पीताम्बरा देवी मंदिर: इंदिरा-राजीव के बाद राहुल, गांधी परिवार की तीसरी पीढ़ी
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी सोमवार को मध्य प्रदेश के चंबल-ग्वालियर दौरे की शुरुआत दतिया में मां पीताम्बरा देवी के मंदिर में दर्शन और माथा टेककर करेंगे. गांधी परिवार का मां पीताम्बरा देवी के मंदिर से पुराना और गहरा नाता है.
राहुल गांधी से पहले उनकी दादी इंदिरा गांधी और पिता राजीव गांधी यहां आकर दर्शन कर चुके हैं. जबकि उनके नाना पंडित जवाहर लाल नेहरू के लिए यहां पूजा- अर्चना की जा चुकी है.
राहुल गांधी के लिए पहले देवास की मां चामुंडा देवी के लिए दर्शन के लिए प्रोग्राम था. लेकिन राहुल ने इस दौरे में पीताम्बरा देवी दर्शन के लिए इच्छा जताई. इसके बाद ही दर्शन के लिए मंदिर के दर्शन का कार्यक्रम तय हुआ है.
दरअसल, तीन महीना पहले मां पीताम्बरा देवी पीठ के दीक्षित साधक पंडित राधावल्लभ सुरवरिया दिल्ली आए थे. इस दौरान उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात भी की थी. राहुल से मुलाकात के दौरान उन्होंने मां पीताम्बरा देवी के दर्शन करने का निमंत्रण दिया था.
इसी मद्देनजर राहुल ग्वालियर-चंबल दौरे का आगाज मां पीताम्बरा देवी के दर पर माथा टेक कर करेंगे. राहुल से पहले उनकी दादी इंदिरा गांधी तीन बार और पिता राजीव गांधी एक बार दर्शन कर चुके हैं.
1962 में चीन के साथ युद्ध के दौरान मां पीताम्बरा देवी पीठ के स्वामी महाराज ने यज्ञ करवाया था. इसके बाद बाद 1964 में जब पंडित जवाहर लाल नेहरू की तबियत बिगड़ी थी तो कांग्रेस नेता कमलापति त्रिपाठी पीताम्बरा देवी मंदिर आकर उनके स्वास्थ्य लाभ के लिए पूजा अर्चना कराई थी.
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी मां पीताम्बरा देवी का तीन बार दर्शन करने गई थी. पहली बार आपातकाल के बाद 1979 में, दूसरी बार 1980 में चुनाव के पहले उन्होंने जाकर माथा टेका था. इसके बाद उन्होंने चुनाव जीतने और प्रधानमंत्री बनने के बाद दर्शन करने गई थी.
यही नहीं इंदिरा गांधी मां पीताम्बरा देवी के आचार्य को दिल्ली बुलाया था और उन्होंने अपने निवास पर बुलाकर मां पीताम्बरा का अनुष्ठान यज्ञ करवाया था.
राहुल गांधी के पिता भी मां पीताम्बरा देवी के दर पर आकर माथा टेक चुके हैं. 1985 में राजीव गांधी पीएम बनने के बाद यहां आए थे. अब गांधी परिवार की तीसरे सदस्य के रूप में राहुल गांधी दर्शन करेंगे.
ये मंदिर बगलामुखी देवी का है और इसे पीताम्बरा पीठ भी कहा जाता है. ये मंदिर देश के सबसे शुभ मंदिरों में से एक है और तांत्रिक प्रथाओं के लिए जाना जाता है. यहां होने वाले पूजा संस्कार और अनुष्ठान लोगों की सफलता और उपलब्धि के लिए होते हैं.