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अगर करा रखी है FD और RD तो इन 5 बातों का रखें ध्यान

बचत और सुरक्षित निवेश के लिए छोटे निवेशक सावधि जमा (एफडी) और आवर्ती जमा (आरडी) में काफी पूंजी लगाते हैं, लेकिन ज्यादातर को यह पता नहीं होता है कि एफडी और आरडी पर मिला ब्याज भी टैक्स के दायरे में आता है। खुद ही आईटीआर भरने वाले तमाम करदाता इसकी जानकारी भी नहीं देते हैं, जिससे उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। अगर आपने भी एफडी-आरडी में निवेश किया है तो इन पांच बातों का ध्यान रखकर टैक्स से बच सकते हैं।

1. अगर आपका कोई बैंक खाता या पोस्ट ऑफिस अकाउंट है तो आयकर की धारा 80टीटीए के तहत कोई व्यक्ति सालाना दस हजार रुपये तक का ब्याज कर मुक्त होता है। यह नियम 60 वर्ष से कम उम्र के निवेशक और हिंदू अविभाजित परिवार के लिए है।

2. अगर कोई वरिष्ठ नागरिक यानी 60 वर्ष से कम उम्र का शख्स एफडी या आरडी में निवेश करता है और सालाना रिटर्न तय सीमा से ज्यादा है तो यह कितना कर लगेगा यह उसकी कर योग्य आय और टैक्स स्लैब पर निर्भर करता है।

3. वरिष्ठ नागरिक ने बैंक या पोस्ट ऑफिस के जरिये एफडी या आरडी में निवेश किया है तो सालाना 50 हजार रुपये तक का ब्याज या रिटर्न कर मुक्त होता है। आयकर की धारा 80टीटीबी के तहत उसे यह कर छूट मिलती है।

4. अगर निवेश पर रिटर्न दस हजार रुपये से ज्यादा होता है तो बैंक टीडीएस के रूप में टैक्स काट लेते हैं। अगर पैन नंबर है तो यह 10% और पैन नंबर नहीं होने पर यह 20% होता है। एनआरआई के लिए यह 30 फीसदी हो जाता है।

5. अगर 60 वर्ष से कम उम्र या उससे ज्यादा उम्र के व्यक्ति का सालाना रिटर्न कर सीमा से कम है तो भी बैंक को फॉर्म भरकर जानकारी देनी होती है। 60 वर्ष से कम उम्र के व्यक्ति को 15जी और वरिष्ठ नागरिकों को 15एच फॉर्म भरना होता है।

गलती सुधारने का मौका भी आपके पास
अगर आपने आईटीआर में इसकी जानकारी नहीं दी है तो भी गलती सुधारने का मौका है। कर सलाहकार और सीए कैलाश गोदुका का कहना है कि संशोधित रिटर्न आकलन वर्ष खत्म होने के पहले कभी भी भरा जा सकता है। उदाहण के लिए आकलन वर्ष 2018-19 के लिए 31 मार्च 2019 के पहले कभी भी संशोधित आईटीआर भरा जा सकता है। ध्यान रहे कि संशोधित रिटर्न में आपको मूल रिटर्न का एकनॉलेजमेंट नंबर देना होता है। अगर आपने अभी तक रिटर्न नहीं भरा है तो बिना जुर्माने के 31 अगस्त तक भर सकते हैं।

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