NationalTop Stories

राहुल गांधी दो सीट से लडेंगे,इसमें स्मृति ईरानी क्यों खुश हो रही

— राहुल अमेठी और करेल की वायनाड सीट से नमांकन करेंगे

— स्मृति ईरानी ने कहा ​कि भाग राहुल भाग

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी दो लोकसभा सीट से चुनाव लडेंगे। यह एलान कांग्रेस नेता एके एंटोनी किया हैं। एंटोनी के अनुसार राहुल अपनी पूरानी सीट अमेठी और कांग्रेस के लिए सुराक्षित सीट केरल के वायनाड से लोकसभा का चुनाव लडेंगे। यहां तक तो ठीक था,पर इस एलान के बाद अमेठी से भातीय जनता पार्टी की उम्मीदवार स्मृति जुबीन ईरानी ने जो कहा उससे सवाल खडे हो गए कि स्मृति ईरानी क्यों इतना खुश हो रही हैं।

बात 2014 से शुरू करते है, देश में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी की लहर चल रही थी। लगभग सभी प्रदेशें में नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री के रूप में दखने का मन मतदाता बना चुका था। भारतीय जनता पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति उम्मीदवारों के चयन में कई तरह के पैमाने लगा रही थी। एक —एक सीट का गणित लगाया जा रहा था। इसी भाजपा चुनाव समिति के सामने सवाल आया कि राहुल के सामने अमेठी से चुनाव कौन लडेंगा। कुछ नेताओं से पूछा गया कि क्या वो अमेठी से चुनाव लडेंगे,जबाव इंकार में आए। अब बात नरेंद्र मोदी तक पहुंची,मादी ने निर्णय लिया कि स्मृति इरानी को मैदान में उतार दो,हार जाएगी तो पार्टी पर उतना प्रभाव नहीं होगा जितना किसी बडें नेता को शहीद करने से होगा। अब स्मृति ईरानी का उम्मीदवारों की सूची में दर्ज किया गया उनके नाम के आगे लिखा था लोकसभा सीट अमेठी। स्मृति के पास कुछ भी कहने का मौका ही नहीं था। उस वक्त जब सब सुराक्षित सीट से चुनाव लडना चाहते थे क्यों सबको समझ आ गया कि सरकार बीजेपी की बनेगी और मोदी पीएम होंगे। ऐसे में हार कर कौंन वनवास कटेगा। ऐसे में स्मृति ने दांव खेला और अमेठी चुनाव को सुर्खियों में ले आई, उनका चुनाव प्रचार करने के तारीके ने भी खूब सुर्खियां बटोरी। मतदान के बाद परीणाम घोषित हुए,स्मृति ईरानी चुनाव हार गई, उनको राहुल गांधी ने 107,903 वोटों से हारा दिया। इस चुनाव में राहुल गांधी को 408,651 और स्मृति ईरानी को 300,748 वोट मिले। स्मृति ईरानी भले ही चुनाव हार गई हो लेकिन उन्होंने अमेठी में 28 फीसदी वोट बेजीपी के बढा दिए। इसका मतलब साफ था कि स्मृति ईरानी के अमेठी में उम्मीदार होने से बीजेपी का फायदा तो हुआ है,जिसकी उम्मीद पार्टी नहीं की थी। पार्टी के भीतर स्मृति का कद बढ गया और मोदी के खेमे से उन्हें मोदी सरकार में केबीनेट में शामिल किया गया। उनको पहले मानव संसाधन जैसा महत्पूर्ण मंत्रालय सौंपा गया हलांकि बाद में उनकी शिक्षा और डिग्री को लेकर उठे विवाद के कारण उनका मंत्रालय बदल दिया गया।

अब बात 2019 की..फिर स्मृति अमेठी से उम्मीदवार

भारतीय जनता पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति ने उम्मीदवारों की सूची में अमेठी से स्मृति ईरानी का नाम घोषित कर फिर चौंका दिया। इस बार उम्मीद की जा रही कि स्मृति ईरानी को किसी सुराक्षित सीट से चुनाव लड सकती है। सूची में नाम आने के बाद स्मृति ने अमेठी का रूख किया और पहले दिन से ही राहुल और कांग्रेस को घेरना शुरू कर दिया। अपने पहले भाषण में स्मृति ने पुलवामा हमले का जिक्र किया, कांग्रेस को सेना विरोध बताने का प्रयास किया। स्मृति भी मोदी की लाइन पर चलने की कोशिश कर रही है,अमेठी के मतदता को राष्ट्रभक्ती का गुट्टी पिला रही है उन्हें लगता है ये जीत हासिल करने का सबसे आसान तारीका है क्यों चुनाव हारने के बाद स्मति ईरानी का अमेठी से कोई खास संबध रहा नहीं। अब अचानक अमेठी पहुंचकर बोलें क्या तो पुलवामा और देशभक्ति पर ही वोट मांगें जाए। इसी बीच रहुल गांधी को केरल कांग्रेस कमेटी ने वायनाड सीट से चुनाव लडने का प्रसताव भेजा,फिर क्या था स्मृति ईरान को लगा कि इस बार भी वह चुनाव भले ही हार जाए पर सुर्खियां तो बटोर ही लेंगी। स्मृति को जिसका इंतजार वो रविवार 31 मार्च 2019 को हो ही गया। कांग्रेस की ओर से सुचना दी गई कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अमेठी के अलावा करेल की वायनाड सीट से भी चुनाव लडेंगे। यह खबर मिलते ही स्मृति ईरान को फिर से मौका मिल गया कि वो कह सकें कि देखा मुझ से राहुल को हारने का खतरा है तभी तो दो सीट से चुनाव लड रहें है। स्मृति ने बिना देर किए लिख भी कि भाग राहुल भाग.. खाली करो कर्सी कि जनता आती है। यह लिखना उनकी खुशी का इजहार करना है और राजनीति में मौके को अपने पक्ष में करना भी। अब अगर वो हार भी जाती है तो उनका कद पार्टी मे बना रहेगा। जिसका लाभ उनको अगर फिर भाजपा की सरकार बनती तो मिलना तय है।

अमेठी में इतना आसान नहीं…

स्मृति ईरानी भले ही कांग्रेस के राहुल को दो सीट से लडेंने के निर्णय को अपने पक्ष में महौल बनाने के लिए इस्तमाल करने की कोशश कर ही हो पर जमीनी हकीगत कुछ और है,दरअसल अमेठी में स्मृति के लिए जीतना आसान नहीं है,बहुत कठिन है कि स्मृति इस सीट को बीजेपी की झोली में डाल दें। उनका मुकबला राहुल के अलावा अब प्रियंका गांधी से है। प्रियंका गांधी सक्रिय राजनीति में है और उप्र की प्रभारी,उनका चुनाव में प्रचार करने का अंदाज बहुत अलग है जिसका प्रभाव दिखता भी है। इसके साथ ही अब 2014 जैसी कोई लहर भी नहीं है। स्मृति को यहां अपने दम पर ही चुनाव जीतना होगा।

अमेठी में गांधी परिवार और कांग्रेस पहली पंसद

अमेठी लोमसभा सीट पर गांधी परिवार और कांग्रेस को जनता की पहली पंसद माना जा सकता है यहां से कुल 13 बार कांग्रेस ने जीत हासिल की है। जिसमें संजय गांधी,राजीव गांधी, सोनिया गांधी और राहुल गांधी शामिल है। गांधी परिवार के अलावा सतीश शर्मा,विद्याधर वाजपेयी दो—दो बार चुनाव जीते हैं।

Related Articles

Back to top button