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राजनीति के खिलाड़ी पीएम मोदी ने इंटरव्यू में ममता की तारीफ कर चल दिया दांव, बाद में दिखेगा असर

(श्रद्धा जैन)

इस वक्‍त सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी का अभिनेता अक्षय कुमार द्वारा लिया गया इंटरव्‍यू छाया हुआ है. भले ही इंटरव्‍यू की शुरूआत में ही पीएम मोदी ने कहा कि चुनावी माहौल में राजनीति से हटकर कुछ हल्‍की-फुल्‍की बातें करने को मिलेंगी लेकिन राजनीति के पक्‍के खिलाड़ी पीएम मोदी से क्‍या वाकई ऐसी उम्‍मीद करना जायज है. मोदी ने आम खाने के तरीके, सोने के कम घंटों और चाय बेचने वाले दिनों के बारे में बताते-बताते एक राजनीतिक दांव आखिरकार चल ही दिया.

पीएम मोदी ने जिस तरह ममता बनर्जी की तारीफ की, उनके द्वारा भेजे जाने वाले कुर्तों और मिठाई का जिक्र किया, उसके बारे में वे ये कहने से नहीं चूके कि इससे चुनावी मौसम में उन्‍हें नुकसान हो सकता है. लेकिन कमाल की बात ये है कि इससे नुकसान तो न के बराबर होगा लेकिन भविष्‍य में बड़ा फायदा जरूर हो सकता है.

अब सवाल होगा कि कैसे? तो सुनिए, इस बात से तो ज्‍यादातर लोग सहमत हैं कि इन आम चुनावों में बीजेपी ही सबसे बड़ी पार्टी होगी लेकिन बहुमत नहीं जुटा पाएगी. सबसे बड़ा नुकसान उत्‍तर प्रदेश से होगा, इसके अलावा दक्षिण भारत में भी बीजेपी की स्थिति कुछ खास नहीं है. राहुल के केरल के वायनाड से चुनाव लड़ने के कारण वहां कांग्रेस की अच्‍छी हवा भी बन गई है. इससे साफ है कि बीजेपी 180 सीटों के आसपास सिमट जाएगी, बहुत सकारात्‍मक होकर देखें तो भी इस आंकड़े में 10-15 सीटों से ज्‍यादा नहीं जोड़ सकते. क्षेत्रीय पार्टियों के गठबंधन से मिली सीटों का आंकड़ा भी 30-35 से आगे नहीं जाएगा. इसके बाद बारी आती है आंध्रा-तेलंगाना से मिलने वाली सीटों की जो तेलंगाना राष्‍ट्र समिति और वायएसआर कांग्रेस पार्टी को मिलेंगी, क्‍योंकि ये दोनों ही बीजेपी और मोदी के प्रति नरम हैं. जाहिर है ये चुनाव बाद एनडीए का हिस्‍सा होंगी.

इस सबके बाद भी 273 के जादुई आंकड़े को पाने के लिए 20 से 40 सीटों की जरूरत होगी. अब इतनी सीटों की भरपाई कहां से होगी? ठीक है कि बीजेपी 5 साल से सरकार में है, पैसे की कोई कमी नहीं है. विभिन्‍न पार्टियों से सांसदों को तोड़कर लाने में उन्‍हें ज्‍यादा मुश्किल नहीं होगी, उस पर फिर राजनीति के चाणक्‍य अमित शाह भी अपना गेम तो लड़ाएंगे ही. तब भी यदि बात नहीं बनी तो?

ऐसे में वो क्षेत्रीय नेता काम आएंगे जो हर हाल में सरकार का हिससा बनना चाहते हैं, फिर भले ही सरकार बीजेपी की बने या कांग्रेस की यानि कि महागठबंधन की, क्‍योंकि किसी भी सूरत में कांग्रेस की अपने दम पर तो सरकार बनने से रही. लिहाजा मोदी नरम बयान देकर ऐसे नेताओं का साथ जुगाड़ने की तैयारी में नजर आते हैं.

पश्चिम बंगाल की कुल 42 में तीन चरणों में 10 सीटों पर चुनाव हो चुके हैं. बचे हुए चार चरणों में राज्य की 32 सीटों पर चुनाव होने हैं. पीएम मोदी बखूबी जानते हैं कि उनके इस बयान से बंगाल में बड़ा संदेश जाएगा. क्‍योंकि जिस एयरस्‍ट्राइक ने मोदी को फायदा पहुंचाया, उस पर भी तीखे प्रहार करने में ममता पीछे नहीं हटीं. ऐसे में मोदी का ये कहना कि दीदी उन्हें हर साल कुर्ते और मिठाई भेजवाती हैं, ममता बनर्जी के मोदी विरोध का दावा कमजोर करता है. इससे ममता को नुकसान हो सकता है.

वहीं दीदी के लिए मोदी के ये नरम बोल सरकार बनाने के दौरान ममता को मनाने में मरहम की तरह भी काम आ सकते हैं.

(लेखिका राजनीति की समझ रखने वाली पत्रकार है और घटनाक्रमों पर सटीक लिखती है)

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