उप सचिव नियाज ने लिखा-मुसलमान हूं इसलिए प्रताडि़त हूं…..
– मप्र के अफसरों का झगडा सोसल मिडिया तक पहुंचा
(रविंद्र जैन )
भोपाल। मप्र पीएचई के प्रमुख सचिव विवेक अग्रवाल और उप सचिव नियाज खान के बीच बंद कमरे में हुआ विवाद अब अखबारों की सुर्खियों से निकलकर सोशल मीडिया तक पहुंच गए। नियाज खान ने 10 जनवरी 2019 पांच ट्वीट करके कहा है कि मुसलमान होने का खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ रहा है। उन्होंने लिखा है कि उनके नाम के साथ खान उपनाम ने उन्हें भूत की तरह मार डाला है। दो दिन पहले इन दोनों अधिकारियों के बीच एक बैठक में विवाद हुआ था। विवेक अग्रवाल ने नियाज को अपमानित कर बैठक से निकाल दिया था। नियाज ने इस मामले में मुख्य सचिव से लिखित शिकायत की है।
नियाज ने अपने ट्वीटर पर लिखा है कि गुना में एसडीएम रहते उन्होंने देश का सबसे बड़ा ओडीएफ घोटाला और सहरिया जनजातियों के खिलाफ होने वाली क्रूरता का पर्दाफाश किया था। इसकी सजा उन्हें लूप लाईन भेजकर की गई है। उन्होंने लिखा है कि 17 साल की सरकारी नौकरी में उन्हें 10 जिले में 19 पारियों में भेजा गया। उनके साथ मप्र में उसी तरह व्यवहार किया जा रहा है जैसा जर्मन यहूदियों के साथ किया गया। खान ने लिखा है कि वे अपने साथ हुए व्यवहार के कारण गहरे अवसाद में चले गए थे। लेकिन साहित्य ने उन्हें बचा लिया। वे पांच उपन्यास लिख चुके हैं। अपने छठवें उपन्यास में वे लिखने जा रहे हैं कि मप्र में कैसे मुस्लिम अधिकारियों को द्वितीय श्रेणी का नागरिक माना जाता है। यह सब मेरे अनुभव के आधार पर होगा।
फ्रस्टेशन में हैं विवेक अग्रवाल
नियाज खान को फोन लगाया और उनके साथ हुई घटना के बारे में पूछा तो नियाज का कहना था कि मुख्यमंत्री सचिवालय से हटाए जाने के बाद वरिष्ठ आईएएस अधिकारी विवेक अग्रवाल फ्रस्टेशन में हैं। यह सारा फ्रस्टेशन हम लोगों पर निकालते हैं। विभाग की टीएल बैठक में एक जानकारी नीचे से आनी थीं जो नहीं आई। इसी बहाने से उन्होंने मुझे गेटआउट बोलकर बैठक से निकाल दिया। इस घटना से व्यथित होकर मैंने मुख्य सचिव को पत्र लिखकर कहा है कि मैं इस अधिकारी के साथ काम नहीं करूंगा। मेरे साथ सत्रह साल में जो कुछ हुआ वह मैंने आज अभिव्यक्ति की आजादी के तहत ट्वीटर पर डाल दिया है।
नहीं लगा विवेक का फोन
इस संबंध में हमने विवेक अग्रवाल का पक्ष जानने के लिए उन्हें कई बार फोन लगाया लेकिन उनका मोबाइल स्वीचआफ आया।
( लेखक वरिष्ठ संपादक है)