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इसलिए कहता हूं इस देश, लोकतंत्र को सलाम…!

(विनोद कुमार )


क्योंकि इस देश की आबो-हवा में  कन्हैया कुमार जैसा युवा राख से उठकर चुनावी चिंगारी बन सकता है. उसके लिए जनता का सैलाब उमड़ सकता है. उसके लिए देश भर के साथी चुनाव क्षेत्र में जाकर बदलाव की आवाज बन सकते हैं. वो चुनौती देते हैं उस सत्ता को, जिसने सारी संस्थाएं अपने हित में साध लिए हैं. लेकिन बेगुसराय के इस मैदान में आप महसूस कर सकते हैं- लोकतंत्र में सियासी ताकत कोई स्थाई आख्यान नहीं, बल्कि रामायण की तरह वो लड़ाई है जिसके बारे में तुलसीदास कह गए हैं- जब जब धर्म की हानि हुई है, धरती पर रावण का पाप बढ़ा है, तब तब उसका नाश करने के लिए श्रीराम का जन्म हुआ है. राम को अपना बपौती भगवान बना लेने से ये कहावत किसी के कहे में नहीं आाती. बल्कि ये हर उस व्यक्ति के साथ खड़ी होती है- जो सत्ता की बढ़ती तानाशाही और लूट खसोट के खिलाफ आवाज उठाता है….
बेगुसराय में कन्हैया का शोर मैं खबरों में सुन रहा था. आज एक दो वीडियो देखे, तो पता चला वहां जमीन पर कैसी बयार बह रही है. लोग जात-पात धर्म-समुदाय और दलगत राजनीति से ऊप उठकर बस एक ही नारा लगा रहे हैं- अपना कन्हैया उठेगा, तो नोटबंदी करने वालों की वोटबंदी करेगा. वो देशद्रोही नहीं, बेगुसराय का लाड़ला है. वो लड़का जो JNU New Delhi से पीएचडी कर कोई ढंग की नौकरी कर सकता था, आराम से शहरी जिंदगी जी सकता था, लेकिन वो कन्हैया अपनी माटी और अपने देश को देशद्रोहियों से मुक्त कराने चला है. उनको हटाने चला है- जो अपने ही देश के तिरंगे को भाव नहीं देते, वो देश की संवैधानिक आत्मा को रौंदते हुए अपने हिंदू राष्ट्र का परचम लहराना चाहते हैं…
चुनावी परिणाम जो भी हो, ये भीड़ देखकर उम्मीद जगती है. अगर आपकी दलीलें सही हैं, अगर आपकी भावनाएं सच्ची हैं तो जाति-धर्म-समुदाय और दल में बंटे देश में भी आपके साथ खड़े होने वालों की तादाद कम नहीं. राजनीति के आइने में बस अपने सच का चेहरा साफ दिखाना होगा. इसलिए इस देश को, इस देश के लोकतंत्र को सलाम …

(फेसबुक वॉल से…)

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