कहाँ खो गई,शुचिता,अनुशासन की बाते!
(अमित कुईया )
देश में भाजपा एक ऐसा राजनीतिक दल था,जहां शुचिता और अनुशासन में बंधे रहना हर एक कार्यकर्ता को सिखाया जाता था।बदलते दौर के साथ पार्टी की रीति,नीति में जहां बदलाब हुए ,तो वही कैडर बेश कहलाने वाली दल भाजपा में अब माननीय हाथों में जूते उठाकर एक दुज़रे माननीय कर तरफ तस्वीरों में लपकते दिखाई दे रहे है।यह घटना बदलते राजनीतिक परिदृश्य में भले ही आम बात हो गई हो,लेकिन भाजपा के लिहाज से यह घटना दुर्भाग्यपूर्ण है।दरअसल,बुधवार को उत्तरप्रदेश जैसे बड़े राज्य में सत्तासीन दल भाजपा के एक विधायक और एक सांसद के बीच पहले तो बैठक के दौरान तीखी नोकझोंक हुई और बाद में स्थिति यह बन गई कि अनुशासित दल के यह दोनों सिपाही एक दुज़रे के साथ जूतमपैजार करने लगे।यह घटना कैमरे में कैद हुई और पूरे देश की मीडिया और फिर शोसल मीडिया पर सुरेखियो में रही।इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना को पूरा देश देख रहा था और तमाम प्रतिक्रियाएं भी दे रहा था।
2000 के दशक तक अन्य राजनीतिक दल(भाजपा को छोड़कर)में इस तरह की घटनाएं यदा कदा सामने आती रही और देश के आमजन के मानस पटल पर इसे इसलिए तब्बजो नही दी जाती थी,की देश के तमाम राजनीतिक दल इस स्थिति से गुजर रहे थे।इस समय तक एक अनुशासित राजनीतिक दल की जब बाते होती ,तो भाजपा का नाम सर्वोपरि रहता था।वर्ष 2000 के बाद 21 वी सदी की फूहड़ संस्कृति से यह अनुशासित दल भी अछूता नही बचा ओर कई दफा ऐसी तस्वीरें सामने आने लगी ,जिसमे पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने अमर्यादित आचरण कर पार्टी के अनुशासित मुखोटे को तोड़ा।दरअसल,भाजपा को एक कैडर बेष पार्टी माना गया ।इस दल में संगठन शक्ति इतनी मजबूत मानी जाती रही कि अन्य दल भी इस व्यवस्था की प्रसंसा करते थे।अनुशासन और चाल, चरित्र को आगे रखकर मूल्य आधारित राजनीति करने के लिए भाजपा को हमेशा अन्य राजनीतिक दलों के आगे रखा जाता था।
भाजपा में अटल,आडवाणी युग तक अनुशासन में बंधे रहने की आदत अब पार्टी के वरिष्ठ जनप्रतिनिधि तोड़ने लगे है।उत्तर प्रदेश में बुधवार को एक शासकीय बैठक में जिस तरह से व्यक्तिगत मनमुटाव से उपजी रंजिश दो माननीयों के बीच जूतम पैजार में बदली ।इज वाकई देश के ताजा राजनीतिक और लोकतांत्रिक व्यवस्था की सेहत के लिहाज से ठीक नही मानी जायेगी।भाजपा में अनुशासन को लांघने की बड़ी वजह एक ओर है।वर्ष 2000 के बाद भाजपा ने देश के कई हिस्सों में अपना प्रभाव बढ़ाया और सत्ता के शिखर से दूर बनी हुई भाजपा अब देश के कई राज्यो में सरकार बनाने में कामयाब हुई।वक्त की बलिहारी ने भाजपा को वर्ष 2014 के आम चुनावों में जिस तरह से दो तिहाई बहुमत दिया,तो यह पार्टी के भीतर कार्यकर्ताओ के अनुशासन के कारण ही संभव हो पाया।
बुधवार को लोकतांत्रिक व्यवस्था को घात करती हुई जो तस्वीर उत्तरप्रदेश से पूरे देश के कोने कोने में पहुची ,इसके बाद भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को भी झकझोरा होगा।स्थिति बिगड़ जरूर चुकी है,लेकिन अभी दुज़रे दलों की तरह भाजपा के मठाधीस के नियंत्रण के बाहर नही है,लेकिन यह तस्वीर भाजपा शासित राज्यो से इसी तरह एक एक कर देश मे जाने लगी तो निश्चित ही फर्श से अर्श तक अनुशासन और शुचिता के बल पर पहुची इस दल को जमीन तलाशने के भी लाले पड़ जाएंगे।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार है)