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सुनो सीएम कमलनाथ….मप्र सरकार के लोकसेवा गांरटी अधिनियम को नहीं मानते अफसर

 

— प्रभारी मंत्री के समाने अफसर ने कहा लोकसेवा गांरटी अधिनियम आवेदन में समय सीमा का कोई मतलब नहीं

मध्यप्रदेश ।  सीहोर जिले के कस्बा वार्ड 34 निवासी आशेक कुमार ने अपने मकान की भूमि का समाकंन करने के लिए मध्यप्रदेश लोकसेवा के प्रदान की गारंटी अधिनियम,2010 के अन्तर्गत 28 जून 2019 को अवदेन नजूल कार्यालय के नाम दिया। अवदेन पर पंजीकृत नंबर आरएस 445 0736 1615 2019 दर्ज किया गया। इस आवेदन का स्वीकार करने के बाद आवेदनकर्ता को रसीद दी गई,जिसमें नजूल कार्यालय द्वारा कार्य करने की अंतिम तारीख 15 जुलाई 2019 दी है। आवदन दिए जब एक स्पताह बीते गया तब आवेदकर्ता ने नजूल कार्यालय में संपर्क किया। कार्यालय में मौजूद जिम्मेदार अधिकारी ने कहा कि अभी सीमाकंन नहीं होगा,बारिश होगी तब करगें। आवेदक को बात समझ नहीं आई उन्होंने फिर नजमल के कई अधिकारियों से संपर्क किया कि उनके मकान की भूमि का सीमाकंन कर दिया,लेकिन अधिकारी से लेकर बाबू तक सीधे मुंह बात करने का तैयार नहीं हुए। जब आवेदन पर कार्य करने की अतिंम तारीख 15 जुलाई 2019 सोमवार आई तब भी नजूल कार्यलय से कोई सीमाकंन करने नहीं पहुंचा,तब आवेदनकर्ता ने कलेक्टर कार्यालय में लगे कमलनाथ सरकार के मंत्री और जिले के प्रभारी मंत्री के दरबार में पहुंचकर आवेदन दिखाते हुए अपनी समास्या बताई,प्रभारी मंत्री ने आवेदकर्ता के हाथ से कागज लिया और सामने बैठे एडीएम विनोद चुतर्वेदी की ओर बढा दिया,एडीएम विनोद चुतर्वेदी ने कागज को देखते हुए कहा कि सेवा गांरटी के तहत दिए आवेदन में कार्य करने की कोई समय सीमा नहीं है। उनका जबाव सुनकर परेशान आवेदनकर्ता ने कहा कि आप ही कार्यालय ने 15 जुलाई 2019 की तारीख को कार्य करने का अंतिम दिन दर्ज किया है। एडीएम श्री चतुर्वेदी मामले को समझे को समझे बिना ही बोल गए। आवेदनकर्ता ने अपनी बात रखना चाह पर जैसा कि हमैशा होता है पुलिस अधिकारियों ने आवेदनक को संकोच करते करते करते कमरे के बाहर तक छोड दिया। यह एक आवेदनकर्ता के साथ हुआ वक्या नहीं है। हर रोज ऐसे कई आवेदकर्ता कलेक्टर, तहसील और अन्य विभागों के चक्क्र काटते रहते है उनके आवेदन पर निर्धारित कार्य करने की अंतिम तारीख समापत हो गई अब कार्य कर दीजिए पर अफसरशाही आम जनता को इंसान ही नहीं समझी। न उनसे बात की जाती न उनको सुना जाता और काम करने की मंशा से ये कार्यालय आते ही नहीं है। अब सेवा गांरटी अधिनियम बनाने का लाभ किसे और कैसे मिलेगा सरकार। ये अधिनियम बनाया ही क्यों है?

—क्या है लोक सेवा गांरटी अधिनियम 2010

लोक सेवा गारंटी अधिनियम 2010 मध्य प्रदेश राज्य द्वारा पारित एक विधेयक है। इसके अनुसार लोक सेवकों को तय समयसीमा में काम को पूरा करना होगा और ऐसा न होने पर जवाबदेही तय कर उन पर 500 से 5000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा। कार्य में देरी करने पर से पीडि़त को क्षतिपूर्ति मिलेगी। यह क्षतिपूर्ति 250 से 5000 रूपए तक की हो सकती है। लोक सेवा प्रदान करने में लापरवाही या कोताही बरतने वाले अधिकारियों पर अर्थदण्ड आरोपित करने का प्रावधान भी इस अधिनियम में किया गया है। अधिनियम में प्रत्येक सेवाओं को प्रदान करने के लिए समय-सीमा निर्धारित की गई है।

-कमलनाथ सरकार से सवाल

जब आपके प्रभारी मंत्री आरिफ अकील के सामने ही अधिका​री सरकार के बनाए गए अधिनियमों को नाकारे तो पीठ के पीछे क्या करते होंगे? तो क्या जनता ने इसलिए चुना आपको?

आवेदनकर्ता के साथ इस तरह का व्यावहार कहां से उचित है? मंत्री जी को संबधित अधिकारी से सवाल करना चाहिए कि आखिर अधिनियम का पालन क्यों नही हुआ? क्यों अवोदनकर्ता को उन तक आना पडा और आपको क्यों नहीं मालूम कि लोक सेवा गांरटी अधिनियम के तहत समय सीमा में सेवा देना अनिवर्य है?

क्या इस तरह प्रदेश की कांग्रेस सरकार जनता के दिल में जगह बनाएगी,प्रशासन के अधिकारी ही जब अधिनियम का पालन नहीं करेंगे तो आपराधी क्या करेंगे यह अच्छे से समझा जा सकता है।

इस घटना से संबधित विडियो इनसाइड स्टोरी डॉट इन के पास मौजूद है जिसे यूट्यूब चनैल पर देखा जा सकता है।

 

 

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