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आइए, भारतीय सेना की ही जय जयकार करें

(कीर्ति राणा)


पुलवामा में भारतीय जवानों के शहीद होने के बाद से इमरान खान इन तेरह दिनों में आतंकी कैंपों को समाप्त करने का वह जरूरी काम नहीं कर पाए जो हमारी वायुसेना के जवानों ने आवाजाही के बीस मिनट के समय में से डेढ़ मिनट में कर दिखाया।वायुसेना की रणनीति की सराहना इसलिए भी की जानी चाहिए कि उसने एक हजार किलो वजनी बम गिराते वक्त आतंकी कैंपों पर ही टॉरगेट किया।अंधेरी रात में पाक को भले ही मिराज नहीं दिखे लेकिन हमारे पॉयलेट ने यह सावधानी बरती कि कोई सैनिक ठिकाना या रहवासी इलाके बम की चपेट में ना आएं। बीस मिनट में अपनी योजना को अंजाम देकर सारे मिराज बिना हल्की सी खरोंच के लौट भी आए। किसी सैनिक छावनी पर एकआधा बम गिर जाता तो पाक को विश्वमंच पर सीज फायर के उल्लंघन का शोर ऊंची आवाज में मचाने में आसानी हो जाती।

चीन के कंधे पर सवार होकर युद्ध की धमकी देने वाले पाकिस्तान की इससे अधिक हास्यास्पद स्थिति क्या होगी कि वह यह कल्पना ही नहीं कर सका कि इमरान खान के संसदीय क्षेत्र में पनाह पाए हुए 13 आतंकी संगठनों को अंधेरी रात में आसमान के रास्ते भी नेस्तनाबूद किया जा सकता है।अब पाक संसद से लेकर वहां की सड़कों तक इमरान खान हाय हाय के नारे गूंज रहे हैं और हमारे यहां राजवाड़ा से लेकर उज्जैन के टॉवर चौक, मुंबई के गेटवे ऑफ इंडिया से दिल्ली के इंडिया गेट तक वायु सेना की जय जयकार हो रही है तो मुझे इमरान और पाक की हालत को लेकर दादा कोंडके की  फिल्म का वह शीर्षक याद आ रहा है ‘अंधेरी रात में दिया तेरे हाथ में’।अब यह पाकिस्तान का विधवा विलाप ही है कि अंधेरे के कारण उनकी सीमा के अस्सी किमी अंदर तक घुसे मिराज विमानों की हरकत को देख नहीं पाए।

सर्जिकल स्ट्राइक को नकारने वाले पाकिस्तान ने पहली बार हिम्मत दिखाई है इस एयर स्ट्राइक को स्वीकारने और सबूत सार्वजनिक करने की।अपन तो यह मानें कि एक तरह से इमरान खान ने बारह मिराज की रेड कॉरपेट बिछाकर अगवानी ही की है कि मुझ में तो हिम्मत नहीं है, आप ही आइए और मसूद के रिश्तेदारों का सफाया कर चले जाइए।इमरान को तो भारत का शुक्रिया अदा करना चाहिए कि विश्वमंच पर पाक की गिरती साख को बचाने का काम बड़े भाई ने कर दिखाया है।पाकिस्तान का अवाम यदि इमरान को कोस रहा है तो इसलिए कि वो अपनी पठानी जबान पर कायम नहीं रह पाए।वैसे भी वे आर्मी की अंगुली पकड़ कर ही प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठे थे इसलिए आतंकी संगठनों पर निर्णायक कार्रवाई की उम्मीद की भी नहीं जा सकती थी।

पाकिस्तान की आम जनता मान कर चल रही थी कि भारत चुप नहीं बैठेगा, मिराज दस्ते ने जो कार्रवाई की है उसके बाद इमरान की थू-थू तो होना ही है कारण की इन तेरह दिनों में वे भारत से एक मौका देने की गुहार ही लगाते रहे ऐसा कुछ कर के नहीं दिखाया कि उन्हें मौका दिया जा सके।पाकिस्तान के आर्मी चीफ बाजवा को भी समझ आ जाना चाहिए कि हमारी सेना के शौर्य का यह एक सेंपल है।पाकिस्तान में घुसकर जिस तरह बालाकोट, चकौटी और मुजफ्फराबाद में जैश के कई ठिकाने तबाह करने के साथ ही 300 से अधिक आतंकियों,5 पाक सैनिकों को मौत के नींद सुलाया है उससे समझ आ जाना चाहिए कि भारतीय सेना के लिए इसी अंदाज में लाहौर तक भी पहुंचना मुश्किल काम नहीं है।यह हमला इस बात का भी संकेत है कि यदि पाकिस्तान अब भी आतंकी ठिकाने हटाने का साहस नहीं दिखाएगा तो भारतीय सेना आगे भी ऐसा दुस्साहस दिखाती रहेगी।

पाक फौज भारतीय सीमाओं पर नजर गड़ाए थी कि हमला जमीनी होगा, आसमानी हमले के बाद अब उसके पैरों के नीचे से जरूर जमीन खिसक गई है।यही कारण है कि पुलवामा में शहीद हुए एक जवान के बदले कम से कम नौ आतंकियों को ठिकाने लगाने के बाद पूरा देश शौर्य के उल्लास में डूबा हुआ है।इन तेरह दिनों में भारत ने जिस तरह विश्व के देशों को पाकिस्तान के खिलाफ आतंकी संगठनों को संरक्षण देने के पुख्ता सबूत दिए उसी का नतीजा है कि इस एयर स्ट्राइक के बाद अधिकांश देश भारत द्वारा की गई कार्रवाई का मौन समर्थन कर रहे हैं, चीन ने बेहद संतुलित शब्दों में भारत और पाक दोनों से ‘संयम’ बरतने की अपील की है। शोक में डूबे देश का सिर इस एयर स्ट्राइक के बाद गर्व से ऊंचा हो गया है।

जम्मू कश्मीर में भाजपा ने मेहबूबा से हाथ मिलाकर सरकार बनाने की जो गलती कि यदि उसके बदले सेना को इन पांच सालों में बहुत पहले से फ्री हैंड देने की उदारता दिखाई होती, अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा बहुत पहले से हटा दी होती तो पठानकोट, उरी और अभी पुलवामा जैसी घटनाओं को अंजाम देने का साहस आतंकी संगठन नहीं दिखा पाते।सेना के इस शौर्य को भुनाने की कोशिश में मोदी है तो मुमकिन है जैसा नारा उछालना भी गलत होगा क्योंकि फिर विपक्ष इस मुमकिन के साथ पठानकोट हादसे की भी याद दिलाएगा।

राहुल गांधी ने बहुत सोच समझकर ट्विट किया है-आईएफए के पायलटों को मेरा सलाम।सारे दल और देश राजनीति से उठकर सेना की ही जय जयकार करे यही उत्तम होगा, वरना तो चुनाव नजदीक हैं ही एक दल श्रेय लेगा तो दूसरा खामियों के पत्थर उछालेगा कि कैसे तय हुआ कि 350 आतंकी मारे गए, भारत की आक्रामक कार्रवाई संबंधी तैयारी के बाद भी क्या आतंकी उन सारे अड्डों पर ही आराम फरमा रहे थे। 

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