प्रशासन की नसमझी और पुलिस की तानाशाही के चलते 9 घंटे थाने में बैठी रही महिला डॉक्टर
—जरा ज्यादा ही जल्दी में है ग्वालियर की एसडीएम दीपशिखा
— ग्वालियर के डॉक्टर हडताल पर चले गए
मध्यप्रदेश। ग्वालियर की एसडीएम दीपशिखा भगत के स्टिंग आपेशन के चक्कर में जिा प्रशासन की नाक कट गई,पुलिस भी कटघारे में है। प्रशासन की नसमझी और पुलिस की तानाशाही के चलते एक महिला डॉक्टर 9 घंटे थाने में आरोपियों की तरह बैठा पडा,जब डॉक्टरों ने इसमें हस्ताक्षेप किया तब जाकर बिना कोई आरोप थाने में बैठाई गई महिला डॉक्टर की रिहाई हुई।
दरअसल हुआ यूं कि ग्वालियर की एसडीएम दीपशिखा भगत पहुंचती है सिटी सेंटर स्थित गर्ग चाइल्ड एंड मदर केयर सेंटर पर। वे वहां मौजूद गजरा राजा मेडिकल कॉलेज की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ प्रतिभा गर्ग से गर्भपात कराने की बात कहती है। डॉ प्रतिभा उन्हें सलाह देती है कि वे अपने 8 सप्ताह के गर्भ को न गिराये। एसडीएम के जिद करने पर प्रतिभा उन्हें सोनोग्राफी कराने की सलाह देती है। एसडीएम की जाने के एक घंटे बाद विश्वविद्यालय थाने की पुलिस आती है और डॉक्टर प्रतिभा को उठाकर ले जाती है मानो डॉक्टर ना हो कोई डकैत हो। सुबह 11:30 बजे से रात 9:00 बजे तक प्रतिभा को विश्वविद्यालय थाने में बिठा कर रखा जाता है और उनके साथ अमानवीय व्यवहार किया जाता है। ग्वालियर शहर के डॉक्टरों को जब पता चलता है तो वे कलेक्टर अनुराग चौधरी के पास जाते हैं। चौधरी बताते हैं कि प्रतिभा ने संगीन जुर्म किया है और गर्भपात से जुड़े हुए सारे स्टिंग सबूत प्रशासन के पास है। हालांकि मांगे जाने पर प्रशासन ऐसा कोई सबूत पेश नहीं कर पाता। डॉक्टर जब विश्वविद्यालय थाने पहुंचते हैं तो पुलिस कहती है कि मामला उनके क्षेत्र का नहीं प्रशासन ने दवाब डालकर जबरदस्ती डॉक्टर को उनके थाने में बिठा रखा है। आखिर डॉक्टरों की दबाव के चलते डॉ प्रतिभा को 9 घंटे बाद छोड़ दिया जाता है।
इस घटनाक्रम के बाद नाराज डॉक्टर हडताल पर चले गए है। उनका कहना है कि इस तरह से डॉक्टर के साथ बर्ताव करना उचित नहीं है। इसका विरोध किया जाएगा और जांच कर दोषि अधिकारियों पर कार्रवाही की जाए।
-इन सवालों के देने होंगे जबाव
एसडीएम ने दीपशिखा भगत ने अपना गर्भ 8 हफ्ते का बताया,जबकिगर्भ में लिंग का निर्धारण 15 हफ्ते के बाद होता है तो लिंग भेद का परिक्षण कैसे किया जा सकता है?
अगर डॉक्टर प्रतिभा गर्ग लिंग भेद परिक्षण या गर्भपात की आरोपी है तो जिला प्रशासन ने पुलिस में एफआईआर दर्ज क्यों नहीं करवाई?
अस ममाले में एसडीएम दीपशिखा भगत से चुक हुईं है तो उन पर कार्रवाही क्यों नहीं की गई?