विपक्ष को मात देने की रणनीति: नए कानून लाकर दलित और मुस्लिमों को साधेगी BJP
लोकसभा चुनाव से पहले सामाजिक समीकरणों को साधने के लिए भाजपा ने व्यापक तैयारी शुरू कर दी है। विपक्ष के पिछड़ा, दलित व मुसलमान कार्ड की काट के लिए केंद्र सरकार नए कानून लेकर आ रही है, ताकि इन वर्गों को सीधा संदेश दिया जा सके।
इनमें राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने, एससी-एसटी कानून को फिर से पुराने रूप में लागू करने और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर के मुद्दे प्रमुख हैं। भाजपा नेतृत्व अपनी तैयारियों के बीच विपक्ष की महागठबंधन बनाने की तैयारियों पर भी नजर रखे हुए है। विपक्षी खेमा एकजुट होने पर पिछड़ा वर्ग, दलित और अल्पसंख्यक समीकरणों के बूते एनडीए पर भारी पड़ सकता है। इसकी काट के लिए भी मोदी सरकार ने जमीन तैयार करनी शुरू कर दी है। राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने वाले विधेयक को लोकसभा ने मंजूरी दे दी है और अगले सप्ताह वह राज्यसभा में आएगा। सरकार की कोशिश इसी सत्र में इसे पारित कराने की है, ताकि वह देश भर में पिछड़ों को संदेश दे सके कि भाजपा उनकी सच्ची हितैषी है।
एससी-एसटी एक्ट जस का तस
इसी तरह दलित उत्पीड़न मामले में एफआईआर होने पर आरोपी को सीधे जेल भेजने के बजाए जांच करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले को भी सरकार कानून बनाकर पटलने की तैयारी में है। कैबिनेट ने इस बारे में विधेयक को मंजूरी दे दी है और मानसून सत्र में इस पर संसद की मुहर लगवा ली जाएगी। विपक्ष के इस मुद्दे पर एनडीए की ओर से केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने कमान संभाली थी और जाहिर है कि संसद से कानून को जस का तस रखने का श्रेय भी एनडीए खुद लेने की कोशिश करेगा।
एनआरसी पर ध्रुवीकरण का फायदा
राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) के मुद्दों पर भी भाजपा व केंद्र सरकार सक्रिय हो गई है। विदेशी घुसपैठियों के मुद्दे पर विपक्ष के शोर-शराबे को भाजपा राजनीतिक रूप से भुनाएगी। अभी यह मुद्दा असम तक सीमित है, लेकिन संसदीय समिति की रिपोर्ट आने के बाद संसद के शीत सत्र में सरकार इस बारे में विधेयक भी लेकर आ सकती है। विपक्ष से विरोध होने पर ध्रुवीकरण होने का लाभ राष्ट्रवाद के नाम पर भाजपा ले सकती है। पार्टी के एक प्रमुख नेता ने कहा कि विपक्ष जितना शोर करेगा, भाजपा उतनी मजबूत होगी।