दिल है कि मानता नहीं की टोपी से जुड़ा है आमिर खान का ये दिलचस्प कनेक्शन
अनुप्रिया वर्मा, मुंबई। आमिर खान इंडस्ट्री के बड़े सुपरस्टार में से एक हैं। अब उनकी हर फिल्म कामयाब होती है। उनकी फिल्मों का दर्शकों को बेसब्री से इंतजार रहता है लेकिन जब भी पहली कामयाबी मिलती है, उसका एहसास कुछ अलग होता है।
आमिर खान के 30 साल के फिल्मी करियर में उन्हें जब पहली बार यह एहसास हुआ कि वह भी स्टार बन चुके हैं, उस एहसास की कहानी भी काफी दिलचस्प है। आमिर ने हाल ही में अपनी बातचीत में यह राज खोला था। खुद आमिर ने बताया है कि जब उनकी फिल्म ‘दिल है कि मानता नहीं रिलीज हुई थी, इसके बाद आमिर ने जो फिल्म में कैप पहनी थी, वह हर किसी ने खरीदना शुरू कर दिया था। उस वक़्त उन्हें पहली बार एहसास हुआ कि वह स्टार बन चुके हैं। कयामत से कयामत तक की रिलीज़ के बाद इस फिल्म से उन्हें इस बात का एहसास हुआ था। लोगों ने मेरे पास आना शुरू कर दिया था। उस फिल्म के बाद मैं सड़क पर घूम नहीं पा रहा था। फिर मैंने अपनी अंकल की कार से बाहर निकलना शुरू कर दिया था। आमिर ने आगे बताया कि उन्हें अपनी पहली फिल्म के लिए 1000 रूपये प्रति महीना के रूप में फीस मिली थी। फिल्म की शूटिंग 11 महीने तक लगातार हुई थी तो इसके कारण उन्हें 11 हजार रूपये कमा लिए थे।
बता दें कि आमिर की फिल्म ठग्स ऑफ़ हिंदुस्तान जल्द ही रिलीज़ होने वाली है। उसके बाद वह महाभारत की सीरिज पर काम करने वाले हैं लेकिन उन्होंने आधिकारिक रूप से इसकी घोषणा नहीं की है। आमिर कहते हैं कि उन्होंने कभी भी ऐसी कोशिश नहीं की है कि वह सिर्फ अपनी फिल्मों से सोशल कंटेंट देंगे। यही वजह है कि उन्होंने 30 सालों में हर तरह की फिल्में की हैं। उन्होंने हमेशा कहानी पर फोकस किया है। आमिर ने यह भी स्वीकारा है कि वह हमेशा अपने फाइनल टेक से पहले कई बार रिहर्सल भी करते हैं। वह डायरेक्टर्स के साथ भी रिहर्सल करके शूट पर जाना पसंद करते हैं।
आमिर खान ने अपने तीस साल की दिलचस्प जर्नी को लेकर बात करते हुए कहा कि उन्हें कभी नहीं लगता था कि वह एक पैदाइशी अभिनेता हैं। आमिर कहते हैं कि मैं जब बाकी कलाकारों को देखता हूं, जैसे नसीरूदीन शाह और ओम पुरी साहब, ज़ायरा वसीम, रघुवीर यादव और इस तरह के एक्टर्स को देखता हूं जैसे दिलीप कुमार और अमिताभ बच्चन। ये सभी मुझे एक्टिंग के पावर हाउस लगते हैं। वह जब शॉट देते हैं तो उनका एक बिलिव होता है। वह काफी नेचुरल और बिना एफर्ट के करते हैं। मुझे नहीं लगता कि मुझमें वह बात है। मुझे लगता है कि मुझे अपने वर्क करना पड़ता है उस लेवल तक पहुँचने के लिए। मैं एक्टिंग को, ह्यूमन साइकोलोजी को एन्जॉय करता हूं लेकिन फिर भी मुझे वहां पहुँचने में वक्त लगता।