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आशिया बीबी पर बोले PAK चीफ जस्टिस- जब सबूत नहीं तो कैसे दें सजा

ईश निंदा के आरोप में 8 साल से जेल में बंद आशिया बीबी को रिहा करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कट्टरपंथियों की आलोचना झेल रहे पाकिस्तान के चीफ जस्टिस ने कहा है कि अगर किसी के खिलाफ सबूत नहीं है तो उसे किस आधार पर सजा दी जाए. गुरुवार को दूसरे केस की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस साकिब नसीर ने कहा कि ‘मैं और बेंच के बाकी सदस्य पैगंबर में विश्वास करते हैं’.

फैसला सुनाने के बाद कट्टरपंथियों ने चीफ जस्टिस के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था और उनकी हत्या का फरमान जारी कर दिया था. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कट्टरपंथियों का विरोध करते हुए कहा था कि देश कानून के अनुसार चलेगा.

चीफ जस्टिस ने कहा कि पैगंबर मुहम्मद के सम्मान में हम बलिदान देने को तैयार हैं लेकिन हम केवल मुस्लिमों के जज नहीं हैं. अगर किसी के खिलाफ कोई सबूत नहीं है तो हम उसे दंड कैसे दे सकते हैं. उन्होंने आगे कहा कि हम अपना निर्णय पहले कलमा से शुरू करते हैं. हम पैगंबर को उतना ही प्यार करते हैं जितना दूसरे लोग करते हैं. यह जजों की वही बेंच है जिसने शरीफ के खिलाफ फैसला सुनाया है.

चीफ जस्टिस ने आगे कहा कि यह निर्णय उर्दू में भी लिखा गया है जिसे कोई भी आम आदमी पढ़कर समझ सकता है. उन्होंने कहा है कि उन्होंने ईश्वर को नहीं देखा लेकिन पैंगबर के माध्यम से उन्हें उसे महसूस किया है. हर व्यक्ति को अपने विश्वास पर कायम रहने का हक है. चीफ जस्टिस ने कहा है कि सभी को यह दिमाग में रखना चाहिए कि आरोप साबित करने के लिए सबूतों की दरकार होती है और इस केस में पर्याप्त सबूत नहीं उपलब्ध कराए जा सके.

तीन जजों की खंडपीठ ने बुधवार को क्रिश्चियन महिला आशिया बीबी को फौरन रिहा करने का आदेश दिया था. आशिया ईश निंदा के आरोप में 8 साल से जेल में बंद हैं. उन्हें मत्युदंड की सजा सुनाई जा चुकी थी.

क्या था मामला

2009 में 5 बच्चों की मां आशिया बीबी का शेखुपुरा में एक गिलास पानी के लिए मुस्लिम महिलाओं से विवाद हुआ था. काम के दौरान उन्होंने मुस्लिम महिलाओं के लिए रखे गिलास से पानी पी लिया था, महिलाओं ने इसका विरोध किया था. इस पर आशिया ने पैगंबर की ईसा मसीह से तुलना कर दी थी. इसके बाद मुस्लिम महिलाओं ने आशिया के खिलाफ ईश निंदा का केस दायर कर दिया था. लोअर कोर्ट ने उन्हें फांसी की सजा सुनाई थी जिसे हाई कोर्ट ने बरकार रखा था. आशिया ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी.

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