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प्रज्ञा ठाकुर ने माफी शब्द को मजाक बना दिया

 

-कुछ भी बोलकर सिर्फ माफी मांग लो

अंग्रेजी भाषा में शब्द है सॉरी,यह शब्द भारतीयों ने हथियार की तरह दस्तमाल किया। किसी को कुछ भी बोल दो,बुरा करों और सॉरी बोल दो बात समाप्त हो गई। ठीक एसे ही सॉरी का हिन्दी अनुवाद माफी है। माफी शब्द को बीजेपी नेता और भोपाल सीट से उम्मीदवार प्रज्ञा ठाकुर ने मजाक बना दिया है। कुछ भी किसी के लिए भी बोल देतीं है और माफी मांग लेती है। क्या इतने गंभीर मामलों पर सिर्फ इनका माफी मांग लेना काफी है।

प्रज्ञा ठाकुर ने गुरूवार को मप्र आगर मालवा में रोड शो के दौरान पत्रकार के पूछने पर कहा कि नाथूराम गोडसे देशभक्त थे और रहेंगे। उनके इस बयान पर बावल मच गया,बजेपी के आला नेताओं से सवाल होने लगे कि बताएं कि प्रज्ञा ठाकुर जो बोल रही है वो बीजेपी भी मानती हैं,जब बीजेपी को लगा कि प्रज्ञा ठाकुर के बयान पर उसकी किरकिरी हो रही तो उसने अपना पल्ला झाडते हुए कहा कि प्रज्ञा के बयान से वह सहमत नहीं है यह उनका बयान है। बीजेपी ने इतना बोलकर मामले को समाप्त कर दिया इधर,प्रज्ञा ठाकुर ने भी अपना बयान वापस लेते ​हुए माफी मांग ली।

विवादित बयान देना जैसा प्रज्ञा ठाकुर की आदत हो गई है उन्हें पता है कि सिर्फ माफी बोलना है ममला समाप्त हो जाएगा। इससे पहले शहीद आईपीएस अधिकारी हेमंत करकरे को श्राप देने वाले बयान पर माफी मांगी थी और अब राष्ट्रपिता मोहनदास करमचंद गांधी की हत्या करने वाले रामचंद्र नाथूराम गोडसे को देशभक्त बताने वाले बयान पर माफी मांगी है। दोनों बयान काफी गंभीर हैं। महात्मा गांधी और हेमंत करकरे भारत के जरूरी है दोनो ही शहीदों पर इस तरह की बयानबाजी नहीं की जा सकती है।
राजनीति अपनी जगह है पर कम से कम शहीदों को तो बख्श दो,उन्हें तुमारी राजनीति से क्या लेना देना वो तो तुम्हें अपना सब कुछ देकर चले गए। इन बयान देने वाले भले ही माफी बोलकर मामले को समाप्त कर दें,लेकिन उनके बयान इतिहास में दर्ज हो गए और वो पीछा नहीं छोडेंगे। प्रज्ञा ठाकुर भले ही माफी मांगती रहें पर उन्हें माफी नहीं मिलेगी।

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