फ्रांस में आज राफेल प्रोडक्शन यूनिट का दौरा करेंगी रक्षा मंत्री
राफेल डील पर सियासी तपिश के बीच आज रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण उस प्रोडक्शन यूनिट का दौरा करेंगी जहां राफेल फाइटर प्लेन बनाये जाते हैं. राफेल बनाने वाली यूनिट फ्रांस के अर्जेंटुइल में स्थित है. रक्षा मंत्री इस यूनिट में राफेल के प्रोडक्शन में हो रही प्रगति का जायजा लेंगी. इस बीच रक्षा मंत्री ने कहा है कि भारत सरकार डील के साथ आगे जाएगी. उन्होंने कहा कि भारत में ऑफसेट पार्टनर चुनना डसॉल्ट एविएशन की पसंद है.
रक्षा मंत्री ने बृहस्पतिवार (11 अक्टूबर) को अपने फ्रांसीसी समकक्ष फ्लोरेंस पार्ली के साथ भारत और फ्रांस के बीच सामरिक और रक्षा सहयोग को मजबूत करने के तौर तरीकों पर व्यापक बातचीत की.
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि दोनों रक्षामंत्रियों ने परस्पर हित के विभिन्न द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता के बाद आपस में बातचीत की. दोनों पक्षों ने अपने सशस्त्र बलों खासकर समुद्री क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के अलावा दोनों देशों द्वारा सैन्य मंचों और हथियारों के सह-उत्पादन पर चर्चा की. हालांकि अभी यह स्पष्ट नही हैं कि बातचीत के दौरान राफेल सौदा का विषय उठा या नहीं.
सीतारमण की फ्रांस यात्रा फ्रांसीसी कंपनी डसॉल्ट एविएशन से 36 राफेल जेट विमानों की खरीद को लेकर उठे भारी विवाद के बीच हो रही है. बुधवार को समाचार संगठन मीडियापार्ट ने खबर दी कि राफेल बनाने वाली कंपनी डसॉल्ट एविएशन को यह सौदा करने के लिए भारत में अपने ऑफसेट साझेदार के तौर पर अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस डिफेंस को चुनना पड़ा.
बुधवार को जब इन आरोपों के बारे में रक्षा मंत्री से पूछा गया तो सीतारमण ने कहा कि सौदे के लिए ऑफसेट दायित्व अनिवार्य था, न कि कंपनियों के नाम. गुरुवार को ही पेरिस में रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण ने मोदी सरकार के इस दावे को दोहराया कि उसे कोई भनक नहीं थी कि डसॉल्ट एविएशन अनिल अंबानी की अगुवाई वाले रिलायंस ग्रुप के साथ गठजोड़ करेगा.
बता दें कि कांग्रेस इस सौदे में में भारी करप्शन का आरोप लगा रही है और कह रही है कि सरकार 1670 करोड़ रुपये प्रति विमान की दर से राफेल खरीद रही है जबकि यूपीए के समय इस सौदे पर बातचीत के दौरान इस विमान की कीमत 526 करोड़ रुपये प्रति राफेल तय हुई थी।
इस बीच डसॉल्ट कंपनी के सीईओ एरिक ट्रेपियर ने कहा है कि रिलायंस के साथ उनकी कंपनी का संयुक्त उपक्रम राफेल लड़ाकू विमान करार के तहत करीब 10 फीसदी ऑफसेट निवेश का प्रतिनिधित्व करता है. ट्रेपियर ने कहा, “हम करीब 100 भारतीय कंपनियों के साथ बातचीत कर रहे हैं जिनमें करीब 30 ऐसी हैं जिनके साथ हमने पहले ही साझेदारी की पुष्टि कर दी है.”