आरटीआई संशोधन बिल केंद्र सरकार अपने मंसूबे में कामयाब,बिल पास
दिल्ली। सुचना के अधिकार कानून में संशोधन के लिए लाए गए संशोधन विधेयक राज्यसभा में भी पास करने में केंद्र सरकार कामयाब हो गई । राज्यसभा में गुरूवार को बिल घ्वति मत से पारित हो गया। बिल के पक्ष में 117 और विपक्ष में 75 वोट पडे। इस तरह आरटीआई संशोधन बिल राज्यसभा में पास हो गया है।
गुरूवार को राज्यसभा में आरटीआई संशोधन बिल पर विपक्षी पाटिर्यो ने भारी हंगामा किया ,लेकिन सरकार की तरफ से पहले बिल के पक्ष में नंबर की जुगाड कर ली गई थी इसलिए सरकार को बिल पास होने का पूर्ण विश्वास था। कांग्रेस ने बिल के विरोध में वाकआउट कर दिया। जबकि कुछ विपक्षी पाटिर्यो ने बिल का समर्थन किया। एक दिन पहले सरकार की ओर से पीयूष गोयल और प्रह्लाद जोशी ने विपक्षी पाटियों के नेताओं से बात कर उनका समर्थन हसिल कर लिया था। जिसकी वजह से बिल के पक्ष में पर्याप्त मत मिले गए और कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी पार्टियों का प्रस्ताव खारिज हो गया जिसमें बिल को सेलेक्ट कमेटी में भेजने की मांग रखी जा रही थी।
-संशोधन बिल में क्या?
आरटीआई अधिनियम की धारा13 मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों की पदावधि और सेवा शर्तो का उपबंध करती है. इसमें उपबंध किया गया है कि मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों का वेतन , भत्ते और शर्ते क्रमश: मुख्य निर्वाचन आयुक्त और निर्वाचन आयुक्तों के समान होगी । इसमें यह भी उपबंध किया गया है कि राज्य मुख्य सूचना आयुक्त और राज्य सूचना आयुक्तों का वेतन क्रमश : निर्वाचन आयुक्त और मुख्य सचिव के समान होगी। मुख्य निर्वाचन आयुक्त और निर्वाचन आयुक्तों के वेतन एवं भत्ते एवं सेवा शर्ते सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के समतुल्य हैं. ऐसे में मुख्य सूचना आयुक्त , सूचना आयुक्तों और राज्य मुख्य सूचना आयुक्त का वेतन भत्ता एवं सेवा शर्तें सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के समतुल्य हो जाते हैं। वहीं केंद्रीय सूचना आयोग और राज्य सूचना आयोग , सूचना अधिकार अधिनियम2005 के उपबंधों के अधीन स्थापित कानूनी निकाय है. ऐसे में इनकी सेवा शर्तो को सुव्यवस्थित करने की जरूरत है। संशोधन विधेयक में यह उपबंध किया गया है कि मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों तथा राज्य मुख्य सूचना आयुक्त एवं राज्य सूचना आयुक्तों के वेतन , भत्ते और सेवा के अन्य निबंधन एवं शर्ते केंद्र सरकार द्वारा तय होगी।