अब होगा डोनाल्ड ट्रंप और किम जोंग उन का महामिलन
अब तक जो ज़ुबान से सिर्फ ज़हर उगल रहे थे और जो हाथ बस बम के बटन की तरफ बढ़ रहे थे, वही ज़ुबान अब अचानक मीठी गई और हाथ बम के बटन की बजाए गले मिलने के लिए आगे बढ़ रहे हैं. दुनिया हैरान है. हैरान है इस बात पर कि सिर्फ दो महीने में ऐसा क्या हो गया कि अचानक एक तानाशाह शांति का दूत बन गया. बम छोड़ कर बात करने लगा. दुश्मनी भुला कर दुश्मन के घर जा रहा है. दुश्मनों को अपने घर बुला रहा है. एलानिया और बम बनाने से तौबा कर रहा है. जी हां, हम बात कर रहे हैं उत्तर कोरिया के बदले-बदले नेता मार्शल किम जोंग उन की. पर सवाल ये है कि आखिर किम बदला क्यों? तो इसका जवाब छुपा है उस महामिलन में जो जून के पहले हफ्ते में होने जा रहा है और जिसका इंतजार पूरी दुनिया को है.
वर्ष 2017
नार्थ कोरिया के शासक किम जोंग उन ने कहा था- मेरे टेबल पे बटन है, कभी भी दबा दूंगा. तो उसके जवाब में अमेरिकी राष्ट्रपति – डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था- मेरे पास तुमसे भी बड़ा बटन है और ये काम भी करता है.
वर्ष 2018
अब किम जोंग उन का कहना है- अगर अमेरिका युद्ध को खत्म करने का वादा करे तो हमें अपने परमाणु हथियार रखकर मुश्किल में जीने की क्या जरूरत है? उधर, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कह रहे हैं- वो (किम जोंग उन) काफी खुले हुए हैं और हम जो देख रहे हैं, उससे लगता है कि वे एक बेहद सम्मानित इंसान हैं.
नर्म हो गए हैं किम और ट्रंप
चंद महीनों में धधकते शोलों से शबनम की तरह नर्म हो गए हैं किम और ट्रंप. 2017 में एक दूसरे को धमका रहे थे. और अब एक दूसरे की तारीफ में कसीदे पढ़े जा रहे हैं. वजह कुछ भी हो मगर ये दुनियावालों के लिए राहत की खबर है. मोहब्बत की ये फिज़ाएं इसलिए बनाई जा रही हैं ताकि अमेरिकी राष्ट्रपति और उत्तर कोरियाई मार्शल से जब मिलें तो पुरानी कड़वाहट को भुला कर. बात खुशनुमा माहौल में हो.
शर्त के साथ मुलाकात
उत्तर कोरिया के जिस तानाशाह की वजह से दुनिया पर तीसरे विश्वयुद्ध का खतरा मंडरा रहा था वो अब परमाणु हथियारों को छोड़ने के लिए तैयार हो गया है. मगर उसकी भी एक शर्त है और वो शर्त ये है कि अमेरिकी राष्ट्रपति उसे वचन दें कि वो कोरियाई युद्ध को खत्म कर देंगे. हालांकि इसका फैसला अब उस महामिलन से होगा जो जून के पहले हफ्ते में होने को है.
किम के बदले रुख से दुनिया हैरान
अब तक कोरिया में कैद रहने वाला किम जोंग उन. अचानक एक मंझे हुए राजनेता की तरह ना सिर्फ चीन और दक्षिण कोरिया का दौरा कर रहा है, बल्कि कोरियाई पेनिनसुला में शांति के लिए अपने सबसे बड़े दुश्मन डोनल्ड ट्रंप से भी मिलने को राज़ी है. पिछले चंद महीनों में किम ने जो कारनामे किए हैं वो उसके किरदार से बिलकुल उलट हैं. हालांकि ये बदलाव अच्छे हैं मगर फिर भी दुनिया हैरान है.
दूसरे देशों के नेताओं से मुलाकात
क्योंकि पहले करीब 12 घंटे का सफर कर के अपनी हरी ट्रेन से किम चीन जाता है और राष्ट्रपति जिंगपिंग से मुलाकात करता है. फिर 70 साल पुरानी दुश्मनी को भुलाकर वो दक्षिण कोरिया की धरती पर कदम रखता है और अब वो अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप से मिलने की तैयारी कर रहा है. वो भी न्यूक्लियर साइट को बंद करने की शर्त पर.
आपको बता दें कि पिछले काफी वक्त से इस बात को लेकर बहस चल रही थी कि दोनों नेताओं की मुलाकात दुनिया के किस कोने में होगी. क्योंकि अपनी सुरक्षा की वजह से प्लेन के सफर से परहेज़ करने वाले किम जोंग उन के पास विकल्पों की कमीं थी.. लेकिन ट्रंप ने उसकी मुश्किल आसान कर दी और मुलाकात के लिए उसी जगह को तय कर दिया जहां किम और दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति मून मिले थे. यानी पुनमुंजोम.
अगर बैठक हुई विफल तो…
पूरी दुनिया इस मुलाकात से पहले की हर हलचल पर नज़र गड़ाए हुए है. क्योंकि ट्रंप और किम की मुलाकात अगर खुशनुमा माहौल में हुई तो ठीक वरना फिर से विश्वयुद्ध का खतरा मंडराने लगेगा. हम आपको डरा नहीं रहे बल्कि संभावनाओं से आगाह कर रहे हैं, क्योंकि खुद ट्रंप ये कह चुके हैं कि अगर बातचीत का कोई हल नहीं निकला तो वो मीटिंग को बीच में ही छोड़ देंगे और फिर वही करेंगे. जो अब तक वो करते आ रहे हैं.