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कभी देश में सिपाही बहादुर सरकार शासन भी रहा….

– दो झण्डे निशाने महावीरी और निशाने मोहम्मदी फहराये जाते थे

जब अंग्रेजों की गुलामी से पूरा भारत देश जकड़ा था तब 1857 के स्वतंत्रता आंदोलन के समय मध्यप्रदेश के सीहोर जिले ने अपना एक गौरवमयी स्वर्णिम इतिहास रचा था । ‘सीहोर’ में भारतीय सैनिकों ने 6 अगस्त 1857 को स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेकर अंग्रजों के खिलाफ विद्रोह का बिगुल फूंक दिया था
सैकड़ो सैनिकों ने क्रांतिकारी महावीर कोठ के नेतृत्व में योजनाबद्ध तरीके से आंदोलन करके अंग्रेजों को चुन-चुनकर मारा और कड़े संघर्ष के बाद सीहोर से अंग्रेजों को खदेड़ दिया। इन महान क्रांतिकारियों ने स्वतंत्र ‘सिपाही बहादुर सरकार शासन’ की स्थापना कर दी, इस प्रकार हमारा सीहोर पूरी तरह से स्वतंत्र हो गया था. यहाँ हमारे भारतीय सैनिकों का शासन था, अंग्रेज सीहोर की सीमा में भी घुसने से डरने लगे थे। सिपाही बहादुर सरकार के शासन में दो झण्डे निशाने महावीरी और निशाने मोहम्मदी फहराये जाते थे।

स्वतंत्र सिपाही बहादुर सरकार से घबराये अंग्रेज, करीब 6 माह बाद जनवरी 1858 में जनरल ह्यूरोज के नेतृत्व में विशाल सैना लेकर सीहोर आये। एक तरफ विदेशी सैना थी और दूसरी तरफ देशभक्त क्रांतिकारियों की टोली। देश-धर्म की रक्षा के लिये मर-मिटने को तैयार इन क्रांतिकारी सैनिकों ने तब भी हार नहीं मानी। सिपाही बहादुर सरकार के संगठक क्रांतिकारी महावीर कोठ और वली शाह के नेतृत्व में क्रांतिकारियों ने विशाल अंग्रेजी सैना से डटकर मुकाबला किया। कई अंग्रेजों को मौत के घांट उतार दिया।
14 जनवरी 1858 तक सारे देशभक्तो क्रांतिकारियों को अंग्रेज सैना ने बंदी बना लिया, इन्हे माफी नामा लिखकर देने को कहा गया लेकिन इन देशभक्तों ने माफी मांगने से साफ मना कर दिया ।अंतत: १४ जनवरी को दोपहर बाद करीब 356 से अधिक क्रांतिकारी सैनिकों को लाईन से खड़ा कर गोलियों से भून डाला गया था, इन्होने अपने सीने पर गोलियाँ खाई। माफी नहीं मांगी, झुके नहीं, देश के लिये शहीद हुए।

हर साल इस स्थान पर होता है श्रद्वाजंलि कार्यक्रम

मप्र के सीहोर जिले में सेकडाखेडी के पास स्थित शहिदों की समिधियों पर श्रद्वा सुमन अर्पित किए जाते है। इस श्रद्वाजंलि कार्यक्रम को शहर के नागरिक आयोजित करते है।

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