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अमरनाथ यात्रा: रवाना होंगे 530 श्रद्धालु  

-तब बाल ठाकरे की धमकी से घबरा गए थे आतंकी, जाने वालों में सर्वाधिक यात्री इंदौर से 
                 (कीर्ति राणा)
मध्यप्रदेश। बाबा अमरनाथ की यात्रा पर मध्य प्रदेश से जितने भी श्रद्धालु हर साल जाते हैं उनमें सर्वाधिक इंदौर से रहते हैं।इंदौर में भी ओम जटाशंकर पारमार्थिक सेवा समिति सर्वाधिक श्रद्धालुओं को ले जाने वाली एकमात्र संस्था है जिसका यह 26वां साल है।1994 में नरेंद्र शर्मा और उनके पांच दोस्त गए थे। इस साल 530 श्रद्धालु गुरुवार की दोपहर मालवा एक्सप्रेस से रवाना होंगे।तब से अब तक इस यात्रा में यह बदलाव आया है कि पहले आतंकवादी संगठन आर्मी को टारगेट करते थे और अब अमरनाथ यात्रियों को भी।
समिति अध्यक्ष नरेंद्र शर्मा 1994 की यात्रा की याद करते हुए बताते हैं तब सरकारी तंबू की एकमात्र व्यवस्था रहती थी। बिस्तर, कंबल सब किराए से लेना पड़ते थे, जो कीचड़ में लथपथ होते थे।नालियों पर पटिये वाले सुविधाघर रहते थे।बदलाव यह आया है कि फायबर के लेट-बॉथ हैं, साधन-सुविधाएं बढ़ गई हैं। दिल्ली-पंजाब के सिख सेवादारों की लंगर व्यवस्था अकल्पनीय हो गई है।सेना और लंगर इनके सहयोग की जितनी तारीफ की जाए कम है।1994 में सामान्य दर्जे का आने-जाने का टिकट 700 रु में हो जाता था, पिट्ठू (घोड़े के) 700 रु, बस व अन्य जरूरी खर्च मिलाकर पूरी यात्रा 14सौ रु में हो जाती थी।अब इंदौर से दिल्ली आने-जाने का रेल टिकट ही 1300 रु का बनता है।घोड़े-पालकी का निर्धारित सरकारी रेट 3500 रु तय है लेकिन यात्रियों का दबाव अधिक होने पर मनचाहा रेट वसूला जाता है, स्थानीय प्रशासन भी कुछ नहीं कर पाता।
-आना-जाना-रहना-खाना समिति द्वारा
पहले साल 6,दूसरे साल 15, तीसरे साल 50 यात्री और इस 26वें साल 530 यात्री जा रहे हैं। प्रति यात्री 32 सौ रु शुल्क में आना-जाना-रहना-सफर के दौरान खाना, वहां बसों से बैस कैंप तक की व्यवस्था समिति द्वारा की जाती है।यात्रा पहलगाम चंदनवाड़ी से शुरु कर बालटाल के रास्ते वापस लौटते हैं।वैसे तो कुल 889 यात्री जा रहे हैं लेकिन बाकी यात्री दक्षिण के धार्मिक क्षेत्र भी घूमेंगे।यदि यात्रा के दौरान कोई यात्री सामान्य या गंभीर घायल हो जाए तो 5 से 25 हजार और अकाल मृत्यु पर सदस्य के परिजनों को एक लाख तक की मदद समिति द्वारा की जाती है।
-तब बाल ठाकरे की चेतावनी से  घबरा गए थे आतंकी संगठन 
आतंकवादियों ने घोषणा कर दी थी कि इस साल (1994) यात्रा नहीं निकलने देंगे।तब शिवसेना के (स्व) बाल ठाकरे ने उतनी ही ताकत से चेतावनी दी थी कि मुंबई से एक भी मुस्लिम को हज यात्रा के लिए रवाना नहीं होने दूंगा। मेरे 50 हजार सैनिक अमरनाथ यात्रा पर जाएंगे, देखता हूं कौन आतंकवादी उन्हें रोकता है। बाला साहब की चेतावनी का ही असर रहा कि किसी आतंकवादी की हिम्मत नहीं हुई बखेड़ा करने की।ठाकरे मैदानी नेता थे, बाकी सारे नेता दिमागी हैं जो वार्ता, संगठनों से चर्चा, सुरक्षा बढ़ाने जैसे विकल्पों पर विचार करते हैं।वो ईंट का जवाब पत्थर से देना जानते थे।
-चार महीने बिजनेस से ज्यादा वक्त यात्रा की तैयारियों के लिए देते हैं पदाधिकारी
नरेंद्र शर्मा
ओम जटाशंकर पारमार्थिक सेवा समिति अध्यक्ष नरेंद्र शर्मा ‘जय भोले’ बताते हैं यात्रा की तारीख घोषणा के बाद पदाधिकारियों को चार-पांच महीने बिजनेस से अधिक समय तैयारियों के लिंए देना पड़ता है।सुरेश गागरे, अशोक केवट, अजय कानूनगो, दिनेश शर्मा, रवींद्र पालीवाल, उमा शर्मा, अमोल यादव, विजय परमार, मयूर निकम, विशाल भंडारी, धर्मेंद्र कंडाले, राकेश पालीवाल, शैलेंद्र आदिवाल पदाधिकारी रेलवे टिकट बुकिंग से लेकर पीएनबी की नाथ मंदिर और जेएंड के बैंक की जंजीरवाला चौराहा शाखा में यात्रियों के रजिस्ट्रेशन कराने की भागदौड़ में लगे रहते है।यात्रा संपन्न होने के बाद सभी यात्रियों को एक एक पैसे का हिसाब देने के साथ ही बचा हुआ पैसा लौटा देते हैं।1996 में हुए भीषण हिमपात और सैकड़ों यात्रियों की अकाल मृत्यु के बाद से ही सरकार ने रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था शुरु की है ताकि दुर्घटना के शिकार यात्रियों की आसानी से पहचान की जा सके।

 

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