चीन और पाक सरहद से लगे गांवों के विकास में केंद्र ने खर्च किये 126 करोड़
सीमा पर बसे हुए लोग और गांव देश के लिए स्ट्रैटिजिक एसेट्स हैं’, गृह मंत्री राजनाथ सिंह पिछले सालों में लगातार अपने कई भाषणों में इस बात पर जोर देते रहे हैं. साथ ही उन गांवों में मूलभूत सुविधाओं की कमी के चलते वहां से हो रहे पलायन को रोकने की कवायद भी लगातार करते रहे हैं. इस दिशा में अब गृह मंत्रालय की योजनाएं परवान चढ़ती दिख रही हैं.
गृह मंत्रालय के हालिया आंकड़ों के मुताबिक बॉर्डर इलाके के 61 गांवों में सुविधाएं सृजित करने के लिए 126 करोड़ रुपये खर्च किये जा चुके हैं. इस पैसे से गांव तक पहुंचने के रास्ते गांव में शिक्षा के लिए स्कूल, स्वास्थ्य सेवाओं के लिए चिकित्सालय और वहीं गांव में या गांव के आसपास रोजगार के साधन विकसित किये गए हैं.
ये योजनाएं मॉडल विलेज ऑन बॉर्डर स्कीम के तहत चलाई जा रही हैं. इस स्कीम को 17 राज्यों में 111 सीमावर्ती जिलों के 394 बॉर्डर ब्लॉक्स में लागू किया गया है. बता दें कि 126 करोड़ रुपये 7 राज्यों के 61 गांवों में पिछले 2 सालों में खर्च किया गया है.
केंद्रीय गृह मंत्रालय से मिली जानकारी के मुताबिक बॉर्डर इलाके के गांवों में जिस तरीके से विकास किया जा रहा है उसमें अरुणाचल प्रदेश के 18 गांवों को मॉडल विलेज के तौर पर विकसित किया जा रहा है. इसके लिए गृह मंत्रालय ने अपने फंड से इन गांवों को 33 करोड़ रुपए दिए हैं.
वहीं, जम्मू-कश्मीर के 24 मॉडल विलेज गांवों के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय में 55 करोड़ रुपए अपने फंड से दिए हैं. अब तक जो 126 करोड़ रुपए गृह मंत्रालय ने 7 राज्यों को दिए हैं उसमें से सबसे ज्यादा जम्मू कश्मीर राज्य को 55 करोड़ रुपए भारत पाकिस्तान सरहद से जुड़े हुए गांवों के विकास के लिए दिए गए हैं.
इसके अलावा हिमाचल प्रदेश के 2 मॉडल गांवों के विकास के लिए 6 करोड़, मणिपुर के 6 मॉडल विलेज के विकास के लिए 8 करोड़ रुपए, मेघालय के 7 मॉडल विलेज के विकास के लिए 11 करोड़ रुपए, नागालैंड के मॉडल विलेज के विकास के लिए 2 करोड़ रुपये और राजस्थान के बॉर्डर से सटे तीन मॉडल विलेज के विकास के लिए 9 करोड़ रुपये गृह मंत्रालय ने दिए हैं.