जस्टिस जोसेफ के प्रमोशन को लेकर सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की अहम बैठक आज
सीनियर वकील इंदु मल्होत्रा के सीधे सुप्रीम कोर्ट में जज बनने के बाद न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच का टकराव एक बार फिर सामने आने लगा है. दरअसल, शीर्ष अदालत कॉलेजियम की ओर से भेजे गए जस्टिस केएम जोसेफ के नाम को दरकिनार कर इंदु मल्होत्रा की नियुक्ति के केंद्र सरकार के एकतरफा फैसले से नाराज़ है. इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने बुधवार को एक अहम मीटिंग बुलाई है. बता दें कि जस्टिस जोसेफ अभी उत्तराखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस हैं.
इंदु मल्होत्रा की नियुक्ति के बाद शुक्रवार को सरकार ने कॉलेजियम को जस्टिस जोसेफ की फाइल लौटा दी थी. जिसके बाद शनिवार-रविवार को वीकेंड और सोमवार को बुद्ध पुर्णिमा होने के कारण कोर्ट बंद रहा. मंगलवार को कोर्ट खुला. सीजेआई ने बुधवार को कॉलेजियम की मीटिंग तय की है.
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने जनवरी में ऐसे जजों के नामों की सिफारिश की थी, जिन्हें अपग्रेड किया जाना था. इसमें जस्टिस इंदु मल्होत्रा और जस्टिस केएम जोसेफ का नाम भी शामिल था. लेकिन, केंद्र सरकार ने सिर्फ इंदु मल्होत्रा के नाम पर मुहर लगाई. इसके बाद जस्टिस केएम जोसेफ समेत कई जजों का नाम पेंडिग लिस्ट में डाल दिया गया है.
सुप्रीम कोर्ट में जज के लिए सीजेआई दीपक मिश्रा, जस्टिस जे चेलमेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस बी लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ के कॉलेजियम ने जस्टिस जोसेफ के नाम की सिफारिश की थी.
केंद्र ने फैसला लेते वक्त सीजेआई को लूप में नहीं रखा
सूत्रों के मुताबिक, केंद्र सरकार ने कॉलेजियम की ओर से भेजी गई लिस्ट से नामों को अलग करने के फैसले में सीजेआई दीपक मिश्रा को लूप में नहीं रखा. केंद्र ने न तो इंदु मल्होत्रा का नाम फाइनल करने से पहले सीजेआई से चर्चा की और न ही उनसे कोई सलाह ली. सरकार के इस एकतरफा फैसले से सुप्रीम कोर्ट के कई जज नाराज हैं. खासकर वो जज जो कॉलेजियम का हिस्सा भी रहे हैं.
सरकार ने जस्टिस जोसेफ का प्रमोशन की कॉलेजियम की सिफारिश उसके पास पुनर्विचार के लिए लौटा दी. उसने कहा कि यह प्रस्ताव शीर्ष अदालत के मापदंड के अनुरुप नहीं है और सुप्रीम कोर्ट में केरल का पर्याप्त प्रतिनिधित्व है. बता दें कि जस्टिस जोसेफ केरल से आते हैं.
2014 से उत्तराखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश हैं जस्टिस जोसेफ
जस्टिस जोसेफ जुलाई 2014 से उत्तराखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस हैं. वह इस साल जून में 60 साल के हो जाएंगे. उन्हें 14 अक्टूबर 2004 को केरल हाईकोर्ट में परमानेंट जज किया गया था.
जस्टिस जोसेफ ने उस बेंच की अगुवाई की थी, जिसने साल 2016 में उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाने के नरेंद्र मोदी सरकार के फैसले को खारिज कर दिया था. तब राज्य में कांग्रेस की सरकार थी.