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अस्पताल में भी चैन से नहीं बैठ रहे कोडवानी

 (कीर्ति राणा)

 अपने घर परिवार में ऐसे उदमाती बच्चे भी तो होते हैं जो चैन से बैठ ही नहीं सकते। एमवाय अस्पताल के प्रायवेट वार्ड (318) में दाखिल किशोर कोडवानी भी ऐसे ही है, प्रोस्टेट की बीमारी के उपचार के लिए भर्ती हैं लेकिन यहां भी आसपास फईलें-कागज फैले रहते हैं।सेवाभारती के सुनील गुप्ता के साथ कोडवानी से  मुलाकात को आए नगर निगम सभापति अजय सिंह नरुका को समझा रहे थे कि एनजीटी के आदेश के संबंध में जिला न्यायालय बिल्डिंग कमेटी के चेयरमेन-जस्टिस जेके माहेश्वरी को पत्र लिखा है। मेरा विरोध कोर्ट बनने से नहीं तालाब बचाने को लेकर है। एनजीटी ने तालाब के कैचमेंट क्षेत्र से अधिकतम 50 मीटर की दूरी से निर्माण करने की बात कही है, उसका पालन करने पर सहमति बन जाए तो इससे अच्छा क्या होगा। कोर्ट भवन की प्रस्तावित चौड़ाई की अपेक्षा उसकी लंबाई (हाईट) बढ़ाने से रास्ता निकल सरता है, यह भी बताया है माहेश्वरी जी को। प्रस्तावित कोर्ट भवन के सामने जो एमओएस छोड़ा जाना है उसकी अपेक्षा यदि कोर्ट भवन का मुख्य द्वार तालाब की तरफ कर दिया जाए, भवन के पिछले हिस्से में छोड़ी जाने वाली 41मीटर जगह को 20 मीटर करने से एनजीटी के सभी आदेश का आसानी से पालन हो जाएगा।तालाब की पाल से सट कर प्राधिकरण की जो 94 नंबर स्कीम है इसमें भी बंगाली चौराहा से मूसाखेड़ी वाले रास्ते पर जो पक्के अवैध निर्माण हैं उन्हें भी आगे-पीछे हटाना ही पड़ेगा।कोडवानी की चिंता कान्ह-सरस्वती नदी के संरक्षण कार्य को लेकर भी थी।कमिश्नर आकाश त्रिपाठी से मिलना है लेकिन बीमारी के चलते जाना संभव नहीं हो रहा, उन्हें फोन भी किए पर हर बार बिजी टेन मिल रही है।आप की बात हो तो बताना नदी काम की चिंता पाल रहा हूँ।अस्पताल की व्यवस्थाओं से खुश कोडवानी पूछ लेते हैं यहां बेहतर इलाज है, देखभाल भी ठीक है लेकिन मेरी बेटी कहती है एमवायएच में क्यों भर्ती हुए। लोगों के दिल से ये भ्रम दूर होना चाहिए कि एमवायएच में उपचार ठीक नहीं होता, डॉ पीएस ठाकुर से भी समझ रहा हूँ यहां की व्यवस्थाओं को। 

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