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बुलेट ट्रेन के रास्ते में आ रही गोदरेज की जमीन, रूट बदलने का दबाव

बुलेट ट्रेन के लिए जमीन अधिग्रहण मोदी सरकार के लिए समस्या बनती जा रही है. गुजरात और महाराष्ट्र में कई जगह के किसान जमीन अधिग्रहण का विरोध कर ही रहे हैं, अब देश के दिग्गज कारोबारी समूह गोदरेज ने भी बुलेट ट्रेन के लिए जमीन अधिग्रहण का विरोध किया है.

असल में मुंबई में गोदरेज समूह की करीब 3.5 हेक्टेयर जमीन बुलेट ट्रेन के रास्ते में आ रही है, जिसकी बाजार कीमत करीब 500 करोड़ रुपये है. बिजनेस स्टैंडर्ड के अनुसार, बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए अपनी विखरोली स्थित प्रॉपर्टी के अधिग्रहण के विरोध में गोदरेज समूह बॉम्बे हाईकोर्ट की शरण में गया है.

इसका मतलब यह है कि अगर बुलेट ट्रेन परियोजना का रास्ता नहीं बदला गया, तो यह मुकदमेबाजी में फंस सकता है. वैसे सरकार के पास यह विकल्प है कि महाराष्ट्र के भूमि अधिग्रहण कानून, 2013 के मुताबिक जमीन का जबरन अधिग्रहण कर ले.

गौरतलब है कि मुंबई से अहमदाबाद की 508 किमी की दूरी के लिए पीएम मोदी की महत्वाकांक्षी बुलेट ट्रेन परियोजना पर काम शुरू हो चुका है. बताया जाता है कि इसमें से 21 किमी का रूट भूमिगत होगा. एक सरकारी अधिकारी के मुताबिक गोदरेज ने परियोजना के मार्ग में बदलाव करने की मांग की है ताकि उसके समूह की कंपनी गोदरेज कंस्ट्रक्शन की जमीन रास्ते में न आए.

बुलेट ट्रेन परियोजना के रास्ते में इसके पहले भी कई बाधाएं आई हैं. पिछले महीने महाराष्ट्र में पालघर के फल उत्पादकों ने जमीन अधिग्रहण का विरोध किया था. इसके पहले सूरत के किसान जमीन अधिग्रहण का विरोध कर चुके हैं. महाराष्ट्र में अगले साल चुनाव है, इसलिए इस मामले में राजनीति भी खूब हो रही है. इस प्रोजेक्ट के लिए गुजरात में 1,047 हेक्टेयर और महाराष्ट्र में 353 हेक्टेयर के जमीन को अधिग्रहीत करने की जरूरत है.

जमीन अधिग्रण के लिए नेशनल हाई स्पीड रेलवे कॉरपोरेशन लिमिटेड ने 10,000 करोड़ रुपये का बजट तय कर रखा है. जमीन अधिग्रहण के लिए दिसंबर, 2018 तक की डेडलाइन तय की गई है, लेकिन ऐसा लगता नहीं कि अब इसका पालन हो पाएगा.

बुलेट ट्रेन परियोजना तैयार होने के बाद मुंबई से अहमदाबाद की यात्रा सिर्फ 3 घंटे में पूरी हो जाएगी, जबकि अभी इसमें सात घंटे लग जाते हैं. इस परियोजना पर कुल 1.08 लाख करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान है.

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