सत्ता और जन-कल्याण के अद्भुत तादात्म्य के प्रणेता हैं शिवराज
प्रदेशवासियों की दुख-तकलीफों को दूर करने बिना थके मेहनत करने वाले राजनेता के रूप में सीएम ने खुद को किया है स्थापित
Best chief ministers in india right now is shivraj singh chauhan
भोपाल। समकालीन राजनतिक परिदृश्य में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एक ऐसे राजनेता के रूप में स्थापित हुए हैं, जो आम आदमी से सीधे जुड़ा है। समग्रता में वे प्रदेशवासियों की दुख-तकलीफों को दूर करने के लिये बिना थके मेहनत करने वाले राजनेता के रूप में स्थापित होने में सफल रहे हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री पद को जो ऊँचाई दी है वह उनके पूर्ववर्ती नहीं दे पाये, तो यह उनकी सफलता है और इसका श्रेय भी उन्हें ही जाता है। उन्होंने मुख्यमंत्री के रूप में पिछले सवा बारह साल से अपनी लकीर निरन्तर बड़ी की है और वह भी दूसरों की लकीर को छोटा किये बिना। साधारण कार्यकर्ता से असाधारण मुख्यमंत्री के रूप में उनका यह सफर बहुतों के लिये शुरू में अजूबा सा रहा। पर वास्तविकता तो वास्तविकता है। आज वे प्रदेश के सर्वमान्य नेता हैं तो इसके पीछे सिर्फ और सिर्फ प्रदेश की जनता द्वारा उनमें लगातार व्यक्त किया जाता रहा विश्वास है। यह विश्वास ही उनकी सबसे बड़ी पूँजी है और रहेगा।
बहुतों को ताज्जुब है कि स्वामी विवेकानंद के दर्शन और विचारों से प्रभावित और गीता का यह मौन उपासक सत्ता के साकेत की दुरभिसंधियों से निपटने और जन-विश्वास की कसौटी पर खरा उतरने के कौशल में इतना पारंगत कैसे है? पद, प्रतिष्ठा तो अनेक लोगों को मिलती है। इनका जैसा उपयोग शिवराज जी ने मानवता की सेवा, प्रदेशवासियों के कल्याण और प्रदेश के विकास के लिये किया, वह उनको बिरला बनाता है। प्रदेश के तकरीबन पिछले सवा बारह साल गवाह रहे हैं कि शिवराज ने सत्ता और जन-कल्याण के साथ जो तादात्म्य बैठाया है, वह अद्भुत है। इसमें उनकी मदद की मातृ संस्था के संस्कारों, कर्मपथ के प्रति समर्पण और सबसे ब?कर आम आदमी की जन-समस्याओं पर उनके जन-संवेदी दृष्टिकोण ने। आज अगर उनकी उपलब्धियाँ मत-मतांतर और राग-द्ववेष से परे हैं, तो इसका श्रेय भी उनकी अनूठी कार्य-शैली को ही जाता है। उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि प्रदेश को बीमारू राज्य की श्रेणी से निकालना तो इतिहास में जगह पायेगी ही।
एक समय के कतरन प्रदेश को आज का मध्यप्रदेश बनाने और प्रदेश वासियों में मध्यप्रदेशीय अस्मिता को जगाने में वे सफल रहे। प्रदेश की आज की एकरूप पहचान का श्रेय भी उन्हें ही जाता है। उन्होंने सभी अंचल के संतुलित विकास पर ध्यान दिया। यह प्रमाणित किया कि मुख्यमंत्री क्षेत्र विशेष का नहीं होता, वह सब वर्गों, सभी तबकों, सभी धर्मों, समाजों और सबसे बड़कर पूरे प्रदेश और सबका होता है। उनके कार्यकाल में सामाजिक सद्भाव का दिनोंदिन बढऩा इसका उदाहरण है। उनकी योजनाएँ भी इसका प्रमाण है चाहे वह मुख्यमंत्री विवाह-निकाह योजना हो या अन्य योजनाएँ। कोई भी योजना हो, वह सब वर्गों के लिये हैं किसी एक या विशेष के लिये नहीं। सोने में सुहागा मुख्यमंत्री निवास पर सभी धर्मों के त्यौहारों को मनाना रहा। फिर वह ईद हो, क्रिसमस हो, प्रकाश पर्व हो, क्षमावाणी हो या हिन्दू त्यौहार।
प्रदेश के विकास की उनकी कोशिशें यह बखूबी बयां करती हैं कि वे कृषि और सहयोगी क्षेत्रों को लाभदायी बनाने के साथ औद्योगिक और अधोसंरचना सुविधाओं की बढ़ोत्तरी के लिये भी समर्पित रहे। शिवराज यह अच्छी तरह से जानते हैं कि बेरोजगारी का हल सरकारी नौकरियाँ नहीं है। इसलिये उन्होंने शासकीय नौकरियों की जगह युवाओं को स्व-रोजगार अपनाने और उद्यमी बनने के लिये प्रेरित किया। इसके लिये योजनाएँ भी बनायी। वे प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री है जिन्होंने ईमानदारी से यह स्वीकारा कि सरकार अकेले सब कुछ नहीं कर सकती।