बच्चों के लिए धड़कता है इस हॉस्पिटल का ‘दिल’, नहीं है कैश काउंटर, बचती है जान
रायपुर। घर का कोई सदस्य बीमार हो तो पैसे की तंगी के कारण बहुत से लोग चाहकर भी बड़े निजी अस्पताल में उसका इलाज नहीं करा पाते। ऐसे में सोचिए उन लोगों की बेबसी जो अपने नन्हें से बच्चे के दिल में छेद की बीमारी का इलाज पैसे की कमी के कारण नहीं करा पाते, लेकिन यहां एक ऐसा अस्पताल है, जहां सुविधाएं तो सब हैं, पर कैश काउंटर नहीं है।
उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के छोटे से गांव में रहने वाले अजय सिंह के घर तीन महीने पहले बेटी का जन्म हुआ। पहली संतान होने के कारण खूब खुशियां मनाई गईं, लेकिन यह खुशी ज्यादा दिन तक टिक नहीं पाईं क्योंकि बच्ची का चेहरा नीला पड़ गया और वह दूध भी नहीं पी पाती थी
गरीबों के लिए ‘संजीवनी’ है हॉस्पिटल
सिंह जब बच्ची को लेकर डाक्टर के पास पहुंचे तो यह जानकर उनका दिल ही बैठ गया कि उनकी बेटी के दिल में छेद है। निजी स्कूल में शिक्षक अजय के पास इतना पैसा नहीं था कि बच्ची का महंगा इलाज करा पाते। ऐसे में उन्हें किसी ने नया रायपुर के श्री सत्य साईं संजीवनी अस्पताल का पता दिया तो वह बिना देर किए अपनी लाडली को लेकर यहां चले आए।
बच्ची का दिल का ऑपरेशन हुआ
सिंह कहते हैं कि यह अस्पताल सच में उनकी बेटी के लिए संजीवनी साबित हुआ। जब वह यहां पहुंचे तो चिकित्सकों ने बताया कि बच्ची के शरीर की एक नस भी सिकुड़ी हुई है। पहले उसका ऑपरेशन करना पड़ेगा फिर बाद में दिल का। तीन दिन पहले बच्ची का एक ऑपरेशन सफल रहा। वहीं बच्ची के दिल का छेद 13 मिलीमीटर से छोटा होकर छह मिलीमीटर ही रह गया है। सिंह को उम्मीद है कि उनकी नन्ही परी जल्द ठीक होकर उनकी गोद में खेलने लगेगी। सिंह इतने खुश हैं कि बार बार श्री सत्य साई को प्रणाम करते हैं और यहां के चिकित्सकों को भगवान बताते हैं।
दिल के इलाज के लिए प्रसिद्ध है अस्पताल
श्री सत्य साई संजीवनी अस्पताल देश का एकमात्र ऐसा अस्पताल है जो बच्चों के हृदय रोगों के इलाज के लिए समर्पित है। पूरी तरह निःशुल्क सेवा देने वाले इस अस्पताल में दुनिया भर से आए बच्चों का इलाज किया जाता है।
झारखंड के शिवशंकर ने सुनाई कहानी
झारखंड के शिवशंकर के पांच साल के बेटे निक्कू के दिल में भी छेद था जिसका सफल आपरेशन हो चुका है। अब वह जांच के लिए यहां आए हैं।
अस्पताल के जनसंपर्क अधिकारी अजय कुमार श्राफ बताते हैं कि एक सौ बिस्तर वाले इस अस्पताल की स्थापना नवंबर वर्ष 2012 में हुई थी। और इसी वर्ष दिसंबर महीने में 13 वर्ष की बालिका रितिका का सफल आपरेशन किया गया था। पहले यहां सभी उम्र के मरीजों के दिल का इलाज किया जाता था। लेकिन फरवरी वर्ष 2014 से इसे चाइल्ड हार्ट केयर सेंटर के रूप में परिवर्तित कर दिया गया। तब से यह अस्पताल बच्चों के दिल की देखभाल कर रहा है।
हॉस्पिटल में नहीं है कैश कमांडर
श्राफ बताते हैं कि यह ऐसा अस्पताल है जहां कैश काउंटर नहीं है। मतलब प्राथमिक जांच, आपरेशन, इलाज, रहना और खाना सभी मुफ्त है। इस अस्पताल में भर्ती होने वाले 12 वर्ष तक के बच्चों के साथ दो व्यक्तियों को तथा 12 से 18 वर्ष तक के हृदय रोग से पीड़ित बच्चों के साथ एक व्यक्ति के रहने और खाने की व्यवस्था की जाती है।
25 तरह के ऑपरेशन किए जाते हैं।
इस अस्पताल में बच्चों के हृदय रोग के 25 तरह के ऑपरेशन किए जाते हैं। निजी अस्पतालों में इसका खर्च तीन से 15 लाख रूपए आता है लेकिन यहां यह निःशुल्क है। यहां बेहतर चिकित्सकों की टीम है जो एक दिन में कम से कम पांच आपरेशन करती है। जिसमें से तीन आपरेशन ओपन हार्ट सर्जरी का होता है।
दूर-दूर से आते हैं लोग
अस्पताल के जनसंपर्क अधिकारी बताते हैं कि अस्पताल के शुरू होने के बाद से इस वर्ष मार्च महीने तक यहां 4500 बच्चों के हृदय का ऑपरेशन हो चुका है। यहां अपने बच्चों के हृदय का इलाज कराने के लिए छत्तीसगढ़ समेत देश के 28 राज्यों और नौ अन्य देशों के लोग आ चुके हैं।
पाकिस्तान, बांग्लादेश के बच्चों का भी हुआ इलाज
श्री सत्य साई संजीवनी अस्पताल में फिजी के दो बच्चों, पाकिस्तान के नौ बच्चों, बांग्लादेश के 11 बच्चों, नाइजीरिया के आठ बच्चों, नेपाल और श्रीलंका के पांच पांच बच्चों, अफगानिस्तान के दो बच्चों तथा लाइबेरिया और यमन के एक एक बच्चे के दिल का इलाज किया गया है। वहीं यहां के चिकित्सकों के दल ने फिजी जाकर 26 बच्चों के दिल का आपरेशन किया था।
दिल के आकार में बना है हॉस्पिटल
दिल के आकार वाले 30 एकड़ में फैले इस चिकित्सालय परिसर में सत्य साई सौभाग्यम और नर्सिंग कालेज भी है। सत्य साई सौभाग्यम में कला, संस्कृति, शिक्षा और सामाजिक उत्थान के कार्यक्रम होते रहते हैं।
हॉस्पिटल नहीं टैंपल ऑफ हीलिंग कहिए
अजय श्राफ बताते हैं कि हम इसे अस्पताल नहीं बल्कि टैंपल ऑफ हीलिंग कहते हैं। और इसे मंदिर की तरह ही पूजा जाता है। अस्पताल का नियम है कि प्रतिदिन सुबह जिन बच्चों का आपरेशन होता है उनके लिए प्रार्थना की जाती है और उनकी लिस्ट देश विदेश में फैले लाखों अनुयायियों को भेजा जाता है। जिससे वह भी प्रार्थना में शामिल हो सकें।
अस्पताल के शिशु हृदय रोग विशेषज्ञ अतुल प्रभु कहते हैं कि इसे हम अस्पताल नहीं मंदिर मानते हैं और हम अपना काम भी इसी तरह करते हैं। इसलिए कभी नहीं लगता कि हमें पैसा कमाना है। हम चाहते हैं कि यहां आने वाले बच्चों की मुस्कान लौटा सकें।
ऑस्ट्रेलिया में रह चुके डाक्टर प्रभु कहते हैं कि यहां काम करने के दौरान हमें लगता है कि हम अपने काम के साथ न्याय कर रहे हैं और यही कारण है कि यहां आने वाले माता पिता के दुख दर्द को महसूस कर सकते हैं।
जनसंपर्क अधिकारी श्राफ कहते हैं कि श्री सत्य साई ने कहा था — सबसे प्रेम सबकी सेवा। इस अस्पताल में यही तो किया जा रहा है।