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ब्रांड योगी आदित्यनाथ को 4 राज्यों के चुनावों ने नया आयाम दिया

भगवा वस्त्रधारी संन्यासी और फायरब्रांड नेता की अपनी परंपरागत पहचान के साथ यूपी जैसे बड़े राज्य के मुख्यमंत्री का पद संभाल रहे योगी आदित्यनाथ अपनी पार्टी भाजपा के लिए विश्वसनीय राजनीतिक ब्रांड बन गए हैं।
चार राज्यों के विधानसभा चुनावों में उन्होंने पार्टी के लिए न सिर्फ धुआंधार सभाएं कीं बल्कि उन राज्यों के मुख्यमंत्री पद के चेहरों के साथ ही अपनी प्रतिष्ठा भी दांव पर लगाने से नहीं हिचके। यही वजह है कि इन राज्यों का चुनाव परिणाम भाजपा के साथ ही ब्रांड योगी की भी परीक्षा माना जाने लगा है।
चुनावी तपिश के साथ बढ़ती गई लोकप्रियता: इन राज्यों में चुनाव की रणभेरी बजने के समय योगी आदित्यनाथ का नाम भी भाजपा के ढेर सारे स्टार प्रचारकों में से एक था लेकिन जैसे-जैसे चुनावी तपिश बढ़ती गई योगी आदित्यनाथ लोकप्रियता के मामले में आगे बढ़ते गए। हालत यह रही कि मध्य प्रदेश, राजस्थान व छत्तीसगढ़ में भाजपा प्रत्याशियों की ओर से अपने-अपने क्षेत्र में उनकी सभाएं कराने की जबरदस्त मांग की जाने लगी। इस तरह बहुत कम समय में योगी आदित्यनाथ को मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ व तेलंगाना में 74 चुनावी सभाएं करनी पड़ीं। उन्होंने सबसे ज्यादा 26 चुनावी सभाएं राजस्थान में कीं।
इसके साथ ही उन्होंने छत्तीसगढ़ में 23, मध्य प्रदेश में 17 और तेलंगाना में 8 चुनावी सभाओं को संबोधित किया। कई जगह उन्हें प्रधानमंत्री की व्यस्तता की भी भरपाई करनी पड़ी। इन चुनावी सभाओं में अपने प्रति जनता का भरोसा देखकर वह लोगों को यह भरोसा दिलाने से खुद को नहीं रोक पाए कि राज्य में बनने वाली भाजपा सरकार घोषणापत्र के वायदों को पूरा करके दिखाएगी।
कारगर दिखी भाजपा की रणनीति
दरअसल इन राज्यों के चुनावों में योगी आदित्यनाथ को आगे करने के पीछे भाजपा की खास रणनीति थी। मुख्यमंत्री का पद संभालने के बाद भी हिन्दुत्व के एजेंडे पर कायम रहने की योगी आदित्यनाथ की शैली देश के दूसरे राज्यों में भी चर्चा का विषय बनी रही। उनके हिन्दुस्त के एजेंडे से भाजपा को चुनावों में ध्रुवीकरण का भी लाभ मिला। कानून-व्यवस्था के मोर्चे पर सख्त प्रशासक की छवि और हिन्दू पर्वों, त्योहारों व तीर्थों को खास पहचान देने की उनकी कोशिश उन्हें अन्य राजनेताओं की कतार से थोड़ा अलग खड़ा करने लगी है। उनकी इस छवि के सहारे चुनावी सभाओं में भीड़ जुटाने की भाजपा के चुनावी रणनीतिकारों की योजना सफल होती भी दिखी। इन सभाओं में योगी आदित्यनाथ के भाषण भी खूब चर्चा में रहे। उनके भाषणों के विषय राष्ट्रीय स्तर पर बहस छेड़ने वाले रहे

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