह से कपड़े पहनने का सलीका सीखा। चालीस साल की सेवा में पिता की सीख और रोल मॉडल रहे इन शिक्षकों का ही प्रभाव रहा कि सेलरी के अलावा ऊपरी इन्कम से पैसा नहीं कमाया, यही कारण रहे कि सांसद रहीं सुमित्रा महाजन हों या कांग्रेस नेता महेश जोशी,जलगांव में जन्मे और इंदौर से मेडिकल एजुकेशन पूर्ण करने वाले डॉ महाजन सभी दलों की पसंद बने रहे।शासकीय सेवा में चुनौतीपूर्ण अवसर भी खूब आए लेकिन तत्कालीन कलेक्टर (अभी संभागायुक्त) आकाश त्रिपाठी के वक्त जब संत आसाराम का मेडिकल परीक्षण करना पड़ा तब तमाम दबाव के बावजूद रिपोर्ट देने में किसी तरह का समझौता नहीं किया।