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पहले के बाद सौवां ‘कोर्ट मार्शल’ भी उज्जैन में

००अधिकारियों के खिलाफ कथानक वाले इस नाटक के अधिकांश शो प्रमोट भी अधिकारियों ने ही किए

०० उज्जैन के कलाकार करीब 12 राज्यों में कर चुके हैं इसके 99 शो

कीर्ति राणा 

मप्र के हिंदी रंगमंच इतिहास में तो यह एक उपलब्धि ही मानी जानी चाहिए कि उज्जैन की संस्था अभिनव रंग मंडल 19 वर्ष बाद ‘कोर्ट मार्शल’ नाटक का सौवां शो 2 मार्च शनिवार की शाम कालिदास अकादमी संकुल में करने जा रही है।2000 में इसका पहला शो भी यहीं किया था।कोशिश रहेगी कि नौ साल बाद (2020में) दो सौवां शो भी यहीं करूं। इस नाटक के साथ एक रोचक संयोग यह भी जुड़ा है कि नाटक का कथानक उच्च अधिकारियों की मानसिकता पर प्रहार करने वाला है लेकिन इसके अधिकांश शो को प्रमोट वरिष्ठ अधिकारियों ने ही किया है।

 

सुबह परिवार में मौत, शाम को शो

ऐसा कई बार हुआ, एक कलाकार के पिता की सुबह मौत हुई, शाम को वो शो में एक्ट कर रहा था। खंडवा में शो था, मेरे पिता की तबीयत बेहद खराब थी, डॉक्टर ने अगले चौबीस घंटे निर्णायक  बताए थे।मैंने महाकाल से प्रार्थना की, शो करने गया, वहां से लौटा दूसरे दिन पिता चल बसे।सुबह मौसी की डेथ हुई, शाम को मैं स्टेज पर था।रिहर्सल के लिए स्थान नहीं मिलता था, विक्रम कीर्ति मंदिर के अहाते में भीगते हुए रिहर्सल करते थे।उदयपुर में शो था, वहां के आईजी पुलिस बोले बीस मिनट से जादा नहीं रुक सकूंगा, पूरा शो देखकर ही उठे।एक अन्य नाटक ‘रंग बंसी’ इंदौर में खेला था, वह इसलिए यादगार है कि ओम पुरी, अशोक वाजपेयी, अखिलेश वर्मा, कलापिनी कोमकली जैसे दिग्गज दर्शकों की पंक्ति में बैठे थे। 

 यथार्थवादी शैली के नाटक मुझे सदैव प्रभावित करते रहे-शरद शर्मा

 कोर्ट मार्शल’ के निर्देशक-कलाकार और संस्था अध्यक्ष शरद शर्मा से इसके सौवें शो तक की यात्रा को लेकर चर्चा की तो उनका कहना था यथार्थवादी शैली के नाटक मुझे सदैव प्रभावित करते रहे हैं इसलिए इसे चुना।नाटक की अन्य विधा कॉमेडी, फोक आदि में कलाकार की गलतियां आसानी से पकड़ में नहीं आती लेकिन यथार्थवादी नाटक की चुनौती यह है कि पहली बार शो देखने वाला भी कलाकार की गलती समझ जाता है, यह विधा इसी वजह से मुझे पसंद है। इसका पहला शो सन 2000 में किया था तो मित्र-साहित्यकार प्रमोद त्रिवेदी की प्रतिक्रिया थी तुमने क्या विषय चुना है, कौन देखता है ऐसे गंभीर नाटक को? उनके इस कथन को मैंने चुनौती के रूप में लिया।17कलाकारों में मैं और वीरेंद्र नथानियल ही ऐसे हैं जो सौंवें शो तक साथ हैं।लगातार निन्यानवें शो से तो गिरिजेश व्यास, सतीश राजपूत, मिलिंद करकरे ही जुड़े हुए हैं। एमके रैना का वर्कशॉप उज्जैन में अटैंड करने के बाद 1985 में संस्था गठित की और 1996 से एक्टिंग-डायरेक्शन करने लगा।कोर्ट मार्शल को मुंबई में संपन्न हुए विश्व के आठवें थियेटर ओलिंपिक के साथ ही पुलिस अकादमी हैद्राबाद के प्रक्षिशुओं के बीच प्रस्तुत करने के साथ विभिन्न 12प्रदेशों में 99 शो कर चुके हैं।इस नाटक के संवाद उच्च-निम्न वर्ग अधिकारी-कर्मचारी की मानसिकता को उजागर करने वाले हैं लेकिन इसके अधिकांश शो अधिकारियों-जजेज आदि ने प्रमोट किए हैं।
 शरद शर्मा 

नाटक का कथानक

 हरियाणा के लेखक स्वदेश दीपक के लिखे नाटक का कथानक एक मिलिट्री ट्रायल के इर्दगिर्द घूमता है। जिसमें जवान रामचंदर केंद्रीय पात्र है।जिस पर अपने अफसरों पर जानलेवा हमले और हत्या का आरोप है।सेना के कानून विभाग द्वाराकैप्टन विकास रॉय को डिफेंस कौंसिल और मेजर पुरी को सरकारी वकील बना कर भेजा जाता है। जिरह के दौरान परत दर परत सत्य उदघाटित होने से समाज में व्याप्त भेदभाव, ऊंचनीच और जातिगत विषमताओं का कुचक्र सामने आता है।


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