ये उठा के मारा है और चार रन..रेडियो को कान में लगाये लगाए जब तक अपन नाचते तब तक उठा कर लगे झापड़ से अल सुबह मच्छरदानी के भीतर से ट्रांजिस्टर के सेल बाहर लुढ़कते आते और लगभग हर मचलते क्रिकिटिया बचपन की बिखरी कॉपी किताब के बीच इस खेल की दीवानगी के गवाह बनते…!!!
आस्ट्रेलिया न्यूजीलेंड में होने वाले मैचों के लिए साथियो ने ब्रम्ह मुहूर्त की जितनी साधना की है उतनी तो अच्छे अच्छे योगियों ने नही की होगी और वेस्टइंडीज के मैचों का रतजगा तो रेडियो की सुरसराहट से गजब संगीन हो जाता था जिसमे आकाशवाणी के हर घण्टे के न्यूज बुलेटिन ब्रेक के खलनायक के रूप में सामने आते थे तो बाजे को छत पर ठोक पीट कर दाएं बाएं हिलाकर शार्ट बेव पर कमिंटरी सुनना किसी चंद्रकांता सन्तति के तिलस्म से कम रोमांचक न था..!!!
इस रोमांच को स्कूल के आखिरी दो पीरियड उल्टी दस्त के बहाने छोड़ कर इंग्लैंड में हो रहे मैचों की कमेंट्री को सुनने में शाम साढ़े 5 बजे तक तो खूब मजा आता था लेकिन इसके बाद रेडियो की युववाणी से लेकर रात के 11 बजे के बुलेटिन तक रोजमर्रा के प्रोग्राम बेहद दुःखी कर जाते थे अपने अपने ट्रांजिस्टर की ट्यूनिंग मिलाते मिलाते रोटी व्यारी सब बिसरा देते थे और एवज में कनबुच्ची खाते सो अलग..!!!
पाकिस्तान और श्री लंका में होने वाले मैच थोड़े फुर्सत के इसलिए लगते थे क्योकि उनकी अपनी टाइमिंग ज्यादा अलग न थी पर इन मैचों में क्लास टीचर सर पीटते थे क्योकि हर कोई मासाब से ही स्कोर पूछने की जुगाड़ में लगा रहता था…!!!
आज इन जुगाड़ों का मजा मोबाइल चेटिंग और मोबाइल लाइव टीवी ने बेस्वाद कर दिया है क्योंकि न अब रेडियो के सिग्नल पकड़ने कपड़े सुखाने के तार ढूंढना है और न ही टीवी के एंटीना के तार की अर्थिंग पपीते के पेड़ से पकड़ाना है..बाल बच्चो की जेम्सबाण्ड गिरी को निश्चित ही सोशल मीडिया ने धराशायी कर दिया है..!!!
वर्ल्ड कप किरकेट 1983 में वेस्टइंडीज को धरासायी करने के लम्हे हों या कपिलदेव की जिम्बाबे के विरुद्ध शतकीय पारी से चढ़ा सुरूर हो गली चौराहे बिस्तर सब दूर रेडियो पर सुरसुराती लहराती सुनी अनसुनी कमेंट्री के पीछे देश भर की उत्सुकता आज की पीढ़ी को परिकथा ही लग सकती है पर असल मायनो में इस सत्य कथा ने ही किरकेट को जुनूनी जामा पहनाया..!!!
यह जुनून कल 5 जून से विश्वकप में भारत के अभियान के पहले ही सर चढ़ने लगा है फिर पहला ही मैच उस घायल दक्षिण अफ्रीका से है जिसे पहले ही मैच में शिकस्त खानी पड़ी है…वैसे भी दक्षिण अफ्रीका को हमने विश्वकप में पहले भी पटकनी दी है पर इससे अच्छी रोचक शुरुआत किर्केट प्रेमियो के लिए हो नही सकती..!!!
रोचकता ही किर्केट की जान है और अप्रत्याशित परिणाम उसे चिरयौवन देते हैं इसलिए इस विश्वकप में भी उलटफेर शुरू हो चुके है ..हमारी विराट टीम अपनी विराटता से सभी परिस्थितियों में चमत्कारिक परिणाम देने में सक्षम है जिस वजह से क्रिकिटिया पंडितों ने अपना पहला दाँव हमारी टीम पर ही लगाया है ..वन्स मोर टीम इंडिया..सुनहरे सफर की हार्दिक शुभ कामनाएं..!
(बृजेश त्रिपाठी)