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अगर चीन नहीं सुधरा तो चिनपिंग से रिश्ते खराब हो जाएंगे : डोनाल्ड ट्रंप

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का कहना है कि वह चीन के साथ संतुलित व्यापार समझौते पर चर्चा करना चाहते हैं और उनकी इच्छा है कि अमेरिका की तरह चीन भी सभी के लिए अपना बाजार खोल दे। चीन से आयातित 250 अरब डॉलर कीमत की वस्तुओं पर अतिरिक्त शुल्क लगा चुके ट्रंप ने इस बात से बिलकुल इंकार नहीं किया कि वह चीन से आयात (Import) होने वाले माल पर और शुल्क लगा सकते हैं। सीबीएस न्यूज के एक कार्यक्रम में ट्रंप ने चीन और अमेरिका द्वारा लगातार आयातित वस्तुओं पर शुल्क बढ़ाए जाने को महज एक झड़प बताते हुए कहा कि यह कोई संघर्ष या युद्ध नहीं है जैसा कि विशेषज्ञ कह रहे हैं। उन्होंने इसपर जोर दिया कि चीन के खिलाफ उनकी जीत होगी।

ट्रंप ने कहा, अगर इसमें सुधार नहीं होता है तो संभवत: चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के साथ उनके संबंध अच्छे नहीं रह जाएंगे। ट्रंप ने सीबीएस न्यूज के साथ साक्षात्कार में कहा, चीन के राष्ट्रपति के साथ मेरे संबंध बहुत अच्छे हैं। मुझे नहीं पता कि वह आगे भी जारी रहेंगे या नहीं। मैंने राष्ट्रपति शी को बताया कि हम व्यापार और अन्य माध्यमों से चीन को अमेरिका से हर साल 500 अरब डॉलर नहीं ले जाने दे सकते हैं।

शी दुनिया के उन कुछ नेताओं में शामिल हैं जिनकी मेजबानी ट्रंप ने फ्लोरिडा स्थित अपने मार-ए-लागो रिसॉर्ट पर की है। 20 जनवरी, 2017 को अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने के बाद ट्रंप चीन की यात्रा कर चुके हैं और विभिन्न मंत्रों पर उनकी शी से कई बार भेंट भी हुई है। हालांकि, ट्रंप द्वारा चीन से आयातित वस्तुओं पर अतिरिक्त शुल्क लगाए जाने और चीन के जवाबी शुल्क के बाद दोनों देशों के बीच संबंध खराब हुए हैं। यहां तक कि तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन की 1972 में चीन यात्रा के बाद से दोनों देशों के संबंधों में इतनी खटास पहली बार आयी है।

सवाल का जवाब देते हुए ट्रंप ने दावा किया कि चीन अगर चाहे भी तो एक सीमा के बाद जवाब नहीं दे सकता है। उन्होंने कहा, वह जवाबी कार्रवाई कर सकते हैं, लेकिन वह नहीं कर सकते हैं…उनके पास जवाबी कार्रवाई के लिए पर्याप्त व्यवस्था नहीं हैं। हम उनके साथ 100 अरब डॉलर का व्यापार करते हैं। वह हमारे साथ 531 अरब डॉलर का व्यापार करते हैं। ट्रंप ने इस बात से इंकार किया कि वह चीन की अर्थव्यवस्था को मंदी की ओर धकेलना चाहते हैं।

चीन के साथ संतुलित समझौते की बात दोहराते हुए ट्रंप ने कहा, ‘नहीं, नहीं, हालांकि चार महीने में वह 32 प्रतिशत नीचे आए हैं जो 1929 जैसा है। उन्होंने कहा, मैं वह नहीं चाहता। नहीं, मैं वह नहीं चाहता। मैं चाहता हूं कि वह हमारे साथ संतुलित समझौता करें। मैं चाहता हूं कि वह अपने बाजार खोलें, जैसे कि हमारे बाजार खुले हुए हैं। 1929 को महान मंदी का दौर कहा जाता है। इस दौरान विश्व की सभी बड़ी अर्थव्यवस्थाएं डूबने की करार पर पहुंच गई थीं।

दूसरी ओर अमेरिका की ओर से मिलने वाले भ्रामक संकेतों से चीन दुखी है लेकिन उन्हें आशा है कि अगले महीने होने वाली जी20 बैठक के दौरान शी-ट्रंप की मुलाकात होगी। ट्रंप के आर्थिक सलाहकार लैरी कुडलॉ ने ‘फॉक्स न्यूज संडे कार्यक्रम में कहा कि अर्जेंटीना की राजधानी ब्यूनर्स आयर्स में होने वाली जी 20 बैठक में अमेरिका और चीन के राष्ट्रपतियों के बीच संभवत: मुलाकात हो सकती है।

अमेरिका में चीन के राजदूत शुई तिआनकाई का मानना है कि अमेरिका और चीन द्वारा एक-दूसरे के खिलाफ लगाया जा रहा शुल्क वैश्विक व्यापार के लिए ठीक नहीं है। साथ ही दोनों देशों के बीच रिश्ते हुए हैं। फॉक्स न्यूज पर ही शुई ने कहा कि व्यापार वार्ता में ट्रंप प्रशासन की ओर से भ्रामक संकेत मिलने के कारण चीन में निराशा बढ़ रही है। शुई का कहना है कि वॉशिंगटन के अन्य राजदूत भी उनकी निराशा से इत्तेफाक रखते हैं। शुई ने कहा कि उन्हें नहीं पता है कि प्रशासन में अंतिम निर्णय किसका होता है। उन्होंने कहा, ‘हां, अंदाजा है कि अंतिम फैसला राष्ट्रपति लेंगे। लेकिन कौन क्या भूमिका निभा रहा है? यह भ्रामक हो सकता है

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