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मप्र में नदी और लोग मर रहे हैं, पर अवैध रेत के डंपर सरपट दौड़ रहे

नर्मदा नदी के किनारे बसे गांव पहुंचे, ग्रामीणों से बात की, उनके हाल जाने..पता चला नदी का जीवन तो खतरे में है ही…ग्रामीणों की मौत लगातर हो रही है । अवैध रेत का परिवहन कर डंपरों ने दर्जनों ग्रामीणों का जीवन रौंद दिया है। ग्रामीणों ने अपना जीवन बचाने के लिए अब अनशन शुरू किया हैपढ़ें इनसाइडस्टोरी सवांददाता नितिन ठाकुर की यह रपट..विडियो स्टोरी हमारे यूट्यूब चनैल इनसाइडस्टोरीइंडिया पर देखें…https://bit.ly/2TDUWVW

मध्यप्रदेश में रेत के अवैध कारोबार ने जहां नदियों का जीवन खतरे में डाल दिया है वही नदी के आसपास रहने वालों को भी मौत दे रहा है। प्रदेश की राजधानी भोपाल के नजदीक विदेश मंत्री सुषमा स्वाराज के संसदीय क्षेत्र में रेत का अवैध कारोबार ने अब अनेक लोगो की जान ले ली है। रात में तेज रफतार से दौड़ रहे रेत से भरे डपंरों ने हाल ही में एक गांव के ही पांच लोगों को मौत की नींद सुला दिया। परेशान गावं वाले अब अनशन पर बैठ गए है। रेत के अवैध कारोबार से इस इलाके चार जिले सबसे अधिक प्रभावित है जिनमें रायसेन,होशांगाबाद,सीहोर और विदिशा शामिल है।

सबसे हैरानी की बात यह है कि पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह का विधानसभा क्षेत्र होने पर यहां कांग्रेस उन पर अवैध रेत कारोबार करवाने का आरोप लगाते हुए सरकार बनाने में सफल हो गई,सरकार बनते ही कांग्रेस भी इस खेल में शामिल हो गई और अब बेखौफ अधिकारी, रेत मफिया सब मिलकर नर्मदा नदी के सीने पर पोकनेल मशीन,जेसीबी और अन्य मशीनों से घाव दे रहे है। रेत माफिया नदी के आसपास रहने वालों के जीवन की परवाह किए बिना ही डंपर दौंडाते और अनेक घरो के चिराग को बुझा रहे है। प्रशासन से लेकर सरकार तक सबसे ग्रामीणों ने गुहार लगाई कि नदी नहीं तो उनके जीवन को तो बचा लिया जाए पर किसी ने नहीं सुनीं, मजबुरन ग्रामीणों को गांधी का रास्ता अखितार करना पडा और बैठ गए अनशन पर…। अनशन पर बैठे हुए भी दिन पर दिन बीते रहे हैं, पर निर्दयी सराकार इनकी तरफ देखती तक नहीं। ये भी जिद पर अड गए है कि जब डंपर के नीचे आकर ही मरना है तो क्यों न अनशन कर मर जाए।

-पढ लिजिए इस गांवों में मौत की कहानी…

दो दर्जन से अधिक खदानों पर अवैध रेत कारोबार संचालित होता है, रोज रात को सेकडों अवैध रेत से भरे डंपर सरपट गांव से शहर और राजधानी की तरफ दौंडते हैं इस बीच उनके जो भी आता है उसके जीवन का अंत होना तय है, कुछ की किस्मत ठीक रही तो सिर्फ सर फूटा और बच गए। इस बेरहम खेल में रायसेन, सीहोर की सीमा से सटे लगा ग्राम बाडी में एक ही परिवार के पांच सदस्यों की मौत हो चुकी हो गई, जिसको लेकर परिवार के लोग अनशन पर बैठे हैं। अनशनकर्ता में शामिल गणपत सिंह चौहान का कहना है कि पिछले चार साल में उनके परिवार के के पांच सदस्यों की मौत डम्फर से एक्सीडेंट से हो गई है।

विगत 28 फरवरी को भी गांव के दो सदस्यों की मौत सीहोर जिले की सरदार नगर रेत खदान और नांदनेर कि अवैध रेत खदान से तेज रफ्तार में आ रहे रेत के अवैध डम्फर से टकराने के कारण ही हुई है। इसके बाद गुस्साए ग्रामीणों ने दस डंफरो को आग के हवाले कर दिया था। इसके बाद भी प्रशासन ने अवैध रेत कारोबार पर नकेन नहीं कसी। सरकार ने सख्ती नहीं दिखाई किअधिकारियों को टारगेट देती कि सब बंद हो।

-घर में बैठकर अनशन क्यों..यह भी पढो..

गांव के ही दीपेश चौहान का कहना है कि आमरण अनशन को गांव में घर के अंदर ही बैठकर इसलिए कर रहे हैं ताकि हम यहां पर सुरक्षित रह सकें, हमारे गांव में दहशत का इतना माहौल है कि कोई भी व्यक्ति बाजार जाने से डर रहा है की कहीं डम्फर से हमे भी न कुचल दे। दीपेश ने बताया कि हम सड़क पर अनशन करने भी नहीं बैठ सकते हैं क्योंकि डम्फर से हमें भी मार दिया जाएगा,इसलिए हम लोग घर के अंदर ही आमरण अनशन पर बैठे हैं। अनशनकारी बताते है कि ये हाल एक गांव का नहीं है, सेंकडों गांव है जहां ग्रामीणों का जिंदा रहने मुशकिल हो रहा है। नदीयां तो धीरे—धीरे अपना सकरी हो रही, उनका जीवन भी अब खत्म होने को है।

-अब कारण जान लिजिए क्यों बंद नहीं होता रेत का अवैध कारोबार…

ग्रामीण बताते है कि रात के अंधेरे में क्या अधिकारी क्या नेता सबके चहरे बेनाकाब हो जाते है,सबका कमिशन तय है साहब…। दिन में कार्रवाही करने की बात करते हैं और रात को रेत मफिया के साथ ढाबों,होटल,फार्म हाउस पर बैठ कर शाराब, कबाब और सेटिंग की समझौता एक्सप्रेस चलती है। सबसे रोचक बात यह बताई गई कि कई खादानों में अधिकरी ही पाटनर बन गए है, अब एसे में अवैध रेत पर पर नकेल कैसे कसी जा सकती है…नदी और गांव वाले मरते है तो मरे उनकी बला से…। इस इलाके छुटभैया नेता भी पीछे नहीं रहे उन्होंने ने भी नर्मदा मइया में पूरा स्नान कर लिए और सायकल से चलते चलते अचानक ही कार पर सवार हो गए अब नेताजी साफेद कुर्ता पाजमा पहने कर रौब झाडते है और रात को रेत डंपर की गिनती के हिसाब से रकम वसूल करते है।

-यही हाल मप्र के अन्य इलाके में भी…

सम्पूर्ण मप्र में जहां भी नर्मदा या अन्य नदियां है वहां रेत का अवैध कारोबार किया जा रहा है। इस कारोबार में अधिकारियों की भागीदारी है जिसके सबूत तलाशने की अवशकता नहीं है, नदी किनारे के किसी भी गांव के सरपंच को पकड के पूछ लिजिए वो बता देंगे कि किस खदान में कौन अधिकारी पाटर्नर है, और अवैध रेत का परिवहन हो रहा है। चाहे चंबल, निमाड, बुंदेलखंड, बघेलखंड के इलाके हो..अवैध उत्खनन बेखौफ हो रहा है। चंबल में जहां आईपीएस,तहसीलदार पर रेत माफिया ने कुचल दिया दिया। जिसमें ग्रामीणों की गिनती ही नहीं..जिसने भी रोकने की काशिश की उसका तबदला करवा दिया गया।

-कांग्रेस सरकार अवैध उत्खनन रोकने असफल रही..

कल तक कांगेस पूर्व बीजेपी सरकार पर अवैध उत्खनन को संरक्षण देने का आरोप लगा कर घेरती थी, लेकिन मप्र में कांग्रेस सरकार बनने के बाद भी बेखौफ यह खेल जारी है, ऐसे में कांग्रेस सरकार की नियत पर सवाल उठाना लाजमी है।

-इनकी हिम्मत को सलाम…

रायसेन, सीहोर, होशांगाबाद और विदिशा में अवैध उत्खनन के विरूद्व पनप रहा आक्रोश सरकार को भारी पड सकता है, यहां ग्रामीण अनशन पर बैठे है, उन्हें रेत मफिया डरा रहा है पर उन्होंने साफ बोल दिया कि जब तक अवैध रेत खदान से आ रहे रेत के डंफरो को बंद नहीं जाता तब तक आमरण अनशन जारी रहेगा।

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