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GST के दायरे में आएगा प्राकृतिक गैस और जेट फ्यूल? 21 जुलाई को होगा फैसला

माल एवं सेवा कर (GST) से जुड़े मसलों पर फैसले लेने वाली संस्था जीएसटी परिषद की आगामी बैठक 21 जुलाई को होनी है. इस बैठक में प्राकृतिक गैस और जेट फ्यूल यानी विमान के ईंधन को जीएसटी के दायरे में लाने पर फैसला हो सकता है. इसके अलावा इस बैठक में टैक्स स्लैब्स को कम करने पर भी विचार किया जा सकता है.

जीएसटी परिषद की यह बैठक वित्त मंत्री की अध्यक्षता में होगी. इसमें सभी राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों के वित्त मंत्री या उनके प्रतिनिधि शामिल होते हैं.

पिछले साल एक जुलाई को जीएसटी लागू किया गया था. इस दौरान पेट्रोल-डीजल, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस और विमान ईंधन सरीखे पांच उत्पादों को इससे बाहर रखा गया था. इसकी वजह जीएसटी के दायरे में इन उत्पादों को लाने से केंद्र और राज्यों को होने वाला नुकसान था. अब जबकि इस व्यवस्था को लागू हुए एक साल पूरा हो चुका है, तो प्राकृतिक गैस और जेट फ्यूल को इसके दायरे में लाने पर विचार किया जा रहा है.

हालांकि, इन दोनों उत्पादों को जीएसटी कर की दरों में रखना मुश्किल साबित होगा. क्योंकि मौजूदा वक्त में जेट फ्यूल पर केंद्र का उत्पाद शुल्क 14 फीसदी है. इसके अलावा राज्यों का 30 फीसदी तक सेल्स टैक्स अथवा वैट अलग से है. जीएसटी में अधिकतम टैक्स दर 28 फीसदी है. ऐसे में अगर विमान ईंधन को इस टैक्स स्लैब में शामिल किया जाता है तो राज्यों को राजस्व का भारी नुकसान होगा. ऐसे में केंद्र राज्यों को विमान ईंधन पर कुछ अतिरिक्त वैट लगाने की इजाजत दे सकता है.

वहीं, प्राकृतिक गैस को GST के दायरे में लाने पर कीमतों में वृद्धि हो सकती है. फिलहाल केंद्र सरकार उद्योगों को बेची गई प्राकृतिक गैस पर कोई उत्पाद शुल्क नहीं लगाती है, लेकिन सीएनजी पर उत्पाद शुल्क 14 फीसदी है. वहीं दूसरी ओर राज्य 20 फीसदी तक वैट लगाते हैं.

सूत्रों ने कहा कि यदि प्राकृतिक गैस पर 12 फीसदी जीएसटी लगाया जाता है तो राज्यों को नुकसान होगा. लेकिन अगर 18 फीसदी लगाया जाता है तो बिजली और उर्वरक के उत्पादन की लागत में वृद्धि होगी. उन्होंने कहा कि सीएनजी के लिए टैक्स निर्धारण (फिटमेंट) एक समस्या हो सकती है.

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