हे ईश्वर दस साल क्यों नहीं दिए मनोहर पर्रिकर जी को…
आईआईटी से पढने बाद राजनीति में सक्रिय होना और सीएम बनने के बाद भी आम आदमी की तरह जीनी यह भी कला है जिसमें गोवा के चार बार सीएम रहे मनोहर पर्रिकर को महारत हासिल थी। जीवन में समाजिक हिसाब से सब मिलने के बाद भी मनोहर पर्रिकर की एक इच्छा अधूरी रह गई । वो जीवन के अतिंम दस साल सिर्फ अपने लिए जीना चाहते थे। कोई चुनाव नहीं लडना और न ही चुनाव में पार्टी का प्रचार करना चाहते थे। उन्होंने कहा था कि यह कार्यकाल उनका अंतिम कार्यकाल है। लेकिन ऐसा नहीं हो सका।
मनोहर पर्रिकर विद्यार्थी जीवन से ही स्ंवय सेवक संघ से जुड गए थे, संघ में उनकी सक्रियता बढती गई और संघ ने भी उन्हें कई गंभीर जिम्मेदारी दी। उन्होंने मुबंई से आईआईटी करने के बाद पंप फेक्ट्री शुरू की । जब 1980 में गोवा में भारतीय जनता पार्टी ने अपनी जमीन बनाने की पहल की तो संघ से नेता मांगे गए,उस समय संघ ने मनोहर पर्रिकर और लक्ष्मीकांत पारसेकर को बीजेपी में भेजा। 1961 में गोवा में पुर्तगालियों से स्वतंत्र होने के बाद से गोमांतक पार्टी की सरकार थी। गोमांतक पार्टी का गोवा में एक तरफा कब्जा था। 1989 के चुनाव में बीजेपी को सिर्फ एक फीसदी वोट मिला। इसके बाद मनोहर पर्रिकर ने 90 के दशक तक तो बीजेपी को गोवा में मजबूत पार्टी के रूप में खडा कर दिया।
साल 2000 में मनोहर पर्रिकर के नेतृत्व में बीजेपी ने चुनाव में जीत हासिल की और पहली बार गोवा में बीेजपी के सीएम के रूप में मनोहर पर्रिकर ने शपथ ली। उसके बाद के चुनावों में बीजेपी ने जीत प्राप्त की। उसके वजह सिर्फ मनोहर पर्रिकर ही थे। 2014 के लोकसभा चुनाव मे बीजेपी की सरकार बनी ओर नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री बनाए गए । उसके बाद पर्रिकर को मोदी ने केंद्र में रक्षा मंत्री के रूप में शामिल होने का न्यौता दिया और पर्रिकर ने स्वीकार कर केंद्र में चले गए।
2017 में गोवा में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी के 13 विधायक ही जीते, ऐसे में गठबंधन करना मजबूरी हो गया। ऐसे में मनोहर पर्रिकर को वापस गोवा भेजा गया और पर्रिकर ने सबको एक कर सरकार का गठन किया। उसके एक साल बाद 2018 में उन्हें कैंसर की जानकारी स्वास्थ परीक्षण के बाद दी गई। तब से लेकर निधन तक पर्रिकर सिर्फ काम की बात करते रहे। उन्होंने कभी भी अपनी बिमारी को अपने काम पर हावी होने नहीं दिया।
-उनका पत्र जिसकी दुनिया में चर्चा हईं
मनोहर पर्रिकर जब अमेरिका के अस्पताल में कैंसर का इलाज कर रहा थे उस दौरान उन्होंने एक पत्र लिखा था, उस पत्र को सोशल मिडिया पर वायरल किया गया। पत्र जिसने भी पढा वो भाव विभोर हो गया,लगा सब व्यर्थ है जीवन को जैसे जीना चाहिए वैसे जीया ही नहीं जाता और अंत में कुछ नहीं रहा जाता सिवाय मौत के…।