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एशियाड टीम चयन पर बवाल, हाईकोर्ट की निगरानी में कल होगा कबड्डी का मुकाबला

भारतीय खेलों के इतिहास में पहली बार अदालत की निगरानी में दिल्ली के इंदिरा गांधी स्टेडियम में शनिवार को कबड्डी मैच खेला जाएगा. यह मुकाबला उन पुरुष और महिला खिलाड़ियों के बीच में खेला जाएगा जिन्होंने 18वें एशियाई खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व किया और जिन्हें इन खेलों के लिए टीम में नहीं चुना गया था.

दिल्ली हाईकोर्ट ने इन मैचों का आयोजन कराने का निर्णय पिछले महीने लिया था.

एशियाई खेलों में भारतीय पुरुष टीम पहली बार फाइनल में पहुंचने में नाकाम रही जिस कारण 1990 से एशियाड का हिस्सा बने कबड्डी में भारत स्वर्ण पदक से चूक गया. भारत पिछले 7 बार से एशियाई खेलों में स्वर्ण जीत रहा था. यही हाल भारतीय महिला टीम का रहा जो फाइनल में हारकर स्वर्ण पदक से चूक गई.

कोर्ट में चयन का मामला

दरअसल, एशियाई खेलों के लिए भारतीय कबड्डी टीमों के रवाना होने से पहले पूर्व कबड्डी खिलाड़ी महीपाल सिंह ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और उन्होंने एमेच्योर कबड्डी महासंघ (एएफकेआई) पर घूस लेकर खिलाड़ियों के चयन का आरोप लगाया था.

इसके बाद कोर्ट ने निर्णय लिया कि एशियाई खेलों के समापन के बाद एक मैच का आयोजन किया जाएगा ताकि यह पता चल सके कि खिलाड़ियों के चयन के मामले में महिपाल सिंह के आरोप सही हैं या नहीं.

मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजेंद्र मेनन और न्यायमूर्ति वीके राव की पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा था कि एशियाई खेलों से लौटने के बाद खेलों के लिए गई भारतीय टीम (महिला और पुरुष) का मैच उन खिलाड़ियों से होगा जो राष्ट्रीय टीम में जगह नहीं बना पाए थे.

कोर्ट ने 2 अगस्त के अपने आदेश में कहा था 15 सितंबर 2018 की सुबह 11 बजे चयन प्रक्रिया को आयोजित किया जाएगा. पीठ ने हाईकोर्ट के न्यायाधीश (सेवानिवृत्त) एसपी गर्ग को खेल और युवा मंत्रालय के एक अधिकारी के साथ चयन का पर्यवेक्षक नियुक्त किया.

न्यायाधीश (सेवानिवृत्त) गर्ग शनिवार को स्टेडियम में मौजूद रहेंगे. याचिकाकर्ता महिपाल सिंह के वकील बीएस नागर ने कहा कि यह मुकाबला उन पुरुष और महिला खिलाड़ियों के बीच होगा जिन्होंने एशियाई खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व किया था और जिन्हें टीम का हिस्सा नहीं बनाया गया था.

खिलाड़ी कर सकते हैं किनारा

टीम का हिस्सा नहीं बनाए गए खिलाड़ी वहीं होंगे जिन्होंने राष्ट्रीय शिविर में भाग लिया था. इसमें (आदेश में) यह नहीं कहा गया कि एशियाई खेलों की टीम का हिस्से रहने वाले खिलाड़ियों का मैच में भाग लेना अनिवार्य है, इसे खिलाड़ियों के विवेक पर छोड़ दिया गया है.

नागर का मानना है कि खिलाड़ी इससे बचने की कोशिश कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि खिलाड़ियों ने 31 अगस्त को कहा था कि इस मुकाबले से उनकी प्रतिष्ठा पर फर्क पड़ेगा और यह कि वे चोटिल हैं और ऐसी ही तमाम बातें. वे मैच को टालने की कोशिश कर रहे हैं और यह कह रहे हैं कि इसमें उनकी गलती नहीं है. उन्हें (एशियाई खेलों की टीम को) डर है कि कहीं एक गुमनाम टीम उन्हें हरा ना दे.

इस मैच की बकायदा रिकार्डिंग की जाएगी जो अदालत में बतौर साक्ष्य पेश की जाएगी और इसी वीडियो फुटेज के आधार पर कोर्ट अपना फैसला लेगी.

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